एयर इंडिया हादसा: प्रारंभिक रिपोर्ट में विमान या इंजन में कोई तकनीकी खराबी नहीं – सीईओ कैंपबेल विल्सन

भारत में 12 जून को हुए भीषण हवाई हादसे के एक महीने बाद एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने कहा है कि हादसे की प्रारंभिक रिपोर्ट में विमान या उसके इंजनों में कोई यांत्रिक या मेंटेनेंस से जुड़ी गड़बड़ी नहीं पाई गई है। अपने कर्मचारियों को भेजे एक पत्र में उन्होंने मीडिया में चल रही अटकलों और अफवाहों पर नाराज़गी जताई और सभी से आग्रह किया कि वे इन अनुमानों पर ध्यान देने के बजाय रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों पर भरोसा करें। सीईओ ने लिखा, “प्रारंभिक रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि विमान और उसके इंजन में कोई तकनीकी या मेंटेनेंस से जुड़ी समस्या नहीं थी। सभी आवश्यक मेंटेनेंस कार्य समय पर पूरे किए गए थे। ईंधन की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं थी और टेक-ऑफ के दौरान भी कोई असामान्यता नहीं पाई गई।” उन्होंने बताया कि दोनों पायलटों ने उड़ान से पहले आवश्यक ब्रीथ एनालाइज़र परीक्षण पास किया था और उनकी चिकित्सकीय स्थिति में भी कोई समस्या नहीं पाई गई थी। इस दर्दनाक हादसे में लंदन जा रहे विमान में सवार 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मृत्यु हो गई थी, जबकि जमीन पर भी 30 लोगों की जान चली गई थी। एएआईबी (Aircraft Accident Investigation Bureau) द्वारा जारी प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, विमान के फ्यूल स्विच बंद कर दिए गए थे और इंजनों को दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की गई थी। रिपोर्ट में किसी प्रकार की साजिश या बर्ड हिट के संकेत नहीं मिले हैं। हालांकि नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने स्पष्ट किया है कि यह रिपोर्ट केवल प्रारंभिक निष्कर्षों पर आधारित है और अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जाना चाहिए। सीईओ विल्सन ने कर्मचारियों से कहा, “रिपोर्ट में किसी निष्कर्ष या सिफारिश का उल्लेख नहीं किया गया है। जब तक अंतिम रिपोर्ट सामने नहीं आती, हमें किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। हमारी प्राथमिकता जांच में पूरा सहयोग देना और अपनी जिम्मेदारियों पर केंद्रित रहना है।” उन्होंने आश्वस्त किया कि हादसे के कुछ ही दिनों के भीतर एयर इंडिया के बेड़े में मौजूद सभी बोइंग 787 विमानों की जांच की गई थी और वे सभी सेवा के लिए उपयुक्त पाए गए। उन्होंने अंत में कहा कि एयर इंडिया के मूल्यों — ईमानदारी, उत्कृष्टता, ग्राहक-केंद्रित सोच, नवाचार और टीमवर्क — को बनाए रखते हुए हमें अपने मिशन पर अग्रसर रहना चाहिए।

Major Breakthrough: CBI Secures Deportation of Key Drug Accused Kubbawala Mustafa from UAE to India

