मेघालय हनीमून मर्डर केस: सोनम और प्रेमी राज की साजिश किसी थ्रिलर से कम नहीं, पहचान छिपाने के लिए औरत को जलाने की थी योजना

राजा रघुवंशी हत्याकांड की जांच में सामने आई चौंकाने वाली साजिशों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। सोनम रघुवंशी और उसके कथित प्रेमी राज कुशवाहा की योजनाएं किसी फिल्मी थ्रिलर से कम नहीं थीं—एक के बाद एक प्लॉट, पहचान छिपाने के प्रयास, और कई बार हत्या की कोशिश। औरत को जलाकर पहचान छिपाने की योजना ईस्ट खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक विवेक सिएम ने बताया, “एक योजना थी कि सोनम की झूठी मौत दिखाने के लिए किसी महिला को जलाकर उसकी पहचान सोनम के रूप में पेश किया जाए। एक और योजना थी कि लोगों को यकीन दिलाया जाए कि सोनम नदी में डूब गई।” हालांकि ये दोनों योजनाएं नाकाम रहीं। पुलिस के अनुसार, इन सभी प्रयासों का मकसद यही था कि सोनम कुछ समय के लिए छिपकर रह सके। तीन बार हत्या की कोशिश पुलिस जांच में सामने आया है कि इस पूरे प्लॉट का मास्टरमाइंड राज कुशवाहा था। उसने सोनम के साथ मिलकर राजा रघुवंशी की हत्या की योजना पहले गुवाहाटी, फिर नोंग्रियाट, और बाद में मावलाखियात में बनाई थी। पर उन्हें लाश ठिकाने लगाने के लिए सही जगह नहीं मिल रही थी। अंततः 23 मई को सोहरा में, जब राजा जंगल में शौच के लिए गया था, वहीं उसकी हत्या कर दी गई। बुर्का पहनकर भागी सोनम, 10 जून को यूपी में गिरफ्तारी हत्या के बाद सोनम मेघालय से बुर्का पहनकर भाग निकली और टैक्सी, बस और ट्रेन की मदद से कई राज्यों से गुजरती हुई मध्य प्रदेश पहुंची। आखिरकार उसे 10 जून को तड़के 1 बजे उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से गिरफ्तार किया गया। 2 जून को मिला राजा का सड़ा-गला शव, देशभर में मचा था हड़कंप 23 मई को हनीमून पर गए राजा और सोनम के लापता होने की खबर से पूरा देश चौंक गया था। मामला तब और गंभीर हो गया जब 2 जून को सोहरा के जंगलों में राजा रघुवंशी का सड़ा-गला शव बरामद हुआ और सोनम का कोई पता नहीं चला। अब जब मेघालय पुलिस ने इस जघन्य हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ली है, तो पूरे मामले की भयावहता सामने आ गई है—एक ऐसा अपराध जो अगर सफल होता, तो और भी निर्दोष जानें जा सकती थीं।

राज्य में कोविड मामलों में इजाफा: नए वेरिएंट JN.1 से लक्षणों में बदलाव, अब पाचन संबंधी समस्याएं प्रमुख

शुक्रवार को राज्य में कोविड-19 के 100 सक्रिय मामले दर्ज किए गए, जिससे कुल मामलों की संख्या बढ़कर 139 हो गई है। बीते 24 घंटे में 14 नए मामले सामने आए। इस वर्ष अब तक कोविड से तीन मौतें हो चुकी हैं। सबसे हालिया मृत्यु रतलाम की 52 वर्षीय महिला की हुई, जिनकी कुछ दिन पहले इंदौर में कोविड संक्रमण के कारण जान गई। इससे पहले 6 जून को खरगोन की 44 वर्षीय महिला की MRTB अस्पताल में मृत्यु हुई थी। इस साल की पहली मौत 27 अप्रैल को इंदौर के ऑरोबिंदो अस्पताल में हुई थी, जहां 74 वर्षीय किडनी रोगी ने दम तोड़ दिया था। नया वेरिएंट JN.1: लक्षणों में दिख रहा है बदलाव गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के पल्मोनोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. लोकेन्द्र डेव ने बताया कि वर्तमान में फैल रहे JN.1 वेरिएंट के लक्षणों में पहले की तुलना में कुछ स्पष्ट बदलाव देखे जा रहे हैं। उन्होंने बताया, “JN.1 वेरिएंट में सबसे प्रमुख बदलाव पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं के रूप में सामने आ रहा है — जैसे मतली, भूख न लगना, पेट दर्द और दस्त। पहले भी ये लक्षण देखे जाते थे, लेकिन बहुत हल्के और कम मामलों में। अब ये ज़्यादा आम और तीव्र हो गए हैं।” बुखार के पैटर्न को लेकर डॉ. डेव ने कहा, “पहले के वेरिएंट्स में तेज बुखार, ठंड लगना और पसीना आना आम था। जबकि JN.1 में लगातार हल्का बुखार बना रहता है। यह कई बार लोगों को मामूली थकान या सामान्य कमजोरी जैसा महसूस होता है और इस कारण अनदेखा भी हो सकता है।” स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टरों ने जनता से सतर्क रहने, हल्के लक्षणों को भी गंभीरता से लेने और समय पर जांच करवाने की अपील की है।

