मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में क्लेरिकल गलती: हत्या के आरोपी को मिली जमानत की गलत जानकारी, आदेश दिन में ही वापस

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में हुई एक क्लेरिकल गलती के चलते कुछ घंटों के लिए हत्या के एक आरोपी को जमानत मिलने की गलत सूचना सामने आ गई, जबकि जिस आवेदक को राहत मिलनी थी, उसकी जमानत याचिका खारिज दिखा दी गई।

मामला विदिशा हत्या केस से जुड़ा है, जिसमें आरोपी अशोक के पिता हल्के भी सह-आरोपी हैं। 8 अगस्त की सुबह करीब 10:45 बजे अपलोड हुए आदेश में गलती से लिखा गया कि हल्के की जमानत याचिका मंजूर कर ली गई है और अशोक की याचिका खारिज कर दी गई है। जबकि असल आदेश में हल्के की याचिका खारिज और अशोक को जमानत देना तय था।

उसी दिन यह गलती पकड़ में आ गई और शाम करीब 6:30 बजे जस्टिस राजेश कुमार गुप्ता ने दोनों आदेश औपचारिक रूप से वापस लेते हुए टाइपिंग की त्रुटि को दर्ज किया। अब दोनों याचिकाओं की सुनवाई 11 अगस्त, सोमवार को फिर से होगी।

गलती से शुरू हुई रिहाई की प्रक्रिया
सुबह का आदेश देखने के बाद हल्के के वकील अमीन खान ने जमानत बांड तैयार कर कोर्ट में दाखिल कर दिया। यहां तक कि रिहाई आदेश जेल तक भी पहुंच गया था। लेकिन कोर्ट स्टाफ ने तुरंत वकील को क्लेरिकल गलती की जानकारी दे दी, जिससे रिहाई टल गई।

पृष्ठभूमि
यह मामला 5 जुलाई 2024 को विदिशा के ट्योंदा थाना क्षेत्र का है, जहां दुकानदार प्रकाश पाल पर डंडों और पत्थरों से हमला किया गया था, जिससे उनकी मौत हो गई। पुलिस ने 8 जुलाई को हल्के और 10 जुलाई को अशोक को गिरफ्तार किया था। दोनों ने बाद में जमानत याचिकाएं दायर कीं, जिनकी सुनवाई 7 अगस्त को हुई थी।

अगली सुबह अपलोड हुए आदेश में गलती से दोनों आवेदकों के नामों का अदला-बदली हो गई थी, जिसे अधिकारियों ने उसी शाम ठीक कर दिया।

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