मध्यप्रदेश सरकार राज्य में पहली बार ‘महसीर कैफे’ शुरू करने जा रही है, जहां प्रोटीन युक्त साफ-सुथरी मछलियां और सीफूड आम लोगों को परोसा जाएगा। इस योजना का पहला चरण भोपाल से शुरू होगा, जिसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में संचालित किया जाएगा। इसके बाद इंदौर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों में भी ऐसे कैफे खोले जाएंगे।
महसीर मछली, जिसे मध्यप्रदेश की राज्य मछली का दर्जा प्राप्त है, इस कैफे की पहचान होगी। इन कैफे में रेडी-टू-ईट फिश, डेकोरेटिव फिश (सजावटी मछलियां) और अन्य विविध मछली उत्पाद उपलब्ध होंगे। युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से इन रेस्टोरेंट्स और कैफे को इंडियन कॉफी हाउस और अमूल मॉडल की तर्ज पर मत्स्य सहकारिता समूहों द्वारा चलाया जाएगा।
यह निर्णय सोमवार को मंत्रालय में आयोजित मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास विभाग के अंतर्गत मत्स्य महासंघ की बोर्ड बैठक में लिया गया।
क्या बोले मंत्री?
मत्स्य कल्याण एवं मत्स्य विकास मंत्री नारायण सिंह पंवार ने कहा कि भोपाल में एक प्रमुख स्थान पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त पहला महसीर कैफे खुलेगा। इसका उद्देश्य मछली व्यवसाय को बढ़ावा देना है और यह नवाचार देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है।
जैन समाज ने जताया विरोध
वहीं दूसरी ओर, पूर्व जैन समाज अध्यक्ष प्रमोद जैन ‘हिमांशु’ ने सरकार की इस योजना का विरोध किया। उन्होंने कहा,
“मुझे इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन अगर यह सच है, तो इसका विरोध होना चाहिए। एक तरफ सरकार शाकाहार को बढ़ावा देने की बात कर रही है, और दूसरी तरफ मांसाहारी भोजनालय खोल रही है। यह दोहरी मानसिकता को उजागर करता है।”
मुख्य बिंदु:
- महसीर मछली: मध्यप्रदेश की राज्य मछली
- पहला कैफे: भोपाल में, फिर इंदौर-जबलपुर में विस्तार
- संचालन: युवा मछुआरों और सहकारिता समूहों द्वारा
- उद्देश्य: मछली व्यापार को बढ़ावा और युवाओं को रोजगार
- विवाद: शाकाहारी समाज से विरोध, सरकार की नीति पर सवाल