भोपाल की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था चरमराई: बीसीएलएल बस सेवा सिमटी, यात्री बेहाल

कभी भोपाल की सड़कों पर दौड़ती बीसीएलएल (भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड) की 368 बसें अब मात्र 86 पर सिमट गई हैं, जिनमें से 5 से 7 बसें रोजाना खराबी के चलते बंद पड़ी रहती हैं। पहले शहर की 24 रूटों पर चलने वाली यह सेवा अब सिर्फ 6 रूटों तक सीमित रह गई है। इससे हजारों दैनिक यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहां पहले हर 5 से 10 मिनट में एक बस मिल जाती थी, वहीं अब यात्रियों को 30 मिनट से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ता है। यात्रियों की संख्या भी घटकर 1.5 लाख से मात्र 10,000–12,000 प्रतिदिन रह गई है। आने वाले दिनों में और रूटों पर सेवा बंद होने की आशंका जताई जा रही है, जिससे शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था गहरे संकट में है। इस व्यवस्था के कमजोर पड़ते ही ई-रिक्शा शहर में परिवहन की मुख्य धुरी बनते जा रहे हैं। आरटीओ के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 7,000 से ज्यादा ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हुए थे, और इस साल अब तक 1,500 और जुड़ चुके हैं। यह संख्या उन हजारों अनरजिस्टर्ड ई-रिक्शाओं को शामिल नहीं करती, जो शहर भर में धड़ल्ले से चल रहे हैं। वहीं, बागसेवनिया डिपो में बीसीएलएल की 149 बसें खड़ी-खड़ी जंग खा रही हैं। ये बसें Maa Associates की हैं, जिसने टिकटिंग ऐप “Chalo” के साथ भुगतान विवाद के चलते सेवा स्थगित कर दी थी। अब विवाद सुलझ गया है, लेकिन Maa Associates इन बसों के लिए मुआवजे की मांग कर रही है और मामला अदालत में विचाराधीन है। यात्रियों की दुर्दशा विदिशा निवासी लक्ष्मण सिंह गुरुवार को इलाज के लिए भोपाल आए और ISBT बस स्टैंड पर बस का इंतजार करते हुए 40 मिनट बिता दिए। अंततः उन्होंने ई-रिक्शा से सफर किया। ऐसे सैकड़ों उदाहरण शहरभर में देखे जा सकते हैं, जहां लोग अब निजी परिवहन के भरोसे हैं क्योंकि बीसीएलएल की बस सेवा भरोसेमंद नहीं रही। बीसीएलएल के प्रबंधक रोहित यादव ने कहा, “मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए तत्काल समाधान संभव नहीं है, लेकिन हम वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी कोशिश कर रहे हैं।”

Massive Fire on Singapore-Flagged Ship Off Kerala Coast: 4 Still Missing, Rescue Ops Continue