In a significant win against international drug trafficking, the Central Bureau of Investigation (CBI), in close coordination with INTERPOL and NCB-Abu Dhabi, has successfully secured the deportation of wanted fugitive Kubbawala Mustafa from the United Arab Emirates (UAE) to India. Mustafa, a prime accused in a major synthetic drug case, was brought back to India today via Chhatrapati Shivaji Maharaj International Airport, Mumbai. A four-member team of Mumbai Police had flown to Dubai on July 7 after his location in the UAE was confirmed and deportation procedures were cleared. Accused in Mephedrone Drug Case Mustafa is allegedly a key figure in an international synthetic drug manufacturing network. The case, registered under FIR No. 67/2024 at Kurla Police Station, Mumbai, relates to the seizure of 126.141 kg of Mephedrone worth ₹2.522 crore from a factory in Sangli, Maharashtra—linked to Mustafa and his associates. He had already been chargesheeted, and a court had issued an open-dated arrest warrant against him. Red Corner Notice & International Coordination On request by Mumbai Police, INTERPOL issued a Red Corner Notice (RCN) against Mustafa on November 25, 2024. The notice was instrumental in tracking and detaining him in the UAE. The CBI’s International Police Cooperation Unit (IPCU) maintained sustained follow-up with UAE authorities. On June 19, the NCB-Abu Dhabi confirmed approval for a security mission to repatriate the accused. India’s Success in Extradition Efforts Red Corner Notices are powerful tools used globally to locate and provisionally arrest fugitives pending extradition or deportation. As the National Central Bureau (NCB) for INTERPOL in India, the CBI, through its BHARATPOL platform, plays a central role in facilitating international fugitive returns. In recent years, over 100 fugitives have been successfully brought back to India via such multi-agency coordination. The return of Kubbawala Mustafa marks another major milestone in India’s ongoing crackdown on transnational crime and drug trafficking syndicates. Further investigations are underway to dismantle the remaining networks linked to the case.

अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस पर मप्र पुलिस लॉन्च करेगी वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबर, नशीले पदार्थों की जब्ती में बड़ा इज़ाफा

अंतरराष्ट्रीय नशा व अवैध तस्करी विरोधी दिवस (26 जून) के अवसर पर मध्यप्रदेश पुलिस एक विशेष वेबसाइट और मोबाइल हेल्पलाइन नंबर लॉन्च करने जा रही है। बुधवार को अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि आम जनता की भागीदारी से ही नशे की लत और तस्करी के खिलाफ प्रभावी लड़ाई लड़ी जा सकती है। नई वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबरADG (नारकोटिक्स) केपी वेंकटेश्वर राव ने बताया कि www.mppolicenarcotics.in नामक वेबसाइट गुरुवार से सक्रिय हो जाएगी। इस पोर्टल पर नशा निवारण, लत की स्थिति का आकलन, उपचार व पुनर्वास के विकल्प, और जनजागरूकता सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। खास बात यह है कि नागरिक भी अपनी रचनाएं या जागरूकता सामग्री वेबसाइट पर अपलोड कर सकेंगे, हालांकि हर सामग्री को प्रकाशन से पहले प्रमाणित किया जाएगा।इसके साथ ही 7049100785 नंबर जारी किया गया है, जिस पर लोग नशे से जुड़े अपराधों की शिकायत और सबूत भेज सकेंगे, जिससे कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। देश में नशे की गंभीर स्थितिराष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, देश की 18 से 75 वर्ष की आबादी में लगभग 7.61% लोग किसी न किसी रूप में नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। इसमें गांजा, अफीम, इनहेलेंट्स, सेडेटिव, कोकीन, एटीएस और हल्लूसिनोजेन जैसे ड्रग्स शामिल हैं। इसके अलावा 17% आबादी शराब की लत से जूझ रही है, जो समस्या की व्यापकता को दर्शाता है। ड्रग्स की जब्ती में बढ़ोत्तरीसाल 2023 में मप्र पुलिस ने केमिकल ड्रग्स से जुड़े 355 प्रकरण दर्ज किए और कुल 116.750 किलोग्राम नशीले पदार्थ जब्त किए। स्मैक की तस्करी के 341 मामलों में 19 किलोग्राम स्मैक बरामद हुई। गांजे की जब्ती 12,000 किलोग्राम तक पहुंच गई और 2,469 एफआईआर दर्ज की गईं। इसके अलावा, पुलिस ने 70 किलोग्राम चरस और 69,959 किलोग्राम डोडा-चूरा भी जब्त किया।कुल मिलाकर वर्ष 2023 में 65,320 किलोग्राम नशीले पदार्थ जब्त किए गए। यह आंकड़ा 2024 में 82,645 किलोग्राम तक पहुंच गया। वर्ष 2025 के पहले तीन महीनों में ही 19,495 किलोग्राम ड्रग्स जब्त किए जा चुके हैं। 11 दिवसीय विशेष अभियान12 जून से 25 जून तक चलाए गए विशेष एंटी-नारकोटिक्स अभियान के दौरान मप्र पुलिस ने ₹2.25 करोड़ से अधिक मूल्य के अवैध नशीले पदार्थ जब्त किए।इंदौर जिले ने ₹42 लाख से अधिक की जब्ती के साथ अभियान में अग्रणी भूमिका निभाई। गुना में ₹21 लाख, रीवा में ₹19 लाख, रतलाम में ₹14.20 लाख, नीमच में ₹27 लाख, और राज्य की नारकोटिक्स विंग द्वारा ₹11 लाख मूल्य के ड्रग्स जब्त किए गए। इस अभियान और तकनीकी पहल का उद्देश्य समाज में नशे के खतरे के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इस गंभीर समस्या के खिलाफ ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करना है।

