वित्त विभाग ने खर्चों पर लगाई लगाम, सख्त अनुशासन लागू

राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने और बढ़ते खर्चों पर अंकुश लगाने के लिए वित्त विभाग ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

नवीन आदेश में विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार द्वारा स्वीकृत टेंडर के तहत क्रय या निर्माण कार्य पर निर्धारित राशि से कम खर्च होता है, तो बची हुई राशि का उपयोग अतिरिक्त कार्यों में नहीं किया जाएगा। कार्य केवल टेंडर में स्वीकृत धनराशि के अनुसार ही होना चाहिए और शेष राशि वित्त विभाग को लौटाई जाएगी।

वित्त विभाग ने यह भी कहा कि लंबे समय तक चलने वाले कार्यों के लिए एकमुश्त राशि कोषागार से नहीं निकाली जाएगी। सरकारी निर्माण एजेंसियों को भी पूरी राशि एक बार में नहीं दी जाएगी।

निर्देशों के अनुसार, सरकारी एजेंसियों के माध्यम से कराए जा रहे कार्यों के लिए प्रारंभ में 66% राशि प्रथम किस्त के रूप में दी जाएगी। जब उस राशि का 75% व्यय हो जाएगा, तभी शेष 34% राशि जारी की जाएगी। विभागों और सरकारी एजेंसियों के पास बची हुई धनराशि को ब्याज सहित सितंबर तक कोषागार में जमा करना अनिवार्य किया गया है।

पूंजीगत व्यय के लिए पहले वित्त समिति से अनुमोदन लेना होगा। इसके बाद प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाएगी। वित्त विभाग ने इस प्रक्रिया का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।

वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव मनीष रस्तोगी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि इन निर्देशों का उल्लंघन गंभीर वित्तीय अनियमितता माना जाएगा। इससे पहले विभाग ने सभी कार्यालयों को यह भी लिखा था कि बैंकों में जमा धन पर अर्जित ब्याज को भी वित्त विभाग को वापस किया जाए।

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