चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस : राहुल गांधी पर निशाना, CCTV फुटेज और फर्जी वोटर सूची पर दी सफाई

बिहार में INDIA गठबंधन की ‘वोट अधिकार यात्रा’ की शुरुआत के दिन रविवार को चुनाव आयोग ने दुर्लभ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। आमतौर पर चुनाव आयुक्त केवल चुनाव की घोषणा के समय ही मीडिया से रूबरू होते हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की तरह मौजूदा सीईसी ग्यानेश कुमार ने भी अपने बयान में कविताई और नाटकीय अंदाज दिखाया, जो किसी फिल्मी पटकथा जैसा लगा।

CCTV फुटेज पर जवाब

चुनाव आयोग द्वारा मतदान केंद्रों की CCTV फुटेज सार्वजनिक न करने के फैसले पर सफाई देते हुए ग्यानेश कुमार ने कहा, “कुछ दिन पहले कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना अनुमति मीडिया में दिखाई गईं। क्या चुनाव आयोग माताओं, बहुओं, बेटियों या अन्य मतदाताओं की CCTV वीडियो सार्वजनिक करे?” उन्होंने स्पष्ट किया कि CCTV फुटेज केवल चुनाव परिणामों के 45 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में ही असफल उम्मीदवारों को उपलब्ध कराई जाती है, उसके बाद फुटेज हटा दी जाती है।

राहुल गांधी के आरोपों पर

राहुल गांधी द्वारा पिछले आम चुनाव में बेंगलुरु की एक विधानसभा सीट पर 1 लाख से अधिक ‘फर्जी वोटरों’ का आरोप लगाने पर सीईसी ने कहा कि ऐसे गंभीर आरोप हलफनामे के साथ ही लगाए जाने चाहिए। उन्होंने दो टूक कहा, “या तो शपथपत्र दो, या फिर राष्ट्र से माफी मांगो। तीसरा कोई विकल्प नहीं है। सात दिन में शपथपत्र न देने का मतलब है कि आरोप निराधार हैं।”

मतदाता सूची में दोहराव

कुमार ने समझाया कि मतदाता सूची में नामों की पुनरावृत्ति कई बार पता बदलने पर हो जाती है। उन्होंने कहा, “2003 तक कोई एकीकृत वेबसाइट नहीं थी, हर राज्य की अलग वेबसाइट थी। केवल तकनीक से नाम हटाना गलत होगा, इसके लिए नियमानुसार प्रक्रिया जरूरी है।”

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर पर सवाल

जब उनसे पूछा गया कि राहुल गांधी को तो शपथपत्र देने का नोटिस भेजा गया, लेकिन भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर, जिन्होंने विपक्षी नेताओं के निर्वाचन क्षेत्रों पर ऐसे ही आरोप लगाए, उन्हें क्यों नहीं नोटिस मिला? इस पर सीईसी ने कहा कि “शिकायत करना अलग बात है, भ्रम फैलाना अलग और चुनाव आयोग पर आरोप लगाना बिल्कुल अलग।” उन्होंने स्पष्ट किया कि राहुल को ‘पंजीकरण नियमावली 20(3)(b)’ के तहत शपथपत्र जमा करने को कहा गया।

फर्जी पते और विशेष मामले

राहुल गांधी के आरोपों पर सीईसी ने कहा कि अवैध बस्तियों, बेघर या उन बस्तियों के मतदाताओं को, जहां घरों की नंबरिंग नहीं होती, कंप्यूटरीकृत फॉर्म में ‘काल्पनिक नंबर’ दिए जाते हैं।

महाराष्ट्र का मामला और मशीन-रीडेबल लिस्ट

महाराष्ट्र में असामान्य रूप से बढ़ी मतदाता संख्या के आरोप पर ग्यानेश कुमार ने कहा कि तब किसी भी पार्टी ने आपत्ति नहीं जताई थी, न ही हारने वाले उम्मीदवार अदालत गए। मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट की मांग पर उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में इस मुद्दे की गहन जांच की थी और पाया था कि मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट देना मतदाताओं की गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है। इसलिए यह प्रतिबंधित है।”

Switch Language »