भोपाल/कोलकाता। मध्यप्रदेश जल निगम लिमिटेड (MPJNL) की सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े ₹183.21 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले के मामले में सीबीआई ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में एक राष्ट्रीयकृत बैंक का वरिष्ठ प्रबंधक भी शामिल है। यह जानकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को दी।
सीबीआई ने गुरुवार और शुक्रवार को दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, झारखंड और मध्यप्रदेश में 23 ठिकानों पर छापेमारी की। इसी दौरान कोलकाता से दो मुख्य आरोपी — गोविंद चंद्र हांसदा (वरिष्ठ बैंक प्रबंधक) और मोहम्मद फिरोज खान को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार आरोपियों को शुक्रवार को कोलकाता की स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाया जा रहा है।
हाईकोर्ट के आदेश पर सामने आया मामला
यह घोटाला हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सामने आया, जिसके तहत सीबीआई ने 9 मई 2025 को तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए। जांच में पाया गया कि इंदौर की कंपनी तीर्थ गोपिकॉन लिमिटेड ने जल निगम की परियोजनाएं हासिल करने के लिए 8 फर्जी बैंक गारंटियां जमा की थीं।
कंपनी को 2023 में मध्यप्रदेश में ₹974 करोड़ की तीन सिंचाई परियोजनाएं आवंटित की गई थीं। इन परियोजनाओं के समर्थन में ₹183.21 करोड़ की जाली बैंक गारंटियां दी गईं।
जांच में यह भी सामने आया कि जल निगम को बैंक की आधिकारिक ईमेल आईडी की नकल कर फर्जी ईमेल भेजे गए, जिनमें इन गारंटियों की पुष्टि की गई थी। इस फर्जी पुष्टि के आधार पर ही MPJNL ने कंपनी को परियोजनाएं आवंटित कर दी थीं।
देशभर में फैला फर्जीवाड़े का नेटवर्क
सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ है कि यह घोटाला केवल मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है। कोलकाता आधारित एक सिंडिकेट देश के विभिन्न राज्यों में इसी तरह जाली बैंक गारंटी के जरिए सरकारी ठेके हासिल कर रहा था।
एजेंसी का कहना है कि जांच जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। सीबीआई यह भी पता लगाने में जुटी है कि किन सरकारी अधिकारियों और बैंक कर्मियों की मिलीभगत से इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव हो पाया।