मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सोमवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज (ROB) बनाने वाले ठेकेदार के खिलाफ फिलहाल कोई कठोर कार्रवाई न की जाए। यह वही ओवरब्रिज है जो हाल ही में बीच में बने तेज मोड़ (राइट एंगल टर्न) के कारण सुर्खियों में आया था।
कोर्ट ने कहा कि मौलाना आज़ाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MANIT), भोपाल का एक प्रोफेसर फ्लाईओवर के मोड़ के कोण की जांच करे और अपनी रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करे। इसके लिए याचिकाकर्ता को ₹1 लाख शुल्क देना होगा और भोपाल नगर निगम (BMC) को जांच में आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराना होगा।
याचिका एम/एस पुनीत चड्ढा की ओर से दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि कंपनी को 2021-22 में ओवरब्रिज बनाने का ठेका मिला था। परियोजना 18 महीने में पूरी होनी थी। प्रोजेक्ट का GAD सरकारी एजेंसी द्वारा तैयार किया गया था, जिसे बाद में 2023 और 2024 में संशोधित किया गया। यह निर्माण लोक निर्माण विभाग (PWD) की देखरेख में हुआ।
मीडिया रिपोर्टों में फ्लाईओवर के बीच 90 डिग्री के मोड़ की खबर सामने आने के बाद एक पाँच सदस्यीय जाँच समिति बनाई गई। समिति ने पाया कि मोड़ रेलवे ट्रैक के ऊपर वाले हिस्से में है। जाँच में यह भी सामने आया कि PWD और रेलवे अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी रही और फ्लाईओवर के पिलर भी निर्धारित दूरी पर नहीं रखे गए। समिति ने बताया कि मोड़ 90 डिग्री का नहीं बल्कि 119 डिग्री का है।
याचिका में यह भी कहा गया कि ठेकेदार को बिना सफाई का मौका दिए ही ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय साराफ की बेंच ने राज्य सरकार को ठेकेदार पर सख्त कदम न उठाने के निर्देश दिए और MANIT प्रोफेसर से स्वतंत्र जाँच कराने का आदेश दिया।
अब यह मामला 10 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगा।