ईकेवाईसी विवाद पर विक्रेताओं का विरोध, कार्यवाही वापसी की मांग में उग्र आंदोलन की चेतावनी

ई-केवाईसी पोर्टल की खामियों पर विक्रेताओं का आक्रोश, कार्यवाही वापस लेने की चेतावनी

“हम सब एक हैं” के नारों से गूंजा सहकारिता कार्यालय, संगठन ने दी आंदोलन की चेतावनी

द क्लिफ़ न्यूज़, चौरई
राशन वितरण प्रणाली में अनिवार्य की गई ई-केवाईसी प्रक्रिया को लेकर आज चौरई नगर में बहुउद्देशीय सेवा सहकारिता समिति कार्यालय में एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में राशन विक्रेता और समिति कर्मचारी शामिल हुए। विक्रेताओं पर की जा रही कार्रवाई के विरोध में “हम सब एक हैं” के नारे लगाकर एकजुटता का प्रदर्शन किया गया।

बैठक में वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि ई-केवाईसी पोर्टल की तकनीकी खामियों और आधार से जुड़ी समस्याओं के कारण विक्रेताओं को कार्य में कठिनाई आ रही है। विशेष रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की ई-केवाईसी न हो पाना, बुजुर्गों के फिंगरप्रिंट फेल होना और आधार में मोबाइल नंबर अपडेट न होना जैसी समस्याएं सामने आई हैं। बावजूद इसके खाद्य और राजस्व विभाग द्वारा विक्रेताओं पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है, जिसे अन्यायपूर्ण बताया गया।

बैठक में जिला महामंत्री संतोष रघुवंशी ने विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कई विक्रेता एक ही हितग्राही के पास चार से पांच बार जाकर भी ई-केवाईसी नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन पोर्टल पर कम प्रतिशत दिखाकर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने पोर्टल सुधार की आवश्यकता बताते हुए कहा कि पोर्टल आधारित तकनीकी गड़बड़ियों के लिए विक्रेताओं को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

रघुवंशी ने यह भी कहा कि यदि तीन दिनों के भीतर विभाग द्वारा की गई कार्यवाही को वापस नहीं लिया गया, तो संगठन उग्र आंदोलन करेगा। उन्होंने पोर्टल को दुरुस्त करने और जिन हितग्राहियों की ई-केवाईसी नहीं हो पा रही, उनके नामों को प्रतिवेदन के आधार पर हटाने की मांग की।

बैठक में ये रहे प्रमुख रूप से शामिल
बैठक में चौरई ब्लॉक अध्यक्ष रेखन सनोडिया, कोषाध्यक्ष विनीत बंदेवार, सुरेश वर्मा, चांद से किशोर माहौरे, मुरली शुक्ला, बिछुआ ब्लॉक अध्यक्ष सहदेव डोंगरे सहित बड़ी संख्या में राशन विक्रेता एवं समिति कर्मचारी शामिल हुए।

संगठन ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे एकजुट होकर व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। बैठक के अंत में सभी सदस्यों ने एकमत से प्रशासन को चेतावनी दी कि निर्णयों को जनहित में बदला जाए और विक्रेताओं पर थोपी गई ज़िम्मेदारियों को यथार्थ की कसौटी पर परखा जाए।

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