मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में वित्तीय अधिकार नियमावली 2025 (भाग-1) को मंजूरी दी गई। यह नियमावली वित्तीय अधिकार नियमावली 2012 (भाग-1) का स्थान लेगी और आगामी 1 जुलाई से प्रभावी होगी।
नवीन नियमावली का उद्देश्य शासकीय कार्यों में व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। इसके तहत राज्य वित्त विभाग को टंकण त्रुटियों को सुधारने और भविष्य में आवश्यकतानुसार संशोधन करने का अधिकार दिया गया है। साथ ही, नियमावली का हिंदी संस्करण प्रकाशित करने की अनुमति भी दी गई है।
राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, 2012 की नियमावली में संशोधन की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि:
- बीते 13 वर्षों में विभिन्न वस्तुओं की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है,
- कार्यालय संचालन से संबंधित नए व्यय मदों का उदय हुआ है,
- अप्रासंगिक वस्तुओं को हटाकर नए और प्रासंगिक मदों को शामिल किया गया है,
- कई पुराने कार्यालय उपकरण और सामग्री अब उपयोग में नहीं हैं,
- अधिकारों का अधिक विकेंद्रीकरण आवश्यक हो गया है,
- योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन के लिए बजट प्रावधानों के समय पर उपयोग की आवश्यकता है।
नियमावली की प्रमुख नई प्रावधान:
- प्रशासनिक विभाग अब बजट नियंत्रक अधिकारी नियुक्त कर सकेंगे।
- विभाग परियोजना कार्यों हेतु परामर्शदाताओं और एजेंसियों को नियुक्त कर सकेंगे।
- इंटर्न नियुक्त करने का अधिकार भी विभागों को दिया गया है।
- फंडामेंटल रूल 46 के अंतर्गत मानदेय स्वीकृत करने का अधिकार दिया गया है।
- विभाग अब अधिक पेंशन या अनुदान भुगतान को बट्टे खाते में डालने की अनुमति प्राप्त कर चुके हैं।
- विभागीय भवनों के ध्वस्तीकरण की स्वीकृति अब विभाग स्वयं ले सकते हैं।
- कर्मचारियों को 80% तक चिकित्सा अग्रिम की स्वीकृति बिना स्वास्थ्य विभाग से परामर्श के दी जा सकेगी।
यह संशोधित नियमावली प्रशासनिक निर्णयों को तेज, सरल और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।