ईडी ने खोला ‘दिल्ली क्लासरूम निर्माण घोटाले’ का पर्दाफाश, 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के गबन के सबूत बरामद

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित ‘दिल्ली क्लासरूम निर्माण घोटाले’ में बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 जून को राजधानी के 37 ठिकानों पर छापेमारी की। ये कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई, जिसमें 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय गड़बड़ी के पुख्ता सबूत मिले हैं। ईडी की जांच दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा (ACB) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है, जिसमें पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन समेत अन्य लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। कैसे हुआ घोटाला? जांच एजेंसी के अनुसार, 2015 से 2023 के बीच लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा लगभग 12,748 अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण के लिए भारी वित्तीय अनियमितताएं की गईं। क्या मिला छापेमारी में? डिजिटल और वित्तीय साक्ष्य की जांच जारी ईडी ने कहा कि बड़ी मात्रा में डिजिटल डेटा और वित्तीय दस्तावेज बरामद किए गए हैं, जिनकी फॉरेंसिक जांच चल रही है। जांच एजेंसी के अनुसार, अब तक मिले सबूत दर्शाते हैं कि इस घोटाले में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार, शेल कंपनियों का प्रयोग, और सार्वजनिक धन का व्यवस्थित गबन किया गया है। ईडी ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले में आगे की जांच जारी है और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।

मध्यप्रदेश जल निगम लिमिटेड से जुड़े ₹183 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में CBI ने दो गिरफ्तार

भोपाल/कोलकाता। मध्यप्रदेश जल निगम लिमिटेड (MPJNL) की सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े ₹183.21 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले के मामले में सीबीआई ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में एक राष्ट्रीयकृत बैंक का वरिष्ठ प्रबंधक भी शामिल है। यह जानकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को दी। सीबीआई ने गुरुवार और शुक्रवार को दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, झारखंड और मध्यप्रदेश में 23 ठिकानों पर छापेमारी की। इसी दौरान कोलकाता से दो मुख्य आरोपी — गोविंद चंद्र हांसदा (वरिष्ठ बैंक प्रबंधक) और मोहम्मद फिरोज खान को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपियों को शुक्रवार को कोलकाता की स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाया जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर सामने आया मामला यह घोटाला हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सामने आया, जिसके तहत सीबीआई ने 9 मई 2025 को तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए। जांच में पाया गया कि इंदौर की कंपनी तीर्थ गोपिकॉन लिमिटेड ने जल निगम की परियोजनाएं हासिल करने के लिए 8 फर्जी बैंक गारंटियां जमा की थीं। कंपनी को 2023 में मध्यप्रदेश में ₹974 करोड़ की तीन सिंचाई परियोजनाएं आवंटित की गई थीं। इन परियोजनाओं के समर्थन में ₹183.21 करोड़ की जाली बैंक गारंटियां दी गईं। जांच में यह भी सामने आया कि जल निगम को बैंक की आधिकारिक ईमेल आईडी की नकल कर फर्जी ईमेल भेजे गए, जिनमें इन गारंटियों की पुष्टि की गई थी। इस फर्जी पुष्टि के आधार पर ही MPJNL ने कंपनी को परियोजनाएं आवंटित कर दी थीं। देशभर में फैला फर्जीवाड़े का नेटवर्क सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ है कि यह घोटाला केवल मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है। कोलकाता आधारित एक सिंडिकेट देश के विभिन्न राज्यों में इसी तरह जाली बैंक गारंटी के जरिए सरकारी ठेके हासिल कर रहा था। एजेंसी का कहना है कि जांच जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। सीबीआई यह भी पता लगाने में जुटी है कि किन सरकारी अधिकारियों और बैंक कर्मियों की मिलीभगत से इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव हो पाया।

