पार्लियामेंट के विशेष सत्र की मांग को लेकर विपक्ष की बैठक आज, Pahalgam हमले पर चर्चा की तैयारी

भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) के नेता मंगलवार, 3 जून 2025 को राजधानी में एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य केंद्र सरकार पर दबाव बनाना है ताकि संसद का विशेष सत्र बुलाया जा सके और Pahalgam में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद उत्पन्न हालातों पर चर्चा की जा सके।

विपक्ष का कहना है कि उसने सरकार के साथ एकजुटता दिखाई है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूती से रखने के प्रयासों का समर्थन किया है। वर्तमान में सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल विश्व के विभिन्न हिस्सों की यात्रा कर रहे हैं, जिससे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर वैश्विक ध्यान केंद्रित किया जा सके। विपक्ष चाहता है कि ये विशेष सत्र तब बुलाया जाए जब ये प्रतिनिधिमंडल अगले सप्ताह तक देश लौट आएं।

विपक्षी दल संसद में एक “पूर्ण और स्पष्ट बहस” की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूंछ, उरी और राजौरी में नागरिकों की हत्या, संघर्ष विराम घोषणाएं और आतंकवादी घटनाओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा, “विदेशी सरकारों और उनकी मीडिया को ब्रीफ किया गया है, लेकिन भारतीय संसद को नहीं।”

सूत्रों के अनुसार, विपक्ष इस पर असमंजस में है कि प्रधानमंत्री को एक संयुक्त पत्र लिखा जाए या प्रत्येक विपक्षी सांसद अलग-अलग पत्र भेजें। इसपर अंतिम निर्णय मंगलवार की बैठक में लिया जाएगा।

हालांकि, बैठक में कुछ प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति भी तय मानी जा रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की ओर से कोई प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं होगा। शरद पवार ने पहले ही कहा था कि संसद का विशेष सत्र बुलाना शायद उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा, “मैं विशेष सत्र बुलाने के खिलाफ नहीं हूं… लेकिन यह एक संवेदनशील और गंभीर विषय है, और संसद में इस पर खुलकर चर्चा करना शायद सही न हो। इस परिस्थिति में राष्ट्रीय हित में जानकारी को गोपनीय रखना आवश्यक है।”

इससे पहले 8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक हो चुकी है।

सोमवार, 2 जून को, राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विशेष सत्र की मांग दोहराई। उन्होंने पत्र में विदेश नीति में कथित विदेशी हस्तक्षेप का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने में भूमिका निभाई है।

मनोज झा ने लिखा, “जब विदेशी नेता भारत की सुरक्षा संबंधी चुनौतियों को हल करने का श्रेय लेने लगते हैं, तब देश की वैश्विक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है। अमेरिकी हस्तक्षेप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान को एक ही फ्रेम में रख दिया है। जो भारत की आतंकवाद के खिलाफ वैध प्रतिक्रिया थी, वह अब राष्ट्रपति ट्रंप के कथित वैश्विक मध्यस्थता अभियान का हिस्सा बन गई है।”

Switch Language »