चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ के मामले में कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट को बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आईपीएल टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के नौकरों की तरह बर्ताव कर रहे थे। इस मामले में आईपीएस अधिकारी विकास कुमार के निलंबन को सही ठहराते हुए राज्य सरकार ने कहा कि उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया।
राज्य की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने दलील दी कि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) का आदेश उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है और इसे स्थगित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि विकास कुमार समेत अन्य अधिकारियों के निलंबन को केंद्र सरकार ने भी मंजूरी दी थी और यह आदेश 5 जून को जारी हुआ था।
सरकारी वकील ने अदालत में कहा, “आरसीबी ने फाइनल मैच के पहले ही संभावित जीत के जश्न के लिए पुलिस को आवेदन दिया था। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने यह नहीं पूछा कि इस कार्यक्रम की अनुमति किसने दी है, बल्कि वे सीधे सुरक्षा व्यवस्था में लग गए। वे RCB के नौकर की तरह व्यवहार कर रहे थे।”
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि इतने बड़े जनसमूह को सिर्फ 12 घंटे की सूचना में संभालना असंभव था और इस परिस्थिति में संबंधित अधिकारी क्या कर रहे थे, यह भी एक सवाल है। “क्या उन्होंने कोई कदम उठाया? पुलिस अधिनियम के तहत निषेधाज्ञा जारी करने की बजाय उन्होंने सिर्फ बंदोबस्त किया,” सरकार की ओर से कहा गया।
उल्लेखनीय है कि 4 जून को आरसीबी की पहली आईपीएल जीत के बाद हजारों प्रशंसक बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जमा हो गए थे, जिसके चलते भगदड़ मच गई। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। इसके बाद एसीपी विकास कुमार और अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि बाद में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने विकास कुमार के निलंबन को रद्द कर दिया, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की।
अपनी दलील में कांग्रेस-शासित कर्नाटक सरकार ने इस भगदड़ के लिए सीधे RCB को जिम्मेदार ठहराया और कई चूक की ओर इशारा किया। इनमें क्रिकेटर विराट कोहली का सार्वजनिक वीडियो अपील भी शामिल था, जिसने भारी भीड़ को आकर्षित किया—हालांकि पुलिस ने कार्यक्रम के लिए पहले ही अनुमति देने से इनकार कर दिया था।