सोमवार को मध्य प्रदेश सरकार ने जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष एक हलफनामा पेश कर बताया कि भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले 337 मीट्रिक टन पैक किए गए विषैले कचरे का सफलतापूर्वक निपटान पिथमपुर स्थित TSDF संयंत्र में कर लिया गया है। राज्य सरकार ने जानकारी दी कि यह खतरनाक कचरा रविवार देर रात तक संयंत्र में जलाया गया, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) के तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी रही।
सरकार के अनुसार, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान करीब 850 मीट्रिक टन राख और अवशेष एकत्र हुए हैं, जिन्हें विभिन्न लैंडफिल स्थलों में MPPCB से CTO (सहमति प्रमाण पत्र) मिलने के बाद निपटाया जाएगा।
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की पीठ ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई 31 जुलाई, 2025 को करते हुए अदालती स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इस सुनवाई में राख और अवशेषों के निपटान को लेकर भी चर्चा की जाएगी।
याचिका में हस्तक्षेपकर्ताओं ने दावा किया कि पिथमपुर संयंत्र के आसपास रहने वाले लोगों ने स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत की है। इस पर न्यायमूर्ति श्रीधरन ने पूछा कि क्या इस राख को आबादी से दूर किसी स्थान पर सुरक्षित रूप से रखा जा सकता है? उन्होंने टिप्पणी की कि अगर राख विषैली है तो वह लैंडफिल में भी विषैली ही रहेगी। अदालत ने इस विषय पर NEERI, CPCB और MPPCB के विशेषज्ञों की राय सुनने का निर्णय लिया है।
बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता आलोक प्रताप सिंह ने 2004 में यूनियन कार्बाइड परिसर से विषैले कचरे के निपटान को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। उनके निधन के बाद, कोर्ट ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लेकर सुनवाई जारी रखी।
राज्य सरकार द्वारा पेश हलफनामे में बताया गया कि 27 फरवरी से 12 मार्च तक पिथमपुर संयंत्र में 30 मीट्रिक टन कचरे का ट्रायल रन किया गया था। इसके बाद हर घंटे 270 किलोग्राम कचरा जलाया गया और 30 जून की रात 1:02 बजे यह प्रक्रिया पूरी हो गई। सरकार ने यह भी जानकारी दी कि यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से अतिरिक्त 19.157 मीट्रिक टन कचरा भी एकत्र किया गया है, जिसे 3 जुलाई, 2025 तक निपटाया जाएगा।