भोपाल में वाहन धुलाई केंद्रों की संख्या 1,024 से अधिक है, लेकिन भोपाल नगर निगम (BMC) अब तक 1000 से ज्यादा अवैध रूप से संचालित हो रहे वॉशिंग सेंटरों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया है। BMC अधिकारियों के अनुसार केवल 126 वॉशिंग सेंटर ही वैध रूप से लाइसेंस प्राप्त हैं, जबकि बाकी सभी अवैध रूप से चल रहे हैं और गंभीर जल प्रदूषण का कारण बन रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार अप्रैल महीने में नगर निगम के 21 जोनों में अवैध वॉशिंग सेंटरों की जांच शुरू की गई थी, लेकिन स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 की टीम के आगमन का हवाला देते हुए किसी भी जोन ने अब तक इनकी सूची नहीं सौंपी है। दो महीने बीतने के बावजूद न तो जांच में कोई प्रगति हुई है और न ही कोई कार्रवाई हुई है।
अवैध वाहन वॉशिंग सेंटर संत हिरदारामनगर, एमपी नगर, नेहरू नगर, नरमदापुरम रोड से कोलार तक और पुराने भोपाल के इलाकों में बड़ी संख्या में चल रहे हैं। केवल एमपी नगर इलाके में ही 15 से अधिक ऐसे केंद्र हैं, जहां सुबह से देर रात तक वाहनों की धुलाई की जाती है, वो भी पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी करते हुए। हाल ही में हुई एक जांच में सामने आया कि 90% से अधिक वॉशिंग सेंटर प्रदूषण नियंत्रण मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं।
नगर निगम ने पहले इन अवैध केंद्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत दिए थे, लेकिन फिर अभियान को टाल दिया गया। अब मानसून नजदीक होने के कारण जल निकासी और प्रदूषण की आशंका बढ़ गई है।
लाइसेंस की शर्तें और प्रदूषण का खतरा
प्रदूषण नियंत्रण के नियमों के अनुसार, केवल वही वॉशिंग सेंटर जिन्हें किसी अधिकृत ऑटोमोबाइल वर्कशॉप के अंतर्गत चलाया जाता है, लाइसेंस के पात्र होते हैं। वर्तमान में ऐसे केंद्रों की संख्या 10% से भी कम है, शेष सभी अवैध हैं।
वाहन धुलाई के दौरान निकलने वाला तेलयुक्त पानी बड़ा खतरा बन चुका है। यह गंदा पानी सीधे शहर की नालियों में बहता है, जिससे कीचड़ के साथ मिलकर गंभीर जाम और रुकावटें पैदा होती हैं। हाल ही में हुई प्री-मानसून नाली सफाई के दौरान निगम अधिकारियों ने देखा कि कई नालियां पास के वॉशिंग सेंटरों से आए तेल के कारण जाम हो चुकी हैं।
इस विषय में अतिरिक्त नगर आयुक्त, देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा, “लाइसेंस BMC के जलकार्य विभाग द्वारा जारी किया जाता है। अगर कोई वॉशिंग सेंटर प्रदूषण नियंत्रण मानकों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
निष्कर्ष:
अवैध वॉशिंग सेंटर न केवल कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि शहर के जल स्रोतों और नाली व्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। नगर निगम को चाहिए कि वह जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए, अन्यथा मानसून के दौरान हालात और बिगड़ सकते हैं।