Passport Seva Portal Server Crash Triggers Nationwide Disruptions; Applicants Left in the Lurch

The Passport Seva Portal experienced widespread server outages on Thursday and Friday, crippling operations across Passport Seva Kendras (PSKs) in major cities like Delhi, Bhopal, Thane, and Ghaziabad. The unexpected disruption led to last-minute appointment cancellations, long queues, and mounting frustration among applicants — many of whom had urgent travel plans. Social Media Flooded with Complaints Multiple users took to social media platform X (formerly Twitter) to voice their grievances. User Abhishek Rathore posted: “@passportsevamea the website/app isn’t working… we know that you don’t want to travel seeing the conditions around but still I want to renew my passport so kindly make your WEBSITE WORK.. Thanks.” Applicants reported reaching PSKs only to discover locked gates, pasted notices, and no prior SMS, email, or phone notification about the disruption. In Ghaziabad, user Vidya Nand Rai shared a photo of the notice posted at the centre that read: “Due to a technical issue, unable to process a request.” Travel Plans in Jeopardy The outage has caused major uncertainty for travelers, especially those with time-sensitive commitments. Rahul Sharma, who had applied for his son’s passport ahead of a family trip to the US, said: “The last-minute cancellation is putting our trip in serious trouble. We’re planning to attend my daughter’s graduation, but without the passport, I can’t even begin the visa process. With the long US visa wait times, these delays are extremely problematic.” Similar sentiments were echoed by many others — including parents of minors, students, and business travelers — who said the breakdown had wasted their time and derailed plans. MEA Remains Silent Despite the nationwide outage, neither the Ministry of External Affairs (MEA) nor the official Passport Seva handle (@passportsevamea) had issued any public acknowledgment or explanation as of Friday morning, leading to further anger and confusion among citizens. Recurring Technical Failures This is not the first instance of such disruption. A similar server crash in April brought PSK services to a halt for two consecutive days, prompting widespread cancellations and delayed appointments. With another round of technical failure and no official response, concerns are mounting over the digital reliability of India’s passport issuance system — especially as the demand for international travel surges post-pandemic. Applicants are now demanding accountability, better communication protocols, and upgrades to the Passport Seva IT infrastructure to prevent recurring chaos.

तकनीक से बदली तस्वीर: जल गंगा संवर्धन अभियान में एमपी बना देश का पहला राज्य, वैज्ञानिक पद्धति से तय हो रहे जलस्रोतों के स्थान

