विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, याद किए 1947 के दर्दनाक पल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारत के 1947 के विभाजन के दौरान पीड़ित हुए लोगों को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि यह दिन उन लोगों के साहस को सम्मान देने का अवसर है, जिन्होंने “अकल्पनीय क्षति” झेलने के बाद भी नए सिरे से जीवन की शुरुआत की। पीएम मोदी ने एक्स (X) पर लिखा, “भारत #PartitionHorrorsRemembranceDay मना रहा है, जब हम इतिहास के इस दुखद अध्याय में असंख्य लोगों द्वारा सहन की गई पीड़ा और उथल-पुथल को याद करते हैं। यह दिन उनके साहस, और नई शुरुआत करने की क्षमता को सम्मान देने का है।” उन्होंने आगे कहा, “इस त्रासदी से प्रभावित कई लोगों ने अपने जीवन का पुनर्निर्माण किया और उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। यह दिन हमारे देश की एकता को मजबूत करने की जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है।”

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 14 अगस्त का दिन “विभाजन की त्रासदी झेलने वालों के दर्द को याद करने और सम्मान देने” का दिन है। उन्होंने कांग्रेस पर देश को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए इसे इतिहास का काला अध्याय बताया। शाह ने एक्स (X) पर लिखा, “आज का दिन उन लोगों के दर्द को याद करने का दिन है जिन्होंने विभाजन की त्रासदी झेली। इसी दिन कांग्रेस ने देश को बांटा और भारत माता के सम्मान को आहत किया। विभाजन ने हिंसा, शोषण और अत्याचार का दौर शुरू कर दिया, जिससे लाखों लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुए। मैं उन सभी को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने इस पीड़ा को सहा और अपने प्राण गंवाए।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “हर भारतीय आज भी प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना महसूस करता है। हम देश में सामाजिक सौहार्द को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने लिखा, “मैं उन सभी भाई-बहनों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने 1947 के विभाजन के दौरान नफरत और हिंसा की भयावहता का सामना किया और अपने प्रियजनों तथा संपत्ति का नुकसान सहा।”

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि विभाजन ने “अत्यधिक पीड़ा दी और इसके दूरगामी मानवीय व रणनीतिक प्रभाव पड़े।” उन्होंने एक्स (X) पर लिखा, “#PartitionHorrorsRemembranceDay पर हम उन लोगों के साहस को याद करते हैं जिन्होंने इस भयानक त्रासदी को सहा। इस दर्दनाक अध्याय से कई सबक सीखे जा सकते हैं।”

विभाजन की विभीषिका
1947 में भारत का विभाजन, जिससे भारत और पाकिस्तान के अलग-अलग राष्ट्र बने, दक्षिण एशियाई इतिहास की सबसे निर्णायक और त्रासद घटनाओं में से एक था। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच राजनीतिक गतिरोध और ब्रिटिश शासन की जल्दबाज़ी में लिए गए फैसले का परिणाम था। धार्मिक आधार पर रैडक्लिफ़ आयोग द्वारा खींची गई सीमाओं ने करोड़ों लोगों के जीवन को झकझोर दिया। करीब 1.4 से 1.8 करोड़ लोग पलायन के लिए मजबूर हुए—हिंदू और सिख भारत की ओर, जबकि मुसलमान पाकिस्तान की ओर गए। इस दौरान भयंकर सांप्रदायिक हिंसा, नरसंहार, अपहरण और यौन हिंसा हुई, जिसमें 10 लाख से अधिक लोग मारे गए और असंख्य लोग जीवनभर के लिए घायल मन के साथ रह गए। शरणार्थियों से भरी ट्रेनें हमलों का शिकार बनीं, गांव उजाड़ दिए गए और परिवार एक रात में बिखर गए। इस त्रासदी को याद रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस घोषित किया। इस दिन पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी जाती है, प्रदर्शनी और अभिलेख प्रदर्शित होते हैं और सार्वजनिक संदेशों के माध्यम से यह संकल्प लिया जाता है कि भविष्य में ऐसे विभाजन और रक्तपात को कभी दोहराने नहीं देंगे।

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