नई दिल्ली, 24 मई 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में नीतिआयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। खास बात यह है कि तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, जो पिछली बैठक से अनुपस्थित रहे थे, इस बार बैठक में हिस्सा ले रहे हैं।
बैठक का मुख्य उद्देश्य यह है कि राज्य “विकसित भारत” की यात्रा में कैसे ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ बन सकते हैं, इस पर केंद्र और राज्यों के बीच मंथन किया जा सके।
पिछली बैठक में विपक्ष ने किया था बहिष्कार
जुलाई 2024 में हुई 9वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक का विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों ने बहिष्कार किया था, सिवाय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के, जिन्होंने बीच में बैठक छोड़ दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें पर्याप्त बोलने का समय नहीं दिया गया।
इस बार ममता बनर्जी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बैठक में शामिल होने की संभावना नहीं है।
तमिलनाडु और पंजाब के सीएम उठाएंगे मुद्दे
MK स्टालिन (तमिलनाडु):
- डीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, जिन्होंने पिछले साल का बहिष्कार नेतृत्व किया था, इस बार बैठक में हिस्सा ले रहे हैं।
- उन्होंने 21 मई को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: “मैं 24 मई को दिल्ली जा रहा हूं, तमिलनाडु के लिए निष्पक्ष वित्तीय अधिकारों का समर्थन करने के लिए। मैं अपने सिद्धांत पर अडिग रहूंगा! तमिलनाडु के लिए फंड पाने के लिए लड़ूंगा!”
भगवंत मान (पंजाब):
- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (AAP) ने कहा कि वे नंगल डैम की सुरक्षा में तैनात 296 CISF जवानों के मुद्दे को उठाएंगे।
- उनका आरोप है कि यह कदम राज्य का पानी “छीनने” और उसी के लिए पंजाब से पैसा वसूलने जैसा है। “हमारा पानी लूटा जाए और हमसे ही पैसे भी लिए जाएं — यह हम नहीं होने देंगे।”
यह विवाद पंजाब और हरियाणा के बीच डैम से जल बंटवारे को लेकर पैदा हुआ है, जिसके चलते केंद्र ने 21 मई को CISF की तैनाती मंज़ूर की थी।
बैठक के मुख्य एजेंडे:
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अनुसार, बैठक में निम्न मुद्दों पर चर्चा होगी:
- विकसित भारत (Viksit Bharat) की दिशा में राज्यों की भूमिका।
- उद्यमिता को बढ़ावा देना और नौकरी के टिकाऊ अवसर पैदा करना।
- स्किलिंग और शिक्षा के जरिए युवाओं को सक्षम बनाना।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच सहमति बनाना।
बैठक में पीएम मोदी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, नीतिआयोग के उपाध्यक्ष और सदस्य उपस्थित होंगे।
निष्कर्ष:
विपक्षी मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी इस बार की नीतिआयोग बैठक को खास बना रही है। जहां केंद्र विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में राज्यों की साझेदारी को मजबूत करना चाहता है, वहीं विपक्षी मुख्यमंत्री राज्य की वित्तीय उपेक्षा और अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर आवाज़ उठाने को तैयार हैं। यह बैठक संघीय लोकतंत्र की साझा भागीदारी और संवाद का एक अहम मंच साबित हो सकती है।