मध्य प्रदेश के शाहडोल ज़िले में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने अद्भुत साहस और धैर्य दिखाते हुए तीन साल की मासूम को मौत के मुंह से बाहर खींच लिया। पिपरिया गांव की कंचन कोल रात में अपनी दादी के पास ज़मीन पर सो रही थी, जब एक बेहद जहरीला ‘कॉमन क्रेट’ सांप उसके बाएं हाथ की कोहनी पर तीन बार काट गया। चंद मिनटों में उसका शरीर सुन्न पड़ गया और सांसें थमने लगीं। परिवार ने तुरंत उसे जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी हालत नाज़ुक देखकर वेंटिलेटर पर रखा गया।
अगले 24 घंटों में डॉक्टरों ने ज़हर के फैलाव को रोकने के लिए 40 डोज़ एंटी-वेनम इंजेक्शन दिए। सुपर-स्पेशलिटी सुविधाओं के अभाव के बावजूद मेडिकल टीम ने हार नहीं मानी। 11 दिन तक वेंटिलेटर पर और 9 दिन ऑब्ज़र्वेशन में रखने के बाद, 15वें दिन कंचन ने खुद से दूध और खाना लेना शुरू किया। ज़हर की वजह से खोई आवाज़ भी धीरे-धीरे लौट आई। गुरुवार को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों ने इसे शाहडोल का अब तक का सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण सांप काटने का मामला बताया, जिसमें बचने की संभावना बेहद कम थी। कंचन के माता-पिता कृष्णा और गायत्री कोल ने डॉक्टरों को अपनी बेटी को “नई ज़िंदगी देने” के लिए धन्यवाद दिया।
गुना में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की मौत
उधर, गुना ज़िले के चंदन खिरिया गांव में 55 वर्षीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कला बाई नट की सांप के डसने से मौत हो गई। सुबह 6:30 बजे वह खेत में घास काटने गई थीं, तभी सांप ने उनके हाथ पर काट लिया। उनकी चीख सुनकर परिजन मौके पर पहुंचे और उन्हें जिला अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया और मामले की जांच शुरू कर दी।
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