A major fire has engulfed a Singapore-flagged container vessel approximately 70 nautical miles off the coast of Beypore in Kozhikode, Kerala. Despite relentless firefighting efforts, the blaze has remained uncontrollable for over 58 hours, raising concerns about the safety of the crew and potential environmental damage. Indian Navy’s Swift Rescue Operation The Indian Navy has rescued 18 crew members from the burning vessel and transported them to Mangaluru for medical treatment and care. A massive search and rescue operation is still underway to locate four missing crew members. Injuries and Hospitalization Among the injured are two foreign nationals—Chinese national Lu Yanli and Indonesian national Sonitur Haeni—who suffered serious burn injuries. Both are currently being treated in the emergency intensive care unit (ICU) of a private hospital in Mangaluru. Doctors have stated that their condition is stable, but they are expected to remain under close observation in the ICU for the next four to five days. Four other crew members sustained minor injuries, and one among them was discharged from the hospital on Wednesday, hospital authorities confirmed. Crew Composition and International Response The ill-fated vessel had a total of 22 crew members on board, including 14 Chinese nationals. In response to the incident, the Chinese Embassy has expressed its sincere gratitude to the Indian Navy for its prompt and courageous rescue operation. Embassy officials also extended wishes for the speedy recovery of the injured personnel and a successful conclusion to the firefighting and search efforts. Ongoing Operations The Indian Navy and Coast Guard remain engaged in firefighting and recovery efforts, while aerial and surface surveillance continues to track the situation and locate the missing sailors. Authorities are also monitoring the vessel for any signs of potential oil leakage or further structural damage. As the situation remains tense, maritime authorities are coordinating closely with international agencies to ensure all safety and environmental protocols are followed.

भोपाल के ऐशबाग स्टेडियम के पास नया रेल ओवरब्रिज विवादों में घिरा, 90 डिग्री मोड़ बना चिंता का कारण

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐशबाग स्टेडियम के पास हाल ही में तैयार हुआ रेल ओवरब्रिज (RoB) उद्घाटन से पहले ही विवादों में घिर गया है। 648 मीटर लंबा और 8.5 मीटर चौड़ा यह पुल करीब 18 करोड़ रुपये की लागत से बना है। इस पुल के एक छोर पर बना तीव्र 90 डिग्री का मोड़ स्थानीय निवासियों और सोशल मीडिया यूज़र्स के लिए चिंता का विषय बन गया है। लोगों को आशंका है कि यह मोड़ भविष्य में हादसों का कारण बन सकता है। यह पुल महमाई का बाग, पुष्पा नगर, स्टेशन क्षेत्र और न्यू भोपाल के बीच यातायात को सुगम बनाने और ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग पर होने वाले लंबे इंतजार को खत्म करने के उद्देश्य से बनाया गया है। राज्य सरकार के अनुसार, मार्च 2023 में शुरू हुए इस पुल के निर्माण से रोज़ाना लगभग तीन लाख लोगों को लाभ होगा और उनका सफर सुगम बनेगा। हालांकि, इसके डिज़ाइन को लेकर लोगों में भारी नाराज़गी है। पुल के एक छोर पर बना 90 डिग्री का तीव्र मोड़ सोशल मीडिया पर बहस का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मनीष चौधरी ने टिप्पणी की, “यह भोपाल का ऐशबाग ओवरब्रिज है — जिसे बनाने में PWD को 10 साल लग गए, जैसे कोई इंजीनियरिंग का चमत्कार हो। जब सत्ता भ्रष्ट सरकारों के हाथ में होती है, योजनाएं किताबों में बंद अयोग्य योजनाकार बनाते हैं, और इंजीनियर डोनेशन से डिग्री लेते हैं, तो पुल नहीं, आपदा बनती है।” एक अन्य यूज़र मुकेश ने लिखा, “मौत अब 90 डिग्री एंगल पर आएगी। यह है राजधानी भोपाल में विकास का एंगल। इस पुल पर 18 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।” विवादों के बीच परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने डिज़ाइन का बचाव किया है। लोक निर्माण विभाग (सेतु विभाग) के मुख्य अभियंता वी.डी. वर्मा ने समाचार एजेंसी को बताया, “मेट्रो स्टेशन के कारण भूमि उपलब्ध नहीं थी। भूमि की कमी के कारण और कोई विकल्प नहीं था। इस ओवरब्रिज का उद्देश्य दोनों कॉलोनियों को जोड़ना है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस पुल से केवल छोटे वाहनों को ही गुजरने की अनुमति होगी और संचालन पूरी सुरक्षा व्यवस्था व इंडियन रोड कांग्रेस के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। वहीं, PWD मंत्री राकेश सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जब कोई पुल बन जाता है, तब अचानक विशेषज्ञ पैदा हो जाते हैं और इस तरह की बातें करते हैं। किसी भी पुल के निर्माण में कई तकनीकी पहलुओं का ध्यान रखा जाता है। यदि कोई आरोप है, तो उसकी जांच की जाएगी।” गौरतलब है कि ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग के बंद होने के बाद इस पुल की मांग लंबे समय से की जा रही थी, क्योंकि इससे रोजाना के यात्रियों को भारी परेशानी हो रही थी।

