राज्य में बढ़ता पर्यावरणीय विवाद: अफसरशाही में खलबली

राज्य में एक पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा तेजी से तूल पकड़ता जा रहा है। कई लोग इस मसले पर सक्रिय हो गए हैं। एक सेवानिवृत्त अधिकारी के पत्र ने सरकार के कई बड़े अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। इस अधिकारी ने एक अहम संगठन में उच्च पद पर रहते हुए काम किया था। इसी मुद्दे को सुलझाने के लिए बडे़ साहब ने एक बैठक बुलाई, जिसमें एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने प्रमुख सचिव (पीएस) पर तीखी टिप्पणी कर दी। उन्होंने पीएस से कहा कि अगर वे आदेशों को नियमों के तहत उचित ठहरा सकें, तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। रिटायर्ड साहब ने यह भी कहा कि पीएस को ऐसे आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं था। बैठक एक घंटे तक चली, लेकिन साहब के सख्त रुख के कारण कोई हल नहीं निकल सका। आखिर में साहब को ही समाधान निकालने की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन उन्होंने तीन शर्तें रखीं, जिन पर अमल होने पर ही मसला सुलझाने की बात कही। इस पूरे मामले में एक महिला आईएएस अधिकारी का तबादला तय माना जा रहा है।

त्रिकोण में फंसे वरिष्ठ अफसर

राज्य का एक वरिष्ठ अधिकारी प्रशासनिक उलझन में फंसा हुआ है। फिलहाल वह एक कम महत्वपूर्ण विभाग में पदस्थ है, और उसका तबादला तभी संभव है जब तीन प्रमुख व्यक्ति—राज्य प्रमुख, बडे़ साहब और एक खास व्यक्ति—सहमति दें। जिन कारणों से उन्हें इस विभाग में भेजा गया था, वे अब उतने गंभीर नहीं रहे। लेकिन अब भी कोई अधिकारी यह पूछने का साहस नहीं कर रहा कि इस अधिकारी को मुख्य धारा में कब लाया जाएगा। जिस विभाग में वह कार्यरत हैं, वहां बिना उस खास व्यक्ति की सहमति के किसी का भी तबादला संभव नहीं है। पहले भी जब सरकार ने उनकी मर्जी के खिलाफ एक अफसर की नियुक्ति की थी, तो उसके कार्यशैली से वह इतने नाराज हुए कि सरकार को वह अधिकारी हटाना पड़ा। ऐसे में इस अफसर का तबादला आसान नहीं रह गया है।

विवाह समारोह में छाए दो अधिकारी

एक वरिष्ठ अधिकारी के परिवार में आयोजित विवाह समारोह में दो अफसर खास आकर्षण का केंद्र रहे। इन दोनों में से एक को राज्य की शीर्ष नौकरशाही की कमान मिल सकती है। इनमें से एक अधिकारी को हाल ही में केंद्र सरकार में कम महत्व का पद मिला है, लेकिन वह राज्य में प्रमुख सचिव बनने की कोशिश में है। उसे भरोसा है कि बडे़ साहब को विस्तार मिलेगा, और वह उनके बाद पद संभाल सकता है। यह अधिकारी कम बोलता है, इसलिए आमतौर पर उससे लोग दूरी बनाए रखते हैं, लेकिन समारोह में वह सभी से खुलकर मिला, खासतौर से जूनियर अधिकारी उससे बात करने पहुंचे। वहीं केंद्र में कार्यरत दूसरे अधिकारी को भी राज्य के अफसरों ने खास अहमियत दी।

साहब का पानी और खर्च का खेल

राज्य में एक गैर-आईएएस अधिकारी के प्रभाव की चर्चा जोरों पर है। यह अधिकारी कोई भी काम बिना ‘गाजर’ लिए नहीं करता। उसका विभाग उसके निजी और पारिवारिक खर्च उठाता है। अब साहब ने महंगे पानी पीने की आदत डाल ली है, जिसकी कीमत है ₹150 प्रति लीटर। यह शौक उन्हें राज्य की राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान चढ़ा। विभाग इस पानी का खर्च सीधे दिखा नहीं सकता, इसलिए अन्य मदों में इसे समायोजित किया जा रहा है। यह अफसर पहले जिस विभाग में था, वहां भी गड़बड़ियों में शामिल रहा है, और जांच एजेंसियां उसके पीछे हैं। फिर भी सरकार बनते ही उसे महत्वपूर्ण विभाग दे दिया गया। विभाग के प्रमुख सचिव उससे नफरत करते हैं, लेकिन कुछ कर नहीं सकते।

मियां-बीवी की जोड़ी और योजना की स्वीकृति

“मियां बीवी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी?” यह कहावत एक राज्य सरकार की योजना पर बिल्कुल सटीक बैठती है। योजना अच्छी मानी जा रही है, लेकिन इसे तैयार करने और इसकी तेजी से मंजूरी दिलाने में एक आईएएस दंपत्ति की अहम भूमिका मानी जा रही है। मैडम ने इसकी रूपरेखा बनाई और साहब के विभाग ने बिना किसी आपत्ति के तुरंत स्वीकृति दे दी। फिर साहब ने सरकार के उच्च स्तर पर इसकी मंजूरी दिलाई। यह योजना विधानसभा सत्र में अनुपूरक बजट के जरिए वित्तीय स्वीकृति पाएगी। इस त्वरित स्वीकृति को लेकर अन्य विभागों में भी चर्चाएं हो रही हैं।

बड़े जिले की चाहत में साहब

एक अधिकारी, जो पहले कलेक्टर नियुक्त होने पर विवादों में आए थे, वर्तमान सरकार बनने के बाद फिर से कलेक्टर बन गए। अब वे अपने वर्तमान जिले से बड़ा जिला चाहते हैं और इसके लिए पांच प्रमुख जिलों पर नजर गड़ाए हुए हैं। उनका एक करीबी रिश्तेदार बीजेपी का बड़ा नेता है, जो दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेता के नजदीक है। इसी नेता की सिफारिश पर उन्हें पहले कलेक्टरशिप मिली थी और अब फिर से वह एक बड़े जिले में तैनाती की कोशिश में हैं। हालांकि उनकी छवि एक ईमानदार अफसर की नहीं है। पहले कार्यकाल में पर्दे के पीछे हुए सौदों के कारण उन्हें हटाया गया था। अब वे सतर्कता से काम कर रहे हैं और तीसरी पोस्टिंग के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

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