प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए 5 अगस्त को दिल्ली मुख्यालय में पेश होने के लिए समन भेजा है। यह मामला उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ दर्ज एक कथित लोन धोखाधड़ी से जुड़ा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 66 वर्षीय अंबानी का बयान मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज किया जाएगा।
24 जुलाई को हुई छापेमारी
ईडी ने यह कार्रवाई 24 जुलाई को रिलायंस समूह की कई कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ छापेमारी के बाद की है। तीन दिन चली यह छापेमारी मुंबई में 35 से अधिक स्थानों पर की गई, जिसमें 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के ठिकानों को कवर किया गया। इनमें अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
क्या है मामला?
ईडी के मुताबिक, अनिल अंबानी की कंपनियों पर कुल 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन घोटाले और रकम के कथित ग़लत उपयोग का आरोप है। जांच का मुख्य फोकस यस बैंक द्वारा 2017 से 2019 के बीच अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के लोन की अवैध डायवर्जन की जांच पर है।
कंपनियों की प्रतिक्रिया
रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि इन छापों का उनके व्यापार संचालन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी भी हितधारक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा, “मीडिया रिपोर्ट्स में जिन आरोपों का जिक्र है, वे रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) या रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से संबंधित हैं, जो 10 साल पुराने लेन-देन से जुड़े हैं।”
क्या मिला ईडी को?
सूत्रों के अनुसार, ईडी को जांच में यह पता चला है कि लोन जारी होने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटर्स को उनकी संबंधित कंपनियों में धनराशि प्राप्त हुई थी। एजेंसी इस ‘घूस और लोन’ के संबंध की जांच कर रही है। इसके अलावा ईडी यस बैंक की ओर से लोन मंजूरी में हुई गंभीर अनियमितताओं की भी जांच कर रही है। इसमें बैकडेटेड क्रेडिट अप्रूवल, बिना ड्यू डिलिजेंस निवेश प्रस्ताव और बैंक की क्रेडिट नीति के उल्लंघन के आरोप शामिल हैं।
इस कथित घोटाले में कई ग्रुप और शेल कंपनियों में धन के डायवर्जन की बात भी सामने आई है, जिसकी ईडी गहन जांच कर रही है।