30 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट के तीन नए न्यायाधीशों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। ये तीनों न्यायाधीश हैं – कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. अंजनिया, गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश ए. एस. चंदुरकर। इनकी नियुक्ति 29 मई को की गई थी।
इनकी नियुक्ति के साथ ही देश की सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीशों की पूर्ण स्वीकृत संख्या – 34 – एक बार फिर पूरी हो गई है। हालांकि, 9 जून को न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी के सेवानिवृत्त होने से एक रिक्ति फिर उत्पन्न हो जाएगी।
तीन नए न्यायाधीशों का परिचय:
🔹 न्यायमूर्ति एन. वी. अंजनिया
जन्म: 23 मार्च, 1965 – अहमदाबाद
न्यायिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति अंजनिया ने एच.एल. कॉलेज ऑफ कॉमर्स, अहमदाबाद से स्नातक किया और 1988 में सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज से एल.एल.बी. करने के बाद 1989 में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की।
उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट में वकालत की, जहां वे संवैधानिक, सिविल, श्रम और सेवा से जुड़े मामलों में सक्रिय रहे। उन्हें 2011 में गुजरात हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश और 2013 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वे 25 फरवरी 2024 को कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे।
🔹 न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई
जन्म: 26 मार्च, 1964 – जोधपुर
राजस्थान हाईकोर्ट और केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, जोधपुर में वकालत करने वाले न्यायमूर्ति बिश्नोई को 8 जनवरी 2013 को राजस्थान हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश और 7 जनवरी 2015 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया था।
वे 5 फरवरी 2024 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे।
🔹 न्यायमूर्ति ए. एस. चंदुरकर
जन्म: 7 अप्रैल, 1965
उन्होंने पुणे के सेंट विंसेंट हाई स्कूल, नेस वाडिया कॉलेज और आईएलएस लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। 1988 में वकालत शुरू की और 1992 में नागपुर स्थानांतरित होकर विभिन्न न्यायालयों में प्रैक्टिस की।
उन्हें 21 जून 2013 को बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
इन तीनों न्यायाधीशों की नियुक्ति पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय के सेवानिवृत्त होने के बाद हुई रिक्तियों को भरने के लिए की गई है।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 29 मई को सोशल मीडिया पर इनकी नियुक्तियों की घोषणा की थी, जो सर्वोच्च न्यायालय की कॉलेजियम सिफारिशों के आधार पर की गई थी।