नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित ‘दिल्ली क्लासरूम निर्माण घोटाले’ में बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 जून को राजधानी के 37 ठिकानों पर छापेमारी की। ये कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई, जिसमें 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय गड़बड़ी के पुख्ता सबूत मिले हैं।
ईडी की जांच दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा (ACB) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है, जिसमें पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन समेत अन्य लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
कैसे हुआ घोटाला?
जांच एजेंसी के अनुसार, 2015 से 2023 के बीच लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा लगभग 12,748 अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण के लिए भारी वित्तीय अनियमितताएं की गईं।
- प्रारंभिक स्वीकृति केवल 2,405 कक्षाओं की थी।
- इसे बिना पर्याप्त प्रशासनिक मंजूरी के पहले 7,180 ‘इक्विवैलेंट क्लासरूम’ और फिर 12,748 कक्षाओं तक बढ़ाया गया।
- इसके चलते लागत में लगभग 49.03 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
क्या मिला छापेमारी में?
- दिल्ली सरकार की मूल विभागीय फाइलें और PWD अधिकारियों की रबर स्टैम्प्स एक निजी ठेकेदार के परिसर से बरामद हुईं।
- 322 बैंक पासबुक, जो कथित रूप से मजदूरों के नाम पर खोले गए ‘म्यूल अकाउंट्स’ से संबंधित हैं, जिससे सरकारी धन की हेराफेरी की गई।
- फर्जी लेटरहेड, शेल कंपनियों के दस्तावेज, और जाली खरीद बिल, जो दर्शाते हैं कि निर्माण कार्य में शामिल कई फर्मों का कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं था।
- जाली चालान (इनवॉइस), जिनमें या तो अत्यधिक बढ़ी हुई लागत दिखाई गई थी या पूरी तरह से मनगढ़ंत दावे किए गए थे।
डिजिटल और वित्तीय साक्ष्य की जांच जारी
ईडी ने कहा कि बड़ी मात्रा में डिजिटल डेटा और वित्तीय दस्तावेज बरामद किए गए हैं, जिनकी फॉरेंसिक जांच चल रही है।
जांच एजेंसी के अनुसार, अब तक मिले सबूत दर्शाते हैं कि इस घोटाले में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार, शेल कंपनियों का प्रयोग, और सार्वजनिक धन का व्यवस्थित गबन किया गया है। ईडी ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले में आगे की जांच जारी है और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।