भोपाल में ढहती बस सेवा: 1.5 लाख यात्रियों पर संकट, अनुबंध समाप्ति से बढ़ी चिंता

कभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की रीढ़ मानी जाने वाली भोपाल की सिटी बसें अब लगभग ढहने की कगार पर हैं। वर्ष 2010 में शुरू हुई बीआरटीएस सेवा पिछले 15 वर्षों में बुरी तरह कमजोर हो चुकी है।

जहां पहले 24 रूटों पर 350 से अधिक बसें चलती थीं, वहीं अब केवल 6 रूटों पर 100 से भी कम बसें बची हैं। इनमें से भी रोज़ाना 5 से 7 बसें खराबी और रखरखाव की वजह से सड़कों पर नहीं उतर पातीं।

स्थिति और गंभीर हो सकती है क्योंकि भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (BCLL) और वर्तमान ऑपरेटर के बीच का अनुबंध सितंबर में समाप्त हो रहा है। यदि इसे नवीनीकृत नहीं किया गया, तो रोज़ाना यात्रा करने वाले लगभग 1.5 लाख यात्रियों को ऑटो, कैब या निजी वाहनों पर निर्भर होना पड़ेगा।

पहले जहां बसें 5 से 10 मिनट की आवृत्ति पर मिलती थीं, वहीं अब यात्रियों को 30 से 45 मिनट तक इंतजार करना पड़ता है। इसके चलते सवारियों की संख्या घटकर केवल 10 से 12 हजार रह गई है। सूत्रों के अनुसार, अनुबंध नवीनीकरण न होने और ई-बसों की डिलीवरी में देरी से यात्रियों की समस्याएं और बढ़ सकती हैं।

वर्तमान में चल रही बसें इन रूटों पर

  • SR-2: नीलबड़–कटारा हिल्स
  • SR-4: करोंद–बैरागढ़ चिचली
  • SR-5: चिरायु–अवधपुरी
  • TR-4B: गांधी नगर–वर्धमान
  • TR-4: चिरायु–रानी कमलापति स्टेशन
  • मिडी बस रूट 413: नीलबड़–कोकटा

149 बसें 18 महीने से खड़ी

इधर, 149 बसें पिछले 18 महीनों से बाग सेवनिया डिपो में खड़ी हैं। ऑपरेटर और अधिकारियों के बीच भुगतान विवाद का मामला अदालत में लंबित है, जिसके कारण इन्हें सड़कों पर उतारना संभव नहीं हो पा रहा है।

BCLL अधिकारियों का कहना है कि समस्या का समाधान इलेक्ट्रिक बसों के आने से होगा। दो वर्ष पहले 100 ई-बसों को मंजूरी मिली थी, लेकिन अब तक उनकी डिलीवरी नहीं हो सकी है। उम्मीद है कि ये बसें नवंबर-दिसंबर तक आ जाएंगी, लेकिन इनका संचालन नए साल से पहले शुरू होना मुश्किल है।

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