भोपाल की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था चरमराई: बीसीएलएल बस सेवा सिमटी, यात्री बेहाल

कभी भोपाल की सड़कों पर दौड़ती बीसीएलएल (भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड) की 368 बसें अब मात्र 86 पर सिमट गई हैं, जिनमें से 5 से 7 बसें रोजाना खराबी के चलते बंद पड़ी रहती हैं। पहले शहर की 24 रूटों पर चलने वाली यह सेवा अब सिर्फ 6 रूटों तक सीमित रह गई है। इससे हजारों दैनिक यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

जहां पहले हर 5 से 10 मिनट में एक बस मिल जाती थी, वहीं अब यात्रियों को 30 मिनट से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ता है। यात्रियों की संख्या भी घटकर 1.5 लाख से मात्र 10,000–12,000 प्रतिदिन रह गई है। आने वाले दिनों में और रूटों पर सेवा बंद होने की आशंका जताई जा रही है, जिससे शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था गहरे संकट में है।

इस व्यवस्था के कमजोर पड़ते ही ई-रिक्शा शहर में परिवहन की मुख्य धुरी बनते जा रहे हैं। आरटीओ के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 7,000 से ज्यादा ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हुए थे, और इस साल अब तक 1,500 और जुड़ चुके हैं। यह संख्या उन हजारों अनरजिस्टर्ड ई-रिक्शाओं को शामिल नहीं करती, जो शहर भर में धड़ल्ले से चल रहे हैं।

वहीं, बागसेवनिया डिपो में बीसीएलएल की 149 बसें खड़ी-खड़ी जंग खा रही हैं। ये बसें Maa Associates की हैं, जिसने टिकटिंग ऐप “Chalo” के साथ भुगतान विवाद के चलते सेवा स्थगित कर दी थी। अब विवाद सुलझ गया है, लेकिन Maa Associates इन बसों के लिए मुआवजे की मांग कर रही है और मामला अदालत में विचाराधीन है।

यात्रियों की दुर्दशा

विदिशा निवासी लक्ष्मण सिंह गुरुवार को इलाज के लिए भोपाल आए और ISBT बस स्टैंड पर बस का इंतजार करते हुए 40 मिनट बिता दिए। अंततः उन्होंने ई-रिक्शा से सफर किया। ऐसे सैकड़ों उदाहरण शहरभर में देखे जा सकते हैं, जहां लोग अब निजी परिवहन के भरोसे हैं क्योंकि बीसीएलएल की बस सेवा भरोसेमंद नहीं रही।

बीसीएलएल के प्रबंधक रोहित यादव ने कहा, “मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए तत्काल समाधान संभव नहीं है, लेकिन हम वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी कोशिश कर रहे हैं।”

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