अन्ना नगर स्थित वस्त्र पुनर्प्राप्ति केंद्र (Textile Recovery Facility Centre – TRFC) में बिजली कनेक्शन न मिलने के कारण संचालन शुरू नहीं हो पाया है। भोपाल नगर निगम (BMC) द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर स्थापित इस केंद्र की लॉन्चिंग अब कम से कम दो महीने और टल गई है।
करीब एक माह से निगम अधिकारी अलग-अलग विभागों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अब तक बिजली उपलब्ध नहीं हो सकी। इस बीच केंद्र पर दो टन से अधिक पुराने कपड़े जमा हो चुके हैं। लगातार हो रही बरसात से कपड़े बार-बार भीग रहे हैं, जिन्हें ऑपरेटर को हाथों से सुखाना पड़ रहा है। इससे सामग्री खराब होने का खतरा बढ़ गया है।
अप्रैल में यह प्लांट ऑपरेटिंग कंपनी को सौंपा गया था। चीन से लाई गई आधुनिक मशीनें लग चुकी हैं और शहरभर से कपड़े भी इकट्ठा कर लिए गए हैं। बावजूद इसके, बिजली कनेक्शन न होने से अब तक एक भी यूनिट कपास फाइबर का उत्पादन नहीं हो सका। कुछ दिन पहले निगम के अतिरिक्त आयुक्त देवेंद्र सिंह चौहान ने स्थल का निरीक्षण भी किया, लेकिन समस्या हल करने की बजाय उन्होंने ऑपरेटर को फटकार लगाई।
कपड़े कैसे जुटते हैं
पुराने कपड़े BMC की “3R” (Reduce, Reuse, Recycle) गाड़ियों के माध्यम से जुटाए जाते हैं। नागरिक पुराने कपड़े देकर बदले में कोकोपीट या घरेलू सामान प्राप्त कर सकते हैं। पिछले छह महीनों में दो टन से ज्यादा कपड़े अन्ना नगर केंद्र पर इकट्ठा हो चुके हैं।
TRFC का कामकाज
साधारण टेक्सटाइल स्क्रैप यूनिट्स से अलग, यह केंद्र उन अनुपयोगी कपड़ों को रीसायकल करता है, जिन्हें सीधे आदमपुर लैंडफिल में फेंक दिया जाता। यहां कपड़े काटकर, कार्डिंग प्रक्रिया से गुजारकर कपास फाइबर में बदले जाते हैं और फिर ओपन-एंड स्पिनिंग मशीनों से धागा तैयार किया जाता है। इसकी प्रोसेसिंग क्षमता 5 टन प्रतिदिन है।
बढ़ता नुकसान
प्लांट ऑपरेटर हैरी पावानी के अनुसार, परियोजना की लागत करीब 1.5 से 2 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा—“मशीनरी लगाने और शहरभर से कपड़े जुटाने के बावजूद हम काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं। बिजली कनेक्शन की देरी से लगातार नुकसान बढ़ रहा है।”