भोपाल में साइबर क्राइम का कहर जारी, जनवरी से मई 2025 तक ₹9.3 करोड़ की ठगी, रिकवरी महज 2%

भोपाल में साइबर अपराध के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। वर्ष 2025 के जनवरी से मई माह के बीच ही साइबर क्राइम ब्रांच में 440 से अधिक शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। इन मामलों में ठगों ने ₹9.3 करोड़ की रकम ठगी है, जो शहरवासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

तीन साल में ₹104 करोड़ से अधिक की ठगी, रिकवरी बेहद कम

अधिकारियों के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच भोपाल के नागरिकों से कुल ₹104 करोड़ से अधिक की ऑनलाइन ठगी हुई, जिसमें वर्ष 2024 में ही लगभग ₹63 करोड़ की ठगी दर्ज की गई — जो अब तक का सबसे भयावह वर्ष रहा। इस अवधि में कुल ठगी गई रकम का मात्र 2% ही वापस दिलाया जा सका, जो रिकवरी व्यवस्था की कमजोर स्थिति को दर्शाता है। 2025 में अब तक ₹46.46 लाख साइबर अपराधियों के खातों में फ्रीज किए गए, जिनमें से केवल ₹7.88 लाख ही पीड़ितों को लौटाए जा सके हैं।

बैंक करें पीड़ितों की मदद: पुलिस अधिकारी

एक वरिष्ठ अपराध शाखा अधिकारी ने कहा कि ठगी गई रकम की वापसी कठिन कार्य है। भले ही पुलिस साइबर अपराधियों के बैंक खातों को फ्रीज कर दे, लेकिन रकम की वापसी के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। यदि एक ही खाते से कई लोग ठगे गए हों, तो अदालत में ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर ही राशि लौटाई जाती है। उन्होंने कहा कि बैंक पीड़ितों को उनकी मेहनत की कमाई लौटाने में मदद नहीं करते।

अधिकारी ने सुझाव दिया कि बैंकों को साइबर क्राइम सहायता डेस्क बनानी चाहिए और ‘म्यूल अकाउंट्स’ पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए, जो साइबर अपराधियों की रीढ़ हैं।

NCRP शिकायत संख्या को माना जाएगा FIR के समान

साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने बताया कि अब अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या वेबसाइट cybercrime.gov.in के माध्यम से शिकायत करता है और उसकी रकम किसी खाते में फ्रीज होती है, तो NCRP की शिकायत संख्या को FIR की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे मामलों में पीड़ित सीधे अदालत में वकील के माध्यम से बैंक को पैसा लौटाने का आदेश दिलवा सकते हैं, FIR का इंतजार आवश्यक नहीं है।

पीड़ितों को UTR रखना चाहिए सुरक्षित

अधिकारी ने कहा कि जब कई राज्यों की पुलिस एक ही अकाउंट को फ्रीज करती है और उसमें कई पीड़ित जुड़े होते हैं, तब पैसे की पहचान और वापसी जटिल हो जाती है। ऐसे में पीड़ितों को अपनी यूनिक ट्रांजैक्शन रेफरेंस (UTR) संभालकर रखना चाहिए, जिससे ट्रांजैक्शन का ट्रैक मिल सके।

स्टाफ की कमी और हेल्पलाइन का लचर संचालन

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में 1930 हेल्पलाइन के लिए एक कॉल सेंटर बना है, लेकिन अक्सर कॉल व्यस्त रहती है या जुड़ नहीं पाती। इसके कारण शिकायत समय पर दर्ज नहीं हो पाती। वहीं, साइबर क्राइम ब्रांच में करीब 70 स्टाफ हैं, जिनमें से अधिकतर को कानून-व्यवस्था की ड्यूटी में भी लगाया जाता है।

‘म्यूल अकाउंट’ और फर्जी सिम कार्ड के खिलाफ अभियान: कमिश्नर

भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा कि म्यूल अकाउंट्स और प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड्स के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में जब अपराधी पकड़े जाते हैं, तो वे समझौते के नाम पर पीड़ित को पैसा लौटाकर मामला अदालत से बाहर निपटाने की कोशिश करते हैं।

भोपाल पुलिस साइबर अपराधों को रोकने के लिए सक्रिय प्रयास कर रही है और आगामी दिनों में इससे निपटने के लिए और ठोस रणनीतियाँ अपनाई जाएंगी।

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