भोपाल नगर निगम (BMC) ने शहर में कानूनी और अवैध गौशालाओं की पहचान के लिए व्यापक सर्वे की शुरुआत कर दी है। यह कदम हाल ही में चार इमली क्षेत्र में पार्क की जमीन पर बनी अवैध गौशाला को तोड़े जाने के बाद उठाया गया है। इस कार्रवाई का कुछ हिंदू संगठनों ने विरोध किया, लेकिन जिला प्रशासन की मौजूदगी में यह अभियान जारी रहा।
दर्जनों पंजीकृत, सौ से अधिक अवैध
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल पशुपालन विभाग और मध्य प्रदेश गोवर्धन बोर्ड में करीब 42 सरकारी व गैर-सरकारी गौशालाएं पंजीकृत हैं। लेकिन शहर की सीमाओं और बाहरी इलाकों में 100 से अधिक अवैध गौशालाएं संचालित हो रही हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह सर्वे गौशालाओं को नियमित करने, सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण रोकने और सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या कम करने में मदद करेगा।
राजनीतिक दबाव और अनदेखी
नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नए गौशाला निर्माण पर प्रतिबंध होने के बावजूद राजनीतिक कारणों से अवैध गौशालाओं पर कार्रवाई नहीं हो पाती। उन्होंने यह भी कहा कि रोजाना 8-10 कॉल्स आती हैं जिनमें पकड़े गए मवेशियों को ‘कंजिहाउस’ से छुड़ाने का दबाव बनाया जाता है।
निगरानी व्यवस्था का अभाव
फिलहाल न तो नगर निगम और न ही गोवर्धन बोर्ड व पशुपालन विभाग के पास अवैध गौशालाओं की स्थायी निगरानी प्रणाली है। कार्रवाई केवल शिकायत मिलने पर की जाती है, जिसमें मौके पर निरीक्षण और जिला प्रशासन के सहयोग से कदम उठाए जाते हैं।
शहर की सड़कों पर मवेशियों का खतरा
भोपाल में 500 से अधिक डेयरियां संचालित हो रही हैं। कई झुग्गी-झोपड़ी और दूरस्थ इलाकों में दर्जनभर से ज्यादा डेयरियां दो किलोमीटर के दायरे में पाई जाती हैं। इन डेयरियों से निकले मवेशी सड़कों पर घूमते रहते हैं, जिससे ट्रैफिक बाधित होता है और कई बार हादसे भी हो जाते हैं।
21 जोनों में वार्ड-वार सर्वे
नगर निगम अब 21 जोनों में वार्ड-वार सर्वे करेगा। इसमें देखा जाएगा कि गौशाला सरकारी या निजी जमीन पर है और उसका पंजीकरण हुआ है या नहीं। नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त हर्षित तिवारी ने कहा, “हम शहर में चल रही गौशालाओं का वार्ड-वार सर्वे कर रहे हैं। सर्वे के बाद ही यह पता चल पाएगा कि कुल कितनी अवैध गौशालाएं सक्रिय हैं।”