मध्य प्रदेश ने जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल स्रोतों के निर्माण में तकनीकी नवाचार की मिसाल पेश की है। राज्य देश का पहला और एकमात्र राज्य बन गया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रियल-टाइम डेटा एनालिटिक्स और सैटेलाइट व मैपिंग टूल्स का उपयोग करके जलाशयों के स्थान तय कर रहा है। यह अभियान मनरेगा (MNREGS) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्रोतों के निर्माण और भूजल स्तर सुधारने के लिए चलाया जा रहा है। अब सूखे नहीं रहेंगे तालाब अधिकारियों के मुताबिक, इन वैज्ञानिक और तकनीकी हस्तक्षेपों से यह लगभग तय हो गया है कि अब बनाए जाने वाले जलाशय सूखे नहीं रहेंगे। पहले तालाब व कुएं गलत स्थान, ढलान या जल रिचार्ज बिंदुओं की जानकारी के अभाव में सूखे रह जाते थे। अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि हर प्रस्ताव SIPRI (Software for Identification and Planning of Rural Infrastructure) से सत्यापित होता है। यह सॉफ्टवेयर गांव स्तर पर खसरा नंबर तक की टोपोग्राफिकल जानकारी के आधार पर उपयुक्त स्थान तय करता है। क्लिक में तय हो रहा जल स्रोत एक अधिकारी ने बताया कि जब किसी स्थान पर जलाशय बनाने का प्रस्ताव आता है, तो खसरा नंबर प्रणाली में दर्ज किया जाता है और SIPRI जांच करता है कि स्थल उपयुक्त है या नहीं। ढलान, जल रिचार्ज, भौगोलिक संरचना जैसे दर्जनों मापदंड जांचे जाते हैं। यदि सभी मापदंड सही पाए जाते हैं, तभी अगली स्वीकृति दी जाती है। यह प्रणाली रेवेन्यू रिकॉर्ड, GPS, सैटेलाइट इमेज, ड्रोन सर्वे और निजी डेटा प्रदाताओं से भी वास्तविक समय में डेटा प्राप्त करती है। लाइनामेंट जैसी वैज्ञानिक विशेषताओं की भी जांच SIPRI प्रणाली ज़मीन की ऐसी वैज्ञानिक संरचनाएं भी पकड़ती है जैसे लाइनामेंट – जो सतह पर दिखाई नहीं देती लेकिन जल संरक्षण को प्रभावित करती है। इनकी उपस्थिति तालाबों को सूखा कर सकती है, इसलिए इनकी पहचान भी जरूरी है। अब तक 81,000+ फार्म तालाब, 1.2 हजार अमृत सरोवर और 1 लाख+ कुएं स्वीकृत अब तक जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत 81,000 से अधिक फार्म तालाब, 1,200 अमृत सरोवर और 1 लाख से ज्यादा कुएं स्वीकृत किए जा चुके हैं – और सभी के स्थलों को SIPRI द्वारा तकनीकी सत्यापन के बाद ही स्वीकृति दी गई है। मिनटों में स्वीकृति, पहले लगते थे कई दिन MNREGS कमिश्नर अवि प्रसाद ने बताया कि, “हमने इस प्रणाली को इनहाउस विकसित किया है और कई महीनों तक काम किया। पहले जहां एक प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने में कई दिन लगते थे, वहीं अब महज 15 मिनट में तकनीकी स्वीकृति मिल सकती है।” उन्होंने आगे कहा, “यह सिर्फ तालाबों की बात नहीं है – यह करोड़ों ग्रामीण लोगों के जीवन, सिंचाई सुविधा और पर्यावरणीय समृद्धि से जुड़ा हुआ मामला है। यह पहल न केवल भूजल स्तर बढ़ाएगी बल्कि खेती की पैदावार और ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगी।” राष्ट्रीय सराहना और अन्य राज्यों की रुचि इस अभिनव पहल की केंद्र सरकार ने भी सराहना की है और कई अन्य राज्य अब मध्य प्रदेश से इस प्रणाली को समझने के लिए संपर्क कर रहे हैं। MP की यह पहल आने वाले समय में पूरे देश के लिए मॉडल बन सकती है।

ग्रामीण पर्यटन से आत्मनिर्भरता की ओर मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया 241 होमस्टे का लोकार्पण, पर्यटन को मिलेगा नया आयाम

