जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा, यशवंत वर्मा महाभियोग प्रस्ताव बना कारण

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे उनके तीन साल के विवादास्पद कार्यकाल का अंत हो गया। यह इस्तीफा अप्रत्याशित था और माना जा रहा है कि यह केंद्र सरकार की नाराजगी के कारण हुआ, क्योंकि धनखड़ ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष समर्थित महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा में स्वीकार कर लिया, जबकि ठीक ऐसा ही प्रस्ताव लोकसभा में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा पहले ही प्रस्तुत किया गया था।

धनखड़, जो राज्यसभा के सभापति भी थे, ने यह निर्णय भाजपा को बिना सूचित किए लिया — यह बात केंद्र सरकार को चौंकाने वाली लगी। इसके बाद सरकार के शीर्ष स्तर पर चली बंद कमरे की बैठकों के बाद, रात 9:25 बजे उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक संक्षिप्त पत्र भेजकर अपने इस्तीफे की सूचना दी, जिसे उन्होंने सबसे पहले सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर साझा किया।

सरकार की नाराजगी की पृष्ठभूमि
NDTV के अनुसार, सरकार ने कई बार महसूस किया कि धनखड़ ने ‘लक्ष्मण रेखा’ पार की है।

एक बड़ा उदाहरण दिसंबर 2023 का है, जब राज्यसभा विशेषाधिकार समिति ने आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा को सदन के नियमों का उल्लंघन करने और मीडिया को गुमराह करने का दोषी पाया था। हालांकि, धनखड़ ने उनकी 114 दिनों की निलंबन अवधि को पर्याप्त सज़ा बताते हुए उसे समाप्त कर दिया, जिससे सरकार असहज हुई।

धनखड़ ने खुद ही राघव चड्ढा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने दिल्ली सेवाएं विधेयक पर विचार के लिए बनी सेलेक्ट कमेटी में चार सांसदों के नाम उनकी सहमति के बिना जोड़ दिए थे।

राघव चड्ढा और सरकारी बंगला मामला
सरकार के सूत्रों ने राघव चड्ढा को मिले बंगले का मामला भी उठाया, जो कि एक नव-निर्वाचित सांसद के दर्जे से ऊपर का था। जब यह बंगला रद्द किया गया, तो चड्ढा ने खाली करने से इनकार कर दिया और अदालत चले गए। दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत दी, जिससे राज्यसभा सचिवालय उन्हें बेदखल नहीं कर सका

विपक्ष के साथ लगातार टकराव
धनखड़ के कार्यकाल के दौरान विपक्ष के साथ भी कई बार उनकी तीखी टकराहट हुई। उन पर भाजपा के पक्ष में पक्षपात करने और विपक्ष को संसद में बोलने का पर्याप्त मौका न देने के आरोप लगे। इन्हीं कारणों से पिछले वर्ष विपक्ष ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी।

निष्कर्ष
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब न्यायपालिका, संसद और कार्यपालिका के बीच शक्तियों की सीमाएं फिर चर्चा में हैं। अब देखना यह होगा कि नए राज्यसभा सभापति के रूप में कौन आता है और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का भविष्य क्या होता है।

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