राज्य सरकार ने 50,000 कर्मचारियों की वेतन अदायगी में त्रुटि पर रिपोर्ट सौंपी, भूतपूर्व कर्मियों को लेकर उठे विवाद पर दी सफाई

वित्त विभाग ने उन 50,000 कर्मचारियों से संबंधित प्राथमिक रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जिनके वेतन नहीं निकाले जाने को लेकर देशभर में विवाद खड़ा हो गया था। रिपोर्ट में सरकार ने दावा किया है कि राज्य में कोई फर्जी कर्मचारी नहीं है

रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थिति वेतन आहरण और वितरण अधिकारी (DDO) की तकनीकी गलती के कारण उत्पन्न हुई। इन कर्मचारियों के पास इम्प्लॉई कोड तो था, लेकिन वेतन निकाला नहीं गया क्योंकि संबंधित कर्मचारियों की सेवा से बाहर जाने या स्थानांतरण की प्रविष्टि अपडेट नहीं की गई थी

रिपोर्ट के अनुसार:

  • 21,461 कर्मचारी दिवंगत हो चुके थे।
  • 10,983 कर्मचारी सेवानिवृत्त, स्वैच्छिक सेवानिवृत्त, इस्तीफा दे चुके या सेवा से हटाए जा चुके थे।
  • 4,654 कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर थे।
  • 483 कर्मचारी निलंबित थे।
  • 1,656 कर्मचारियों का वेतन सरकारी निर्देशों के कारण रोका गया था।
  • 2,342 कर्मचारी फ्री पूल में थे।
  • 1,022 कर्मचारियों का वेतन तकनीकी कारणों से नहीं निकल सका।
  • 2,247 कर्मचारियों के वेतन रोक के पीछे अन्य कारण बताए गए हैं।

वित्तीय खुफिया प्रकोष्ठ (State Financial Intelligence Cell) की रिपोर्ट में बताया गया कि 50,000 कर्मचारियों के वेतन कई महीनों से नहीं निकाले गए थे, जिससे सरकार में हलचल मच गई थी। क्योंकि इन कर्मचारियों के पास वैध कर्मचारी कोड था, उनका वेतन कभी भी निकाला जा सकता था। इन 50,000 कर्मचारियों के वेतन पर सरकार का खर्च मासिक 230 करोड़ रुपये आता है।

सरकार ने DDO को निर्देश दिया है कि हर कर्मचारी के कोड के आगे उपयुक्त संकेत (flagging) दर्ज किया जाए और प्रवेश एवं निकास की स्पष्ट जानकारी सहित एक अद्यतन डेटाबेस तैयार किया जाए, जिससे ऐसी स्थिति भविष्य में न हो।


यदि आप चाहें, तो मैं इस रिपोर्ट का सारांश या प्रस्तुति (presentation) हेतु पॉइंट-फॉर्म में भी तैयार कर सकता हूँ।

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