भोपाल में मच्छर जनित रोग नियंत्रण को लेकर विभागों में समन्वय की कमी, आधे से ज्यादा संवेदनशील इलाके BMC की कार्रवाई से बाहर

भोपाल में मलेरिया और डेंगू जैसे मच्छर जनित रोगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम (BMC) के बीच समन्वय की स्पष्ट कमी देखने को मिल रही है। हाल ही में जिला मलेरिया कार्यालय (DMO) द्वारा चिन्हित किए गए 21 संवेदनशील क्षेत्रों में से महज 9 इलाकों में ही BMC द्वारा वेक्टर कंट्रोल और जुर्माने की कार्रवाई की गई है।

DMO द्वारा जारी सूची में झुग्गी बस्तियों, रिहायशी कॉलोनियों और जोखिम वाले इलाकों को शामिल किया गया है जहां तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता बताई गई थी। लेकिन विश्लेषण से पता चलता है कि BMC की फील्ड रिपोर्ट में इनमें से केवल 9 क्षेत्रों में ही मच्छर नियंत्रण की कोई कार्रवाई दर्ज है।

गौरतलब है कि BMC का जिम्मा बाहरी इलाकों में वेक्टर नियंत्रण का है, जबकि स्वास्थ्य विभाग घर-घर सर्वे और इनडोर कंट्रोल पर केंद्रित रहता है। दोनों विभागों के सूचीबद्ध इलाकों की तुलना करने पर पाया गया कि 12 संवेदनशील इलाकों में कोई भी समन्वित प्रयास नहीं हुआ, जबकि इन स्थानों पर स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरजनित रोग के केस दर्ज किए हैं।

इन छूटे हुए इलाकों में संजय नगर, कोहे-फ़िज़ा, प्रेमपुरा, कुम्हारपुरा, छतईपुरा, शबरी/नेहरू नगर, शंकराचार्य नगर, गल्ला मंडी, रोशन बाग, पुराना नगर (झुग्गी क्षेत्र) और कुछ ग्रामीण इलाके शामिल हैं, जिनमें से कई BMC की सीमा में भी नहीं आते हैं।

जानकारी के अनुसार, भोपाल महापौर मालती राय ने वेक्टर नियंत्रण को लेकर कम से कम दो समन्वय बैठकें बुलाई थीं, जिनमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए थे। इन बैठकों में विशेष रूप से संवेदनशील इलाकों में एजेंसी समन्वय पर जोर दिया गया था। राजीव नगर, गांधी नगर और अयोध्या नगर जैसे कुछ इलाकों में दोनों विभागों की संयुक्त उपस्थिति दर्ज की गई है, लेकिन अधिकांश इलाके अभी भी उपेक्षित हैं।

BMC के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस मुद्दे पर जवाब देने से बचते नजर आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि विभागीय असमंजस और ढीली निगरानी शहर में डेंगू-मलेरिया के बढ़ते खतरे को और गंभीर बना सकते हैं।

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