भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को एक नई दिशा देने की तैयारी जोरों पर है। दोनों देशों ने एक नया 10 वर्षीय रक्षा साझेदारी समझौता करने पर सहमति जताई है, जिसकी घोषणा अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने की है। इस समझौते पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ की इस वर्ष होने वाली आगामी बैठक में हस्ताक्षर किए जाएंगे।
फोन कॉल में बनी सहमति
पेंटागन के प्रवक्ता कर्नल क्रिस डिवाइन के अनुसार, यह निर्णय 1 जुलाई को दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत के दौरान लिया गया। कर्नल डिवाइन ने बताया,
“रक्षा मंत्री हेगसेथ ने भारत को दक्षिण एशिया में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार बताया और आगामी सहयोग की नींव रखी।”
उसी दिन हेगसेथ ने भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से भी मुलाकात की, जिसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, रक्षा तकनीक नीति में प्रगति और आगामी INDUS-X समिट जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
ट्रंप-मोदी की नींव पर आगे बढ़ेगा सहयोग
दोनों रक्षा मंत्रियों ने फरवरी 2025 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी साझा बयान में निर्धारित रक्षा लक्ष्यों की समीक्षा की। साथ ही भारत को अमेरिकी हथियारों की प्रमुख बिक्री और रक्षा औद्योगिक सहयोग को और सशक्त बनाने की दिशा में चर्चा हुई।
कर्नल डिवाइन के अनुसार,
“मंत्री सिंह और सचिव हेगसेथ ने इस वर्ष के अंत में मिलने पर 10 वर्षीय रक्षा ढांचे पर हस्ताक्षर करने पर सहमति जताई है।”
जयशंकर की रणनीतिक टिप्पणी
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध सिर्फ साझा हितों पर आधारित नहीं हैं, बल्कि क्षमताओं और जिम्मेदारियों के बीच गहराते मेल पर टिके हैं। उन्होंने कहा:
“रक्षा साझेदारी इस रिश्ते के सबसे प्रभावशाली स्तंभों में से एक है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग रणनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।”
तकनीकी नवाचार और औद्योगिक सहयोग
भारत और अमेरिका अब ‘India-US Defence Acceleration Ecosystem’ के अगले शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और उद्योग सहयोग को बढ़ावा देना है। इस सम्मेलन के अंतर्गत Autonomous Systems Industry Alliance (ASIA) की भी औपचारिक शुरुआत होगी।
अमेरिका ने इस बात पर संतोष जताया कि उसका रक्षा उपकरण भारत की सेनाओं में अच्छी तरह एकीकृत हो चुका है और वह को-प्रोडक्शन, औद्योगिक सहयोग और बलों की आपसी कार्यक्षमता को और मजबूत करने के लिए तैयार है।
यह आगामी समझौता भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है, जो न केवल दोनों देशों के सामरिक हितों को सुदृढ़ करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक मजबूत संदेश देगा।