मध्यप्रदेश के 5 ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव, सांस्कृतिक धरोहर को मिलेगा नया आयाम

भोपाल: मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड (MPT) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव भेजा है, जिसमें राज्य के पाँच ऐतिहासिक स्थलों — असीरगढ़, देवगढ़, रायसेन किला, बाघ गुफाएं और गिन्नौरगढ़ किला — को यूनेस्को की अस्थायी विश्व धरोहर सूची (Tentative List) में शामिल करने की अनुशंसा की गई है।

मध्यप्रदेश पहले से ही 18 धरोहर स्थलों का गर्वीला स्वामी है, जिनमें से 3 यूनेस्को की स्थायी सूची में और 15 अस्थायी सूची में हैं। इस नई पहल से राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मान्यता मिलने की उम्मीद है।

एमपीटी बोर्ड की अतिरिक्त प्रबंध निदेशक विदिशा मुखर्जी ने बताया, “हमने 12 स्थलों पर काम शुरू किया है, जिनमें से 5 स्थलों के नाम एएसआई को भेज दिए गए हैं। इनके यूनेस्को की सूची में शामिल होने से अंतरराष्ट्रीय पहचान, पर्यटकों की संख्या में वृद्धि और राज्य की ब्रांड वैल्यू को मजबूती मिलेगी।”

प्रस्तावित 5 धरोहर स्थल और उनका महत्व:

🔹 असीरगढ़ किला
विदिशा जिले की ऊँचाई पर स्थित यह दुर्ग मध्यकालीन सैन्य स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण है। इसके मजबूत किलेबंदी और जल प्रबंधन प्रणाली उस काल की उन्नत तकनीकी क्षमताओं को दर्शाते हैं।

🔹 देवगढ़
प्राचीन मंदिरों और पुरातात्विक अवशेषों के लिए प्रसिद्ध देवगढ़ भारतीय शिल्पकला की उत्कृष्टता का प्रतीक है। यहां की शिलालेख और मूर्तियां ऐतिहासिक धार्मिक प्रथाओं की झलक देती हैं।

🔹 रायसेन किला
पहाड़ी पर स्थित यह किला हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैलियों के संगम को दर्शाता है। इसकी विशाल दीवारें, बुर्ज और महलनुमा संरचनाएं क्षेत्र के स्थापत्य विकास की कहानी बयां करती हैं।

🔹 बाघ गुफाएं
बौद्ध धर्म से जुड़ी ये शैल-कट गुफाएं चित्रकला और मूर्तिकला का अनमोल उदाहरण हैं। यह स्थल प्राचीन बौद्ध मठ-जीवन और कलात्मक परंपराओं का प्रमाण है।

🔹 गिन्नौरगढ़ किला
यह दुर्ग मध्यकालीन सैन्य शक्ति और निर्माण तकनीक का प्रतीक है। इसकी भौगोलिक स्थिति और किलेबंदी उस युग की रक्षा नीति को उजागर करती है।

संरक्षण और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

राज्य सरकार ने इन स्थलों पर संरक्षण और अधोसंरचना विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। साथ ही, स्थानीय समुदायों को धरोहर संरक्षण और पर्यटन प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि पर्यटन और संरक्षण में संतुलन बना रहे। इसके अलावा, सतत पर्यटन (sustainable tourism) की दिशा में भी योजनाएं बनाई जा रही हैं।

इस पहल से न केवल मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर मजबूती मिलेगी, बल्कि राज्य को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

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