अगस्त महीने में बड़े जोर-शोर से लागू किया गया ‘नो हेलमेट-नो पेट्रोल’ नियम अब धीरे-धीरे ढीला पड़ता नजर आ रहा है। शहर के पेट्रोल पंपों पर अभी भी इस नियम के बैनर तो लगे हैं, लेकिन अधिकांश जगहों पर स्टाफ अब बिना हेलमेट वालों को भी पेट्रोल देने से मना नहीं कर रहा।
गुलमोहर कॉलोनी निवासी राकेश तिवरिया बताते हैं, “मुझे हेलमेट पहनकर गाड़ी चलाना असुविधाजनक लगता है। जब नियम लागू हुआ था तो मैंने स्कूटर की डिक्की में हेलमेट रखना शुरू किया और पेट्रोल भरवाते समय पहन लेता था। लेकिन हाल के दिनों में देखा कि बिना हेलमेट वाले लोगों को भी आसानी से पेट्रोल दिया जा रहा है। पहले जैसी सख्ती अब नहीं रही।”
इसी तरह, त्रिलंगा में पेट्रोल भरवाने पहुंचे पंकज सिंह ने कहा, “शुरुआत में तो बहुत सख्ती थी, लोग दूसरों से हेलमेट उधार लेकर लाइन में खड़े होते थे, लेकिन अब पेट्रोल पंपों पर इस बात की परवाह ही नहीं की जाती। हो सकता है कुछ जगहों पर नियम लागू हो, लेकिन अब ज़ोर नहीं दिया जाता।”
पेट्रोल पंप संचालक बोले- नियम अव्यावहारिक था
मध्यप्रदेश पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, “यह नियम शुरू से ही अव्यावहारिक था और नाकाम होना तय था। भिंड में एक कर्मचारी को गोली मारने की घटना समेत कई हिंसक घटनाएं हुईं। भोपाल के गांधी नगर में भी विवाद हुआ। हमने जिला प्रशासन से सुरक्षा मांगी थी, जो संभव नहीं हो पाई। ऐसे में सख्ती करना मुश्किल था।”
उन्होंने सवाल उठाया कि जब लोग बिना हेलमेट पुलिस थानों और चौक-चौराहों से गुजरते हैं और वहां पुलिस भी कुछ नहीं करती, तो फिर व्यापारियों से नियम लागू कराने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? उनका मानना है कि यह नियम सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति की सिफारिश पर भोपाल और इंदौर में लागू किया गया था।
ट्रैफिक पुलिस ने शुरू किया विशेष अभियान
इसी बीच, भोपाल ट्रैफिक पुलिस ने भी चेकिंग अभियान तेज कर दिया है। सोमवार से शुरू हुए 15 दिन के विशेष अभियान के पहले दिन ही 122 दोपहिया वाहन चालकों को बिना हेलमेट और 22 चारपहिया चालकों को बिना सीट बेल्ट के चालान काटे गए। दिलचस्प बात यह रही कि पुलिस कंट्रोल रूम चौराहे पर एक पुलिसकर्मी भी बिना हेलमेट गाड़ी चलाते पकड़ा गया और उस पर भी चालान किया गया।