त्रिनिडाड और टोबैगो यात्रा: भारत की कैरेबियाई कूटनीति में नया अध्याय

ऐतिहासिक संबंध और प्रवासी समुदाय की शक्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक त्रिनिडाड और टोबैगो यात्रा भारत की कैरेबियाई कूटनीति का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बनकर उभर रही है। भारत और त्रिनिडाड एवं टोबैगो के संबंधों की नींव 30 मई 1845 को पड़ी थी, जब ‘फतेह अल-रज़ाक’ जहाज 225 भारतीय अनुबंधित मज़दूरों को लेकर वहां पहुँचा था। 1917 तक यह प्रवास जारी रहा, जिससे पश्चिमी गोलार्ध में सबसे बड़े भारतीय प्रवासी समुदायों में से एक की स्थापना हुई। आज इन प्रवासियों की पांचवी और छठी पीढ़ी देश की कुल आबादी का लगभग 40-45% हिस्सा है, जो उन्हें त्रिनिडाड और टोबैगो का सबसे बड़ा जातीय समूह बनाता है।

यह जनसांख्यिकीय स्थिति भारत के लिए क्षेत्रीय प्रभाव के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। जहां कई अन्य कैरेबियाई देशों में भारतीय समुदाय अल्पसंख्यक हैं, वहीं त्रिनिडाड और टोबैगो में भारतीय मूल की महिलाएं—राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला पर्साड-बेसेसर—देश की सत्ता के शीर्ष पदों पर विराजमान रही हैं, जो भारतवंशी समुदाय की राजनीतिक भागीदारी और उनके भारत से जुड़े भावनात्मक संबंधों को दर्शाता है।

कैरेबियाई क्षेत्र का रणनीतिक प्रवेशद्वार
त्रिनिडाड और टोबैगो की भौगोलिक स्थिति और ऊर्जा संसाधनों से समृद्ध अर्थव्यवस्था इसे भारत की कैरेबियाई आकांक्षाओं का स्वाभाविक प्रवेशद्वार बनाते हैं। कैरेबियन द्वीपसमूह के दक्षिणी सिरे पर स्थित यह राष्ट्र, भारत के व्यापार और निवेश विस्तार के लिए एक आदर्श केंद्र है।

हालांकि भारत-त्रिनिडाड आर्थिक संबंध अभी विकासशील अवस्था में हैं, लेकिन इनमें भारी संभावनाएं मौजूद हैं। जनवरी 1997 में दोनों देशों के बीच हुए व्यापार समझौते के तहत परस्पर ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा दिया गया है। भारत से निर्यातित वस्तुओं में वाहन, इस्पात, दवाएं और प्लास्टिक उत्पाद शामिल हैं, जबकि आयात मुख्यतः खनिज ईंधन और पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रित हैं।

विकास साझेदारी और क्षमतावर्धन
भारत की त्रिनिडाड एवं टोबैगो के साथ विकास साझेदारी ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ‘हाई एंड लो टेक्नोलॉजी (HALT)’ परियोजना, जो भारत-UNDP फंड के माध्यम से चलाई गई थी, कोविड-19 महामारी के दौरान मोबाइल हेल्थकेयर रोबोट, टेलीमेडिसिन और स्वच्छता केंद्र प्रदान कर प्रभावी सहयोग का उदाहरण बनी।

इसके अलावा, राष्ट्रीय कृषि विपणन एवं विकास निगम के लिए US$1 मिलियन की कृषि यंत्र परियोजना और ITEC कार्यक्रम के तहत हर वर्ष 85 प्रशिक्षु स्थान प्रदान करना, भारत की दीर्घकालिक मानव संसाधन विकास रणनीति का हिस्सा है।

संस्कृतिक कूटनीति और सॉफ्ट पावर
त्रिनिडाड और टोबैगो के भारतीय समुदाय में भारतीय संस्कृति का संरक्षण भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ का मजबूत आधार है। दिवाली, होली, दशहरा जैसे त्यौहार यहां सरकारी मान्यता के साथ मनाए जाते हैं, और भोजपुरी जैसी भाषाएं आज भी कई घरों में बोली जाती हैं। यह सांस्कृतिक निरंतरता शिक्षा, कला और अध्यात्म के माध्यम से भारत को भावनात्मक और सामाजिक रूप से इस क्षेत्र से जोड़ती है।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कूवा के नेशनल साइकलिंग वेलोड्रोम में आयोजित होने वाला प्रवासी सम्मेलन, जिसमें 4,000 से अधिक लोगों के जुटने की उम्मीद है, भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की गहराई और प्रभाव को दर्शाता है।

ऊर्जा क्षेत्र और आर्थिक सहयोग
त्रिनिडाड और टोबैगो के ऊर्जा संसाधन भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति के लिए एक उपयुक्त भागीदारी अवसर प्रदान करते हैं। यह देश लिक्विफाइड नैचुरल गैस और पेट्रोलियम उत्पादों का प्रमुख उत्पादक है, जो भारत की ऊर्जा विविधीकरण नीति के अनुरूप है। इसके साथ ही, यहां की सरकार सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में रुचि रखती है, जिसमें भारतीय कंपनियों की विशेषज्ञता सहयोग का मार्ग खोल सकती है।

सूचना प्रौद्योगिकी, दवा और जैव प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों में भी सहयोग की बड़ी संभावनाएं हैं। त्रिनिडाड और टोबैगो की विकसित अवसंरचना और कैरिबियन समुदाय (CARICOM) में व्यापारिक सुविधा भारत के लिए इस क्षेत्र में एक आधार केंद्र के रूप में इसे आकर्षक बनाती है।

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