अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर लगाया 25% अतिरिक्त शुल्क, व्यापार पर मंडराया संकट

अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी की अधिसूचना के बाद भारतीय निर्यातक नए झटके के लिए तैयार हो रहे हैं। बुधवार से अमेरिका ने सभी भारतीय मूल के सामान पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है। इसके बाद भारतीय निर्यात पर कुल शुल्क 50% तक पहुँच जाएगा, जो अब तक वाशिंगटन द्वारा लगाए गए सबसे ऊँचे शुल्कों में से एक है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह कदम अगस्त में नई दिल्ली द्वारा रूस से कच्चे तेल की बढ़ी हुई खरीद के चलते उठाया है।

अधिसूचना के अनुसार, यह शुल्क बुधवार सुबह 12:01 बजे (EDT) से या भारत में 9:31 बजे (IST) से लागू होगा। हालांकि, इस नियम से वे माल मुक्त रहेंगे जो पहले से ट्रांज़िट में हैं और जिनके पास आवश्यक प्रमाणपत्र हैं, साथ ही मानवीय सहायता और कुछ पारस्परिक व्यापार कार्यक्रमों के अंतर्गत आने वाले सामान भी इससे बाहर होंगे।

नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया कि यह कदम भारत द्वारा रूस के यूक्रेन पर सैन्य हमले में अप्रत्यक्ष सहयोग के कारण उठाया गया है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सरकार को तत्काल राहत या शुल्कों में देरी की कोई उम्मीद नहीं है। हालांकि, प्रभावित निर्यातकों को वित्तीय सहायता दी जाएगी और उन्हें चीन, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व जैसे वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा, भले ही इसके लिए भारी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। मोदी जल्द ही सात साल बाद चीन की यात्रा पर भी जा रहे हैं, ताकि दोनों देशों के रिश्तों में सुधार लाया जा सके।

निर्यातक समूहों की चिंता

निर्यातक संगठनों का अनुमान है कि यह शुल्क भारत के अमेरिका को होने वाले लगभग 87 अरब डॉलर के निर्यात में से करीब 55% को प्रभावित कर सकता है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने बताया कि अमेरिकी ग्राहकों ने पहले ही नए ऑर्डर रोक दिए हैं। अतिरिक्त शुल्कों के चलते सितंबर से निर्यात 20-30% तक घट सकता है।

चड्ढा ने यह भी कहा कि सरकार ने वित्तीय सहायता का भरोसा दिया है, जिसमें बैंक ऋण पर सब्सिडी बढ़ाना और निर्यातकों को वैकल्पिक बाजारों में पहुँचाने में सहयोग करना शामिल है। लेकिन उनका मानना है कि अन्य बाजारों में उतनी मांग नहीं है और घरेलू बाजार में भी इन उत्पादों की खपत सीमित है।

अर्थव्यवस्था पर असर

निजी क्षेत्र के विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि 50% शुल्क लंबे समय तक लागू रहने पर भारतीय अर्थव्यवस्था और कॉर्पोरेट मुनाफों पर भारी दबाव पड़ेगा। कैपिटल इकोनॉमिक्स के अनुसार, यदि ये शुल्क पूरी तरह लागू हुए, तो भारत की आर्थिक वृद्धि इस वर्ष और अगले वर्ष में 0.8 प्रतिशत अंक तक घट सकती है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता जारी है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका की चिंता केवल भारत तक सीमित नहीं होनी चाहिए, जबकि चीन और यूरोपीय संघ जैसे बड़े खरीदारों पर समान दबाव नहीं डाला गया है।

तेल कंपनियों के अधिकारियों ने भी कहा है कि फिलहाल सरकार ने रूस से तेल खरीदने पर कोई निर्देश नहीं दिया है और कंपनियाँ आर्थिक लाभ को ध्यान में रखते हुए खरीद जारी रखेंगी।

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