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को ‘ग्रामीण रंग – पर्यटन संग’ राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान कहा कि ग्रामीण पर्यटन न केवल सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करता है, बल्कि युवाओं के लिए स्थानीय रोजगार के अवसर भी सृजित करता है। यह कार्यक्रम कुशाभाऊ ठाकरे ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री ने राज्य में बढ़ते होमस्टे नेटवर्क को ‘अतिथि देवो भव’ की भावना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंचायती राज, ग्रामीण विकास और जनजातीय कार्य विभागों के सहयोग से होमस्टे ऑपरेटरों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि पर्यटकों को सर्वोत्तम सेवाएं मिल सकें। रूरल टूरिज्म को मिलेगा डिजिटल बूस्ट सीएम ने रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म मिशन की एक विशेष माइक्रोसाइट लॉन्च की, जिससे ग्रामीण पर्यटन की डिजिटल बुकिंग और जानकारी आसानी से सुलभ होगी। साथ ही, 241 गांवों में स्थापित होमस्टे का वर्चुअल लोकार्पण भी किया गया। ये होमस्टे पर्यटकों को स्थानीय व्यंजन, रीति-रिवाज और कला के माध्यम से असली ग्रामीण अनुभव प्रदान करेंगे। चार महत्वपूर्ण MoU पर हस्ताक्षर कार्यक्रम में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए: टाइगर स्टेट में 526% की पर्यटक वृद्धि सीएम यादव ने कहा कि 2024 में पर्यटन में 526% की वृद्धि हुई है, जो ग्रामीण पर्यटन की सफलता को दर्शाता है। कन्हा, पेंच और बांधवगढ़ जैसे राष्ट्रीय उद्यानों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। राज्य बाघों की संख्या और वन्यजीव विविधता में देश में पहले स्थान पर है। हेलिकॉप्टर सेवा और वेलनेस समिट की घोषणा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सीएम ने राज्य पर्यटन बोर्ड द्वारा हेलिकॉप्टर सेवाओं की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने एक वेलनेस समिट आयोजित करने की भी बात कही, जिसमें धार्मिक, वन्यजीव और स्वास्थ्य पर्यटन को शामिल किया जाएगा। सम्मान और प्रदर्शनियों से सजी शाम कार्यक्रम के दौरान 10 ज़िलों के कलेक्टरों को होमस्टे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सम्मानित किया गया। इसके अलावा 16 ग्राम पंचायतों और संस्थाओं को ग्रामीण पर्यटन में विशेष योगदान के लिए सम्मान मिला। मुख्यमंत्री ने हस्तशिल्प प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और मिट्टी की कला, मंडना, चित्रा, बांस कला, गोंड पेंटिंग, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग और वस्त्र कारीगरी से जुड़े कलाकारों से संवाद भी किया। भविष्य की योजना: 1,000 होमस्टे का लक्ष्य पर्यटन मंत्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी ने बताया कि पिछले साल 13.41 करोड़ पर्यटकों ने राज्य का दौरा किया। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 1,000 ग्रामीण होमस्टे स्थापित किए जाएं। इसके तहत महिलाओं को आतिथ्य क्षेत्र में प्रशिक्षित कर 10,000 से अधिक महिला उद्यमियों को सशक्त किया गया है। यह कार्यक्रम मध्यप्रदेश को न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर उभारने की दिशा में एक सशक्त पहल सिद्ध होगा।

भोपाल में बनेगा मध्यप्रदेश का पहला ग्रीन वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट, जैव ईंधन बनेगा हरे कचरे से

