भोपाल: मध्यप्रदेश लोक निर्माण विभाग (MPPWD) ने हाल के सड़क और फ्लाईओवर निर्माण में खामियों को लेकर उठे विवादों के बीच अपने नए इंजीनियरों के लिए एक अहम फैसला लिया है। विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर सड़क, पुल और फ्लाईओवर के निर्माण और मरम्मत की सही तकनीकों पर आधारित प्रशिक्षण को अनिवार्य कर दिया है। यह प्रशिक्षण भारतीय सड़क परिषद (IRC) के मैन्युअल के अनुसार आयोजित किया जाएगा।
प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इंजीनियरों को एक आंतरिक परीक्षा देनी होगी। केवल वे ही इंजीनियर जिन्हें इस परीक्षा में सफलता मिलेगी, उन्हें फील्ड पोस्टिंग दी जाएगी।
हाल ही में विभाग चर्चा में तब आया जब भोपाल के ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज की बनावट पर सवाल उठे। ओवरब्रिज में तीखा 90 डिग्री मोड़ दिए जाने पर दो प्रमुख मुख्य अभियंताओं सहित आधा दर्जन से अधिक इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद इंदौर में भी इसी तरह के डिजाइन वाले एक अन्य ओवरब्रिज का मामला सामने आया, जहां दो तीखे मोड़ दिए गए थे। इस पर पीडब्ल्यूडी मंत्री ने सफाई दी कि यह डिज़ाइन पीडब्ल्यूडी मैनुअल के अनुसार है और मोड़ 114 डिग्री का है।
इसी बीच, राजधानी भोपाल सहित अन्य शहरों में बारिश के शुरुआती दौर में ही नई सड़कों पर दरारें और गड्ढे उभर आए, जिससे सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए। जब मंत्री से इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा, “जब तक सड़कें हैं, गड्ढे भी रहेंगे। दुनिया में कहीं भी ऐसी तकनीक नहीं है जिससे गड्ढा-मुक्त सड़कें बन सकें।” इस बयान पर भी काफी आलोचना हुई।
विभाग के एक मुख्य अभियंता ने इस सर्कुलर की पुष्टि करते हुए कहा, “हां, सर्कुलर जारी किया गया है। IRC मैनुअल में निर्माण और मरम्मत की सभी तकनीकी जानकारी और मापदंड दिए गए हैं, लेकिन नए इंजीनियर इसे ठीक से पढ़ नहीं रहे हैं। इसलिए यह प्रशिक्षण और परीक्षा अनिवार्य की गई है ताकि वे मैनुअल को गंभीरता से पढ़ें और समझें।”
इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में डिज़ाइन संबंधी गलतियों और घटिया निर्माण कार्य की पुनरावृत्ति न हो, और इंजीनियर आधुनिक मानकों के अनुरूप कार्य करें।