सब्जाश नगर ओवरब्रिज की खतरनाक डिजाइन पर उठे सवाल, 8 घंटे में दो हादसे

ऐशबाग ब्रिज की 90 डिग्री की मोड़ को लेकर उठे विवाद के कुछ सप्ताह बाद, भोपाल का एक और पुल – सुभाष नगर रेलवे ओवरब्रिज (ROB) – अब अपनी ‘साँप जैसी’ संरचना और गलत ढंग से लगाए गए डिवाइडर्स को लेकर चर्चा में है। महज आठ घंटे में दो सड़क हादसे होने से पुल की डिजाइन और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

करीब 40 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पुल दो साल से चालू है और मैदा मिल से प्रभात पेट्रोल पंप के बीच प्रमुख कड़ी के रूप में विकसित किया गया था। यह पुल रेलवे स्टेशन की ओर जाने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग माना जाता है। हालाँकि इसने इलाके में ट्रैफिक को कुछ हद तक राहत दी है, लेकिन हालिया दुर्घटनाओं ने इसकी संरचनात्मक खामियों को उजागर कर दिया है।

दोनों हादसों में वाहन चालक पुल की तीव्र मोड़ों को पार करते समय संतुलन खो बैठे। एक मामले में कार डिवाइडर से टकराकर हवा में पलट गई, जबकि दूसरे में एक स्कूल वैन उसी डिवाइडर से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गई।

हालाँकि अभी तक कोई जानहानि नहीं हुई है, लेकिन लगातार हो रही दुर्घटनाओं ने संकेत दे दिया है कि यदि जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है।


पुल की प्रमुख खामियाँ:
🔹 साँप जैसी संरचना: सुभाष नगर ओवरब्रिज में एक के बाद एक चार तीखे मोड़—दायाँ, बायाँ, फिर दायाँ और अंत में बायाँ—आते हैं। ये सभी मोड़ कुछ ही सेकंड में पार करने होते हैं, जिससे ड्राइवर को प्रतिक्रिया देने का समय नहीं मिल पाता।

🔹 खराब तरीके से लगाया गया डिवाइडर: मैदा मिल की ओर उतरते वक्त एक तेज मोड़ के तुरंत बाद डिवाइडर आ जाता है, जो तेज गति से या रात के समय चलने वाले वाहनों के लिए दुर्घटनाजनक साबित हो रहा है।

🔹 कम ऊंचाई वाला डिवाइडर: डिवाइडर की ऊंचाई इतनी कम है कि रात के समय या कम रोशनी में यह आसानी से नजर नहीं आता।

🔹 ट्रैफिक सिग्नल की खराबी: बोर्ड ऑफिस से प्रभात पेट्रोल पंप की ओर आने वाले वाहनों को जिन्सी चौक से आने वाले ट्रैफिक को पार करना पड़ता है। इस स्थान पर ट्रैफिक सिग्नल बार-बार खराब होता है, जिससे टक्कर की आशंका बढ़ जाती है।


विशेषज्ञ की राय:
संरचनात्मक इंजीनियर और पुल विशेषज्ञ प्रखर पगारिया ने कहा कि “सर्पिल (serpentine) डिजाइन inherently खतरनाक होती है और केवल तब अपनाई जानी चाहिए जब स्थान की भारी कमी हो।” उन्होंने चेताया कि “अगर कोने, मोड़ और डिवाइडर्स को सावधानीपूर्वक नहीं प्लान किया गया, तो यह खासकर रात के समय चालकों के लिए जानलेवा हो सकता है।”

उन्होंने कहा कि इतनी जल्दी-जल्दी चार मोड़ देना और वह भी बिना पर्याप्त रिस्पॉन्स टाइम के, एक बेहद असुरक्षित डिजाइन को दर्शाता है।


निष्कर्ष:
बार-बार हो रही दुर्घटनाएं बीएमसी और संबंधित विभागों के लिए चेतावनी हैं कि वे पुल की संरचना की पुन: समीक्षा करें और जल्द से जल्द उचित सुधारात्मक कदम उठाएं, जिससे कोई बड़ा हादसा होने से रोका जा सके।

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