ओडिशा में महिलाओं पर बढ़ते अपराधों ने बढ़ाई सुरक्षा पर चिंता

ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भारी वृद्धि ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, केवल पिछले आठ महीनों में महिलाओं के खिलाफ 18,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

इनमें से 17,021 मामले अभी भी न्यायालयों में विचाराधीन हैं, जबकि 738 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। मात्र 217 मामले निपटाए गए हैं और 25 मामलों में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।

जुलाई माह में एफएम कॉलेज में हुई यौन उत्पीड़न त्रासदी और पुरी के बालांगा में नाबालिग लड़की को आग के हवाले किए जाने जैसे दुखद घटनाओं ने जनता में भय और गहरी बेचैनी फैला दी है। जगतसिंहपुर, मल्कानगिरी और पुरी जिलों से पिछले 24 घंटों में लगातार उत्पीड़न एवं यौन शोषण की रिपोर्टें आ रही हैं।

विशेषज्ञों की राय
पूर्व ओडिशा पुलिस महानिदेशक बिपिन बिहारी मिश्रा ने ओटीवी से कहा कि कई बार महिलाएं सामाजिक कलंक के डर से अपराध की तत्काल रिपोर्ट नहीं करातीं, जिससे पुलिस की जांच प्रभावित होती है। “पुलिस को सूचना समय पर मिलने से आरोपियों को जल्दी पकड़ा जा सकता है, लेकिन अनिच्छा व भय ने जांच प्रक्रिया को कमजोर कर दिया है।”

महिला अधिकार कार्यकर्ता प्रितीचंदा ढाल ने बताया कि प्रदेश में सामाजिक कलंक अभी भी सबसे बड़ा बाधक है। “जब कोई पीड़िता शिकायत दर्ज कराती है, तो उसके चरित्र हनन से उसे और परिवार को हीनभावना का सामना करना पड़ता है, जिससे कई मामले दब जाते हैं।”

सरकार और विपक्षी जुबानी जंग
विपक्षी दलों ने इन आंकड़ों और हालिया घटनाओं को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की बातें केवल कागज़ों तक सीमित हैं। उन्होंने न्यून विश्वास दर, पुलिस सुधारों की कमी और चार्जशीट दाखिल होने में ली जा रही देरी को बड़े सवाल के रूप में उठाया है।

वहीं राज्य सरकार और पुलिस ने आश्वासन दिया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए विशेष त्वरित कार्रवाई, संवेदनशील मामलों के लिए अलग से फास्ट-ट्रैक मंजूरी और समाज में जागरूकता बढ़ाने वाले अभियान चलाए जा रहे हैं।

फिलहाल, पीड़िताएं व उनके परिवारीजन न्याय की राह देख रहे हैं, जबकि अपराध बढ़ते जा रहे हैं। इस चुनौतीपूर्ण दौर में समुदाय, पुलिस और सरकार के संयुक्त प्रयास ही महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे।

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