GST रिफॉर्म: अधिकतर वस्तुओं-सेवाओं पर अब 5% और 18% स्लैब; सरकार कहती है — आम जनता के लिये निर्णय

केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि जीएसटी (GST) में व्यापक सुधारों के बाद अब अधिकांश वस्तुएं और सेवाएँ नए सरल स्लैब — 5% और 18% — के तहत करदायी होंगी, जबकि केवल दे-मेरिट या “सिन” उत्पादों पर उच्च दर 40% लागू रहेगी। इस बदलाव की घोषणा जीएसटी काउंसिल की बैठक (3 सितंबर) के बाद की गई, जिसमें कई वस्तुएं 18%/12% से 5% पर और कुछ 28% से 18% पर स्थानांतरित कर दी गईं।

सूत्रों के हवाले से मंत्रियों ने जोर देकर कहा कि यह सुधार करीब ढाई साल के प्रयास का नतीजा नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले के वादे के अनुरूप लाया गया एक दीर्घकालीन सुधार है। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “जीएसटी सुधार की तैयारी डेढ़ साल पहले शुरू हुई थी…यह विदेशियों या चुनावों से प्रेरित नहीं है। यह पीएम मोदी के ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ के लक्ष्यों के अनुरूप है और देश के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू करेगा।”

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह दर-संरचना जनहित के मद्देनजर पुनर्रचना है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन सुधारों को “गेम चेंजर” बताया और कहा कि सरल स्लैब, कम इनपुट लागत, तेज डिजिटल अनुपालन और बढ़ती मांग से ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती मिलेगी। केंद्र ने यह भी कहा कि 2025–26 के बजट में दी गई आयकर राहतों के साथ यह कदम अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगा।

राजनीतिक और वैश्विक पृष्ठभूमि के तौर पर, यह रियायतें उस समय आई हैं जब अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर बड़ी टैरिफ कार्रवाई की—ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत पर कुल मिलाकर 50% तक के दंडात्मक आयात शुल्क लगाए जाने के बाद यह चर्चा और तीव्र हो गई। केंद्र ने बार-बार कहा कि जीएसटी का पुनर्गठन केवल सार्वजनिक हित में है, न कि किसी बाह्य दबाव के प्रभाव में।

कृषि के दृष्टिकोण से भी यह अहम कदम बताया गया। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जीएसटी सुधार से किसानों के उत्पादन लागत घटाने और कुल उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। केंद्र ने राहत एवं आर्थिक विकास दोनों के तर्क देकर इस परिवर्तन को लागू करने का पक्ष मजबूत किया।

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