उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक दिया इस्तीफा, एनडीए के सामने उत्तराधिकारी चुनने की चुनौती

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर देश की राजनीति को चौंका दिया है। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा और कहा कि यह तत्काल प्रभाव से लागू होगा। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “चिकित्सकीय सलाह के अनुसार स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने हेतु मैं भारत के उप राष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।”

धनखड़, जो अगस्त 2022 में उप राष्ट्रपति बने थे, का कार्यकाल 2027 तक था। उनके इस्तीफे की घोषणा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन हुई, जब उन्होंने राज्यसभा में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष द्वारा दिए गए महाभियोग नोटिस का उल्लेख किया। यह घटनाक्रम सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक अप्रत्याशित झटका साबित हुआ।

धनखड़ का कार्यकाल विपक्ष के साथ लगातार टकरावों के लिए जाना गया, विशेष रूप से राज्यसभा में उनके तीखे और विवादास्पद बयानों को लेकर कई बार सरकार भी असहज महसूस करती रही।

अब जब एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत है, तो उनके उत्तराधिकारी का चयन गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसला होगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा एक ऐसे अनुभवी और विवाद-मुक्त नेता को चुनने के पक्ष में है, जो संगठनात्मक रूप से मजबूत हो और संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम हो।

धनखड़ की तरह किसी राज्यपाल — संभवतः किसी मौजूदा या पूर्व राज्यपाल — या फिर केंद्र सरकार के किसी वरिष्ठ मंत्री या संगठन के अनुभवी नेता को इस पद के लिए चुना जा सकता है।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, जो जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद हैं और 2020 से इस पद पर हैं, को भी एक संभावित नाम के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि वे सरकार का विश्वास प्राप्त करते हैं।

धनखड़ के पूर्ववर्ती एम. वेंकैया नायडू भी भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं और 2017 में उप राष्ट्रपति चुने जाने से पहले मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री थे।

फिलहाल पार्टी के नेता मानते हैं कि यह फैसला कुछ ही दिनों में लिया जाएगा और एक “ठोस और सर्वमान्य” नाम पर सहमति बनेगी।

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