मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को ‘मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र योजना एवं विकास विधेयक 2025’ पेश किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य भोपाल और इंदौर क्षेत्रों को मेट्रोपॉलिटन शहरों के रूप में विकसित कर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
विधेयक में मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र, मेट्रोपॉलिटन योजना समिति और मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MRDA) के गठन का प्रस्ताव है। इसमें भूमि अधिग्रहण, प्राधिकरण के गठन और अधोसंरचना नियोजन की विस्तृत प्रक्रिया शामिल है।
प्रस्तावित कानून के तहत, किसी भी मेट्रोपॉलिटन विकास एवं निवेश योजना, शहर विकास योजना या क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत चिन्हित भूमि को सार्वजनिक उपयोग के लिए आवश्यक माना जाएगा। यह भूमि “भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013” के दायरे में आएगी।
राज्य सरकार MRDA या स्थानीय अधिकारियों की अनुशंसा पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी। भूमि अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रियाएं, जैसे मुआवजा, जनसुनवाई और भुगतान, MRDA द्वारा की जाएंगी।
प्रत्येक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के लिए एक अलग योजना समिति बनेगी। MRDA का अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे, जबकि नगरीय विकास मंत्री, पंचायत मंत्री और राजस्व मंत्री इसके उपाध्यक्ष बनाए जाएंगे। इसके अलावा, सरकार किसी भी शहरी या ग्रामीण क्षेत्र को विकास क्षेत्र घोषित कर सकेगी। विधेयक में दो या अधिक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों के विलय का भी प्रावधान है।
बिल के क्रियान्वयन हेतु रु. 200 करोड़ की प्रारंभिक राशि के साथ मेट्रोपॉलिटन विकास कोष बनाया जाएगा। साथ ही MRDA को अपनी परियोजनाओं के लिए अलग से रु. 100 करोड़ का कोष दिया जाएगा।
अविकसित शहरी विस्तार पर नियंत्रण जरूरी: मंत्री विजयवर्गीय
बिल पेश करते हुए नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यह कानून तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण बड़े शहरों के आसपास अनियोजित विकास की चुनौती से निपटने के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “बिना योजना के हो रहा विकास, शहरी केंद्रों पर दबाव बढ़ा रहा है। यह अधिनियम उस विकास को एक संरचना देने में मदद करेगा।”
भोपाल मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा और ब्योरा (राजगढ़) शामिल होंगे। वहीं इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में इंदौर, देवास, उज्जैन, धार और शाजापुर के क्षेत्र आएंगे।
इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (IMR) का कुल क्षेत्रफल 9336.1 वर्ग किलोमीटर होगा। इंदौर की पूरी 3901.6 वर्ग किमी भूमि इसमें शामिल की गई है। उज्जैन का 44.99%, देवास का 29.72%, धार का 7.04%, और शाजापुर का 0.54% क्षेत्र इसमें शामिल किया गया है।