सतत कचरा प्रबंधन की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भोपाल अब मध्यप्रदेश का पहला ऐसा शहर बनने जा रहा है जहाँ ग्रीन वेस्ट (हरे कचरे) से बायोमास ब्रिकेट्स बनाने का प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा। यह प्लांट भोपाल नगर निगम (BMC) द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत करीब 8 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। हर दिन 5 टन हरा कचरा नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, भोपाल में प्रतिदिन करीब 5 टन ग्रीन वेस्ट उत्पन्न होता है, जिसमें पत्तियाँ, लकड़ियाँ और फूल जैसे जैविक अपशिष्ट शामिल होते हैं। अभी तक इस कचरे के निपटारे की कोई व्यवस्थित व्यवस्था नहीं है, जिससे यह नगर निगम के लिए एक चुनौती बना हुआ है। PPP मॉडल के अंतर्गत योजना इस परियोजना के अंतर्गत चयनित निजी कंपनी पूरे प्लांट की लागत वहन करेगी, जबकि BMC जमीन और पूरे शहर से इकट्ठा किया गया हरा कचरा प्रदान करेगा। निगम तैयार बायोमास ब्रिकेट्स के वितरण और मार्केटिंग में भी सहयोग करेगा। संभावित खरीदारों में सांची दुग्ध संघ प्रमुख रूप से शामिल है, जिससे परियोजना को आय का स्थायी स्रोत मिलने की संभावना है। बायोडिग्रेडेबल उत्पादों की भी होगी तैयारी इसके अतिरिक्त एक और यूनिट पास में स्थापित की जा रही है, जिसमें हरे कचरे से लकड़ी, फूल और पत्तियों से बायोडिग्रेडेबल उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इस यूनिट का संचालन एस्ट्रोनॉमिकल इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा और यह भी PPP मॉडल के तहत कार्य करेगी। अधिकारियों का कहना है कि भोपाल की तुलना में इंदौर में प्रतिदिन करीब 30 टन ग्रीन वेस्ट उत्पन्न होता है, जिससे इस योजना को अन्य शहरों में भी विस्तार की संभावनाएँ मिल सकती हैं। एक माह में शुरू होगा कार्य BMC कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने फ्री प्रेस से बातचीत में बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और प्लांट का कार्य एक माह के भीतर शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा, “यह प्लांट न केवल शहर में ग्रीन वेस्ट का बोझ कम करेगा बल्कि रॉयल्टी के रूप में आय का स्रोत भी बनेगा।” इसके साथ ही अधिकारी चंडीगढ़ का दौरा भी करने की योजना बना रहे हैं, जहाँ इसी प्रकार का एक प्लांट पहले से संचालित है। क्या होते हैं बायोमास ब्रिकेट्स? बायोमास ब्रिकेट्स ग्रीन वेस्ट से तैयार होने वाला एक पर्यावरण अनुकूल जैव ईंधन है। यह कोयले की जगह खाना पकाने, उद्योगों में हीटिंग और बिजली उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें कोयले या लकड़ी की तुलना में कम हानिकारक गैसें निकलती हैं, जिससे यह पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से एक बेहतर विकल्प बन जाता है।

