भोपाल। ग्रामीण नल-जल योजना के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन को लेकर बनी नीति को आगामी तीन वर्षों तक जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) लागू करेगा। इस संबंध में हुई बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में समझौता हुआ।
दरअसल, एकल-ग्राम योजनाओं के रखरखाव को लेकर पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग और पीएचईडी के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में यह तय किया गया कि अगले तीन वर्षों तक पीएचईडी ही इसका संचालन और रखरखाव करेगा। इसके बाद भविष्य के लिए नई नीति पर विचार किया जाएगा।
फिलहाल, जलकर (पानी के बिल) की वसूली का कार्य पंचायतें पहले की तरह करती रहेंगी। बैठक में मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि नल-जल योजना के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन के लिए स्थायी नीति बनाई जानी चाहिए।
पीएचईडी के प्रमुख सचिव पी. नरहरी ने बताया कि वर्ष 2019 में केवल 13.53 लाख ग्रामीण परिवारों को पाइपलाइन से जल आपूर्ति मिल रही थी, जो मात्र 12.11% आबादी थी। अब यह आंकड़ा बढ़कर 78.64 लाख हो गया है और 70.41% ग्रामीण परिवार योजना का लाभ उठा रहे हैं।
नरहरी ने कहा कि लक्ष्य है कि प्रदेश के 1.11 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक इस योजना के माध्यम से जल आपूर्ति पहुंचाई जाए।