भोपाल में ₹45 लाख का भूजल परियोजना SAM 2.0 ठप, मानसून का लाभ नहीं उठा सके अधिकारी

भोपाल में मानसून सीजन समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन अमृत 2.0 योजना के तहत स्वीकृत shallow aquifer management (SAM 2.0) परियोजना पूरी तरह ठप पड़ी है। करीब ₹45 लाख की इस परियोजना को लागू करने के लिए कोई ठेकेदार सामने नहीं आया है, जिससे इसका क्रियान्वयन अधर में लटक गया है।

वर्ष 2022 में देश के 10 शहरी क्षेत्रों में शुरू हुई SAM योजना का उद्देश्य भूजल स्तर को स्थायी रूप से बेहतर बनाना है, जिसमें अवसंरचना विकास और सामुदायिक जागरूकता शामिल है। जहां हैदराबाद और जयपुर में इस योजना ने प्रगति दिखाई है, वहीं भोपाल में परियोजना की शुरुआत भी नहीं हो पाई है। योजना को वर्ष 2023 की शुरुआत में मंजूरी मिली थी, और इसके अंतर्गत होशंगाबाद रोड, भेल क्षेत्र, और आरिफ नगर में 10 साइटों पर रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाए जाने थे।

इसका मकसद भूजल स्तर को बढ़ाना और शहरी बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करना था। हालांकि साइट निरीक्षण और प्रशासनिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी है, फिर भी महत्वपूर्ण मानसूनी समय में परियोजना निष्क्रिय रही। भोपाल नगर निगम (BMC) के अधिकारियों ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है।

जल विशेषज्ञों का कहना है कि इस देरी ने मानसून के पानी को भूजल पुनर्भरण के लिए इस्तेमाल करने का एक अहम अवसर गंवा दिया है। हालात और गंभीर इसलिए हो गए हैं क्योंकि इस दौरान जल गुणवत्ता से जुड़ी समस्याएं भी सामने आई हैं। इस्लामनगर और सरवर क्षेत्रों में नाइट्रेट की अत्यधिक मात्रा पाई गई है, जो ब्लू-बेबी सिंड्रोम जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। केंद्रीय जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने भी भोपाल के कई इलाकों को जल सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वाले क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया है।

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