राज्य में बढ़ता पर्यावरणीय विवाद: अफसरशाही में खलबली

राज्य में एक पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा तेजी से तूल पकड़ता जा रहा है। कई लोग इस मसले पर सक्रिय हो गए हैं। एक सेवानिवृत्त अधिकारी के पत्र ने सरकार के कई बड़े अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। इस अधिकारी ने एक अहम संगठन में उच्च पद पर रहते हुए काम किया था। इसी मुद्दे को सुलझाने के लिए बडे़ साहब ने एक बैठक बुलाई, जिसमें एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने प्रमुख सचिव (पीएस) पर तीखी टिप्पणी कर दी। उन्होंने पीएस से कहा कि अगर वे आदेशों को नियमों के तहत उचित ठहरा सकें, तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। रिटायर्ड साहब ने यह भी कहा कि पीएस को ऐसे आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं था। बैठक एक घंटे तक चली, लेकिन साहब के सख्त रुख के कारण कोई हल नहीं निकल सका। आखिर में साहब को ही समाधान निकालने की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन उन्होंने तीन शर्तें रखीं, जिन पर अमल होने पर ही मसला सुलझाने की बात कही। इस पूरे मामले में एक महिला आईएएस अधिकारी का तबादला तय माना जा रहा है। त्रिकोण में फंसे वरिष्ठ अफसर राज्य का एक वरिष्ठ अधिकारी प्रशासनिक उलझन में फंसा हुआ है। फिलहाल वह एक कम महत्वपूर्ण विभाग में पदस्थ है, और उसका तबादला तभी संभव है जब तीन प्रमुख व्यक्ति—राज्य प्रमुख, बडे़ साहब और एक खास व्यक्ति—सहमति दें। जिन कारणों से उन्हें इस विभाग में भेजा गया था, वे अब उतने गंभीर नहीं रहे। लेकिन अब भी कोई अधिकारी यह पूछने का साहस नहीं कर रहा कि इस अधिकारी को मुख्य धारा में कब लाया जाएगा। जिस विभाग में वह कार्यरत हैं, वहां बिना उस खास व्यक्ति की सहमति के किसी का भी तबादला संभव नहीं है। पहले भी जब सरकार ने उनकी मर्जी के खिलाफ एक अफसर की नियुक्ति की थी, तो उसके कार्यशैली से वह इतने नाराज हुए कि सरकार को वह अधिकारी हटाना पड़ा। ऐसे में इस अफसर का तबादला आसान नहीं रह गया है। विवाह समारोह में छाए दो अधिकारी एक वरिष्ठ अधिकारी के परिवार में आयोजित विवाह समारोह में दो अफसर खास आकर्षण का केंद्र रहे। इन दोनों में से एक को राज्य की शीर्ष नौकरशाही की कमान मिल सकती है। इनमें से एक अधिकारी को हाल ही में केंद्र सरकार में कम महत्व का पद मिला है, लेकिन वह राज्य में प्रमुख सचिव बनने की कोशिश में है। उसे भरोसा है कि बडे़ साहब को विस्तार मिलेगा, और वह उनके बाद पद संभाल सकता है। यह अधिकारी कम बोलता है, इसलिए आमतौर पर उससे लोग दूरी बनाए रखते हैं, लेकिन समारोह में वह सभी से खुलकर मिला, खासतौर से जूनियर अधिकारी उससे बात करने पहुंचे। वहीं केंद्र में कार्यरत दूसरे अधिकारी को भी राज्य के अफसरों ने खास अहमियत दी। साहब का पानी और खर्च का खेल राज्य में एक गैर-आईएएस अधिकारी के प्रभाव की चर्चा जोरों पर है। यह अधिकारी कोई भी काम बिना ‘गाजर’ लिए नहीं करता। उसका विभाग उसके निजी और पारिवारिक खर्च उठाता है। अब साहब ने महंगे पानी पीने की आदत डाल ली है, जिसकी कीमत है ₹150 प्रति लीटर। यह शौक उन्हें राज्य की राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान चढ़ा। विभाग इस पानी का खर्च सीधे दिखा नहीं सकता, इसलिए अन्य मदों में इसे समायोजित किया जा रहा है। यह अफसर पहले जिस विभाग में था, वहां भी गड़बड़ियों में शामिल रहा है, और जांच एजेंसियां उसके पीछे हैं। फिर भी सरकार बनते ही उसे महत्वपूर्ण विभाग दे दिया गया। विभाग के प्रमुख सचिव उससे नफरत करते हैं, लेकिन कुछ कर नहीं सकते। मियां-बीवी की जोड़ी और योजना की स्वीकृति “मियां बीवी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी?” यह कहावत एक राज्य सरकार की योजना पर बिल्कुल सटीक बैठती है। योजना अच्छी मानी जा रही है, लेकिन इसे तैयार करने और इसकी तेजी से मंजूरी दिलाने में एक आईएएस दंपत्ति की अहम भूमिका मानी जा रही है। मैडम ने इसकी रूपरेखा बनाई और साहब के विभाग ने बिना किसी आपत्ति के तुरंत स्वीकृति दे दी। फिर साहब ने सरकार के उच्च स्तर पर इसकी मंजूरी दिलाई। यह योजना विधानसभा सत्र में अनुपूरक बजट के जरिए वित्तीय स्वीकृति पाएगी। इस त्वरित स्वीकृति को लेकर अन्य विभागों में भी चर्चाएं हो रही हैं। बड़े जिले की चाहत में साहब एक अधिकारी, जो पहले कलेक्टर नियुक्त होने पर विवादों में आए थे, वर्तमान सरकार बनने के बाद फिर से कलेक्टर बन गए। अब वे अपने वर्तमान जिले से बड़ा जिला चाहते हैं और इसके लिए पांच प्रमुख जिलों पर नजर गड़ाए हुए हैं। उनका एक करीबी रिश्तेदार बीजेपी का बड़ा नेता है, जो दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेता के नजदीक है। इसी नेता की सिफारिश पर उन्हें पहले कलेक्टरशिप मिली थी और अब फिर से वह एक बड़े जिले में तैनाती की कोशिश में हैं। हालांकि उनकी छवि एक ईमानदार अफसर की नहीं है। पहले कार्यकाल में पर्दे के पीछे हुए सौदों के कारण उन्हें हटाया गया था। अब वे सतर्कता से काम कर रहे हैं और तीसरी पोस्टिंग के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

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