भारत-अमेरिका का साझा अंतरिक्ष मिशन: निसार सैटेलाइट से पृथ्वी पर नजर रखेगा हर हलचल

जब भारत अभी हाल ही में शुभांशु शुक्ला के ऐतिहासिक Axiom-4 मिशन की उपलब्धियों से उबर ही रहा था, तभी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और बड़ी छलांग लगाई है। इस बार, भारत ने अमेरिका की नासा के साथ हाथ मिलाया है — और दोनों मिलकर पृथ्वी की निगरानी के लिए एक अभूतपूर्व मिशन लॉन्च कर रहे हैं: NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar)


🌍 NISAR: धरती की निगाहों से निगरानी करने वाला सैटेलाइट

NISAR एक अत्याधुनिक पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation) उपग्रह है, जिसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV Mk-II रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह मिशन पृथ्वी की सतह पर हो रही सूक्ष्म से सूक्ष्म गतिविधियों को भी रिकॉर्ड करेगा — चाहे वे बादलों के पीछे छिपी हों या ज़मीन के नीचे हो रही हलचलें।


🤝 12,500 करोड़ की साझेदारी, भारत का योगदान मात्र ₹788 करोड़

इस $1.5 बिलियन (करीब ₹12,500 करोड़) के मिशन में भारत का वित्तीय योगदान लगभग ₹788 करोड़ (करीब $96 मिलियन) है। यह हिस्सा भले ही छोटा लग सकता है, लेकिन इसके ज़रिए भारत को विश्वस्तरीय डेटा और तकनीकी विशेषज्ञता का अनमोल खजाना मुफ्त में मिलेगा।


🚀 NISAR को क्या बनाता है खास?

  • 🌐 12 दिनों में पूरी पृथ्वी का नक्शा: यह सैटेलाइट हर 97 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और हर 12 दिन में पूरी धरती और बर्फ से ढकी सतहों की मैपिंग कर लेगा।
  • 📡 डुअल फ्रीक्वेंसी रडार तकनीक: यह दुनिया का पहला उपग्रह है जिसमें नासा का L-बैंड रडार और इसरो का S-बैंड रडार एक साथ लगे हैं। इससे यह बादलों, धुएं, जंगलों और अंधेरे में भी जमीन के सूक्ष्म बदलाव (मिलीमीटर स्तर तक) को पकड़ सकता है।
  • 🗺️ खुला और निःशुल्क डेटा: इसका डेटा ओपन-सोर्स होगा — जिससे दुनिया भर के वैज्ञानिक, आपदा प्रबंधन टीमें और जलवायु विशेषज्ञ इसका लाभ उठा सकेंगे।

🇮🇳 भारत को NISAR से क्या मिलेगा?

  • 📈 आपदा प्रबंधन में मदद: बाढ़, भूकंप और भूस्खलन जैसी आपदाओं का तुरंत और सटीक विश्लेषण संभव होगा।
  • ❄️ हिमालयी ग्लेशियर की निगरानी: तेजी से पिघलते ग्लेशियरों का आकलन कर जल संकट और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलेगी।
  • 🌾 कृषि योजना और जल प्रबंधन: किसानों के लिए ज़मीन की नमी, फसल की स्थिति और भूजल स्तर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होगी।
  • 🛰️ तकनीकी साख और अंतरराष्ट्रीय छवि: इसरो की S-बैंड रडार तकनीक और स्वदेशी प्रक्षेपण प्रणाली भारत की वैश्विक वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई देगी।

🔚 निष्कर्ष: छोटे निवेश, बड़े लाभ

788 करोड़ के इस रणनीतिक निवेश से भारत को वह डेटा मिलेगा जिसकी कीमत अकेले वहन करना मुश्किल था। NISAR भारत के लिए केवल एक वैज्ञानिक उपकरण नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने, आपदाओं से निपटने और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में अपनी भूमिका मजबूत करने का एक मजबूत कदम है।

अब अंतरिक्ष से मिलेगी धरती की सबसे बारीक रिपोर्ट – हर बदलाव पर रहेगी भारत की नजर!

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