राज्य में बैलों और सांडों की घटती संख्या बनी चिंता का विषय, गायों की आबादी में भारी अंतर

राज्य में गायों की तुलना में बैल और सांडों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पशुपालन निदेशालय के एक मोटे अनुमान के अनुसार, राज्य की गोवंश आबादी में गायों की हिस्सेदारी लगभग 85% है, जबकि बैल और सांड मात्र 15% रह गए हैं। खेती में मशीनों के बढ़ते उपयोग से बैलों की मांग घटी पशुपालन निदेशालय के सूत्रों के अनुसार, किसानों द्वारा खेती के पारंपरिक तरीकों को छोड़कर ट्रैक्टर और आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग शुरू करने के बाद बैलों की मांग में तेज गिरावट आई है। अब अधिकांश किसान पारंपरिक खेती के लिए बैल पालने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। प्रजनन में सांडों की उपयोगिता भी घटी पहले जहां सांडों का उपयोग मुख्य रूप से प्रजनन के लिए होता था, वहीं अब कृत्रिम गर्भाधान और “लिंग छांट” तकनीक के चलते इनकी उपयोगिता घट गई है। अब किसान गायों को प्रजनन केंद्रों पर ले जाना ज्यादा पसंद करते हैं। अधिक दूध देने वाली गायों की चाह किसान अब यह उम्मीद करते हैं कि उनकी गायें मादा बछड़ों को जन्म दें, जो आगे चलकर दूध देने वाली गायें बन सकें। इससे घरेलू आय में वृद्धि होती है। “लिंग छांट” तकनीक के माध्यम से 90% से अधिक संभावना होती है कि मादा बछड़ा ही जन्म ले। केवल छोटे किसान ही अब रखते हैं बैल पशुपालन निदेशालय के निदेशक डॉ. पी. एस. पटेल ने भी इस गिरावट की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “राज्य में बैलों की संख्या में कमी आई है क्योंकि अधिकांश किसान अब खेती के लिए मशीनों का उपयोग करते हैं। केवल छोटे किसान, जो ट्रैक्टर नहीं खरीद सकते, वे ही अभी बैलों का उपयोग करते हैं।” अवर्गीकृत गायों की बढ़ती संख्या राज्य के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में गायें देखी जा रही हैं जो किसी भी विशेष नस्ल में दर्ज नहीं हैं। इनमें दूध उत्पादन की क्षमता कम होती है। राज्य में सिर्फ तीन नस्लों — मालवी, निवाड़ी और केन्खठा — को ही मान्यता प्राप्त है। हालांकि इन नस्लों का दूध उत्पादन कम है, परंतु इसका विशेष स्वाद और गुणवत्ता मानी जाती है। भैंसों की संख्या में इजाफा, गायों में गिरावट 20वीं पशुगणना (2019) के अनुसार, गायों की आबादी में 2012 की 19वीं गणना की तुलना में 4.34% की गिरावट दर्ज की गई है। 2012 में यह संख्या 1,96,02,366 थी, जो 2019 में घटकर 1,87,50,828 रह गई। वहीं, इसी अवधि में भैंसों की आबादी में 25.88% की बढ़ोतरी देखी गई।

Chad Suspends Visas for U.S. Citizens in Retaliation to Trump’s Renewed Travel Ban

In a swift and symbolic act of diplomatic retaliation, Chad’s President Mahamat Idriss Deby announced the suspension of visa issuance for U.S. citizens, following former U.S. President Donald Trump’s reimposition of a travel ban targeting 12 countries, including Chad. 🔴 What Happened? On Wednesday, Trump reinstated a controversial policy from his first presidential term, citing “deficient screening and vetting procedures” and refusal by certain nations to accept deported nationals. The 12 countries affected by the new ban are: The new ban also includes heightened restrictions on visitors from seven other nations and is set to take effect from Monday at 12:01 a.m. In response, President Deby declared via Facebook that Chad would invoke the principle of reciprocity and suspend U.S. visas, making it clear that while Chad lacks vast resources, “Chad has his dignity and pride.” 🌍 Regional Reactions: African nations—seven of which are included in the ban—are responding in varied ways: ⚖️ Diplomatic Fallout: This development threatens to deepen tensions between the U.S. and several African nations, at a time when global geopolitical alliances are shifting. Chad’s bold move underscores growing frustration in parts of the Global South over perceived unilateral and discriminatory visa policies. Analysts warn that the decision could affect military cooperation, counterterrorism efforts, and regional diplomatic goodwill, especially in areas where U.S. presence or aid remains critical. ⏭️ What’s Next? The reciprocal visa suspension by Chad is currently indefinite, with no clear path to reversal unless the U.S. revisits or clarifies its policy. With diplomatic channels expected to be activated behind the scenes, attention will now turn to whether other affected nations will follow Chad’s lead—or opt for more conciliatory approaches like Sierra Leone. This incident once again highlights how visa policies can ripple far beyond immigration, shaping relationships, national pride, and international power dynamics.

रक्षाबंधन पर बढ़ेगी लाड़ली बहना योजना की राशि: मुख्यमंत्री मोहन यादव का बड़ा ऐलान

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को जबलपुर जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए घोषणा की कि लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत दी जाने वाली मासिक सहायता राशि को रक्षाबंधन के अवसर पर बढ़ाया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि आने वाले पांच वर्षों में इस राशि को धीरे-धीरे बढ़ाकर ₹3,000 प्रति माह तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में लाभार्थियों को ₹1,250 प्रति माह की सहायता राशि दी जाती है। ₹1,400 करोड़ की सिंचाई परियोजना – गोमुख जलाशय मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में ₹1,400 करोड़ की लागत वाली ‘गोमुख जलाशय परियोजना’ का भी ऐलान किया, जिससे जबलपुर और मंडला जिलों के 25,000 से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा। इस परियोजना से जबलपुर में 14,900 हेक्टेयर और मंडला में 10,100 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव होगी। शिक्षा और कौशल विकास पर फोकस मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी क्षेत्र में संदीपनि स्कूल और आईटीआई संस्थान जैसी शैक्षिक सुविधाएं शुरू की जा रही हैं, जो विद्यार्थियों के जीवन को बदलने में अहम भूमिका निभाएंगी। उन्होंने उज्जैन के संदीपनि आश्रम का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने वहां शिक्षा प्राप्त की थी, वैसे ही आज के विद्यार्थी भी आधुनिक संदीपनि विद्यालयों से प्रेरणा लेकर निखरेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित एमपी के स्कूल यादव ने गर्व से कहा कि विनोबा सीएम राइज़ स्कूल (रतलाम) को “विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूल पुरस्कार 2024” की इनोवेशन श्रेणी में विजेता घोषित किया गया है, जबकि सीएम राइज़ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (झाबुआ) को “सपोर्टिंग हेल्दी लाइफ” श्रेणी में चयनित किया गया। ये सम्मान लंदन स्थित T4 एजुकेशन संस्था द्वारा दिए गए हैं। शहीद रानी दुर्गावती को श्रद्धांजलि मुख्यमंत्री ने गोंडवाना समुदाय की रानी दुर्गावती को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने 52 युद्ध लड़े और अपने प्रशासनिक कौशल और जल संरक्षण के जरिए दुश्मनों को मात दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नदी जोड़ो परियोजना को साकार करने में जुटी है। अभी मध्यप्रदेश में ऐसी तीन परियोजनाओं पर कार्य हो रहा है। किसान कल्याण और जल संरक्षण राज्य सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए किसान मेलों का आयोजन कर रही है। नरसिंहपुर जिले में हाल ही में तीन दिवसीय कृषि एवं औद्योगिक मेले का आयोजन किया गया, जिसमें आधुनिक कृषि तकनीक और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन की व्यवस्था की गई। इसके अलावा, ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ के तहत 75,000 खेत तालाब बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से अब तक 70,000 तालाब ढाई महीने में तैयार कर लिए गए हैं। कुंडम आईटीआई का विकास तकनीकी शिक्षा मंत्री गौतम तेतवाल ने बताया कि 2022 में शुरू हुई कुंडम आईटीआई अब एक आधुनिक भवन, छात्रावासों और स्टाफ क्वार्टर के साथ विकसित की गई है, जिस पर ₹12.63 करोड़ की लागत आई है। यह संस्थान क्षेत्रीय युवाओं के कौशल विकास और रोज़गार में सहायक बनेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियों को 9 जून को जनता के समक्ष रखा जाएगा। इसमें महिला सशक्तिकरण, युवा विकास, गरीबी उन्मूलन और कृषि क्षेत्र की प्रगति को दर्शाया जाएगा।

सुकमा में नक्सली हमले में एएसपी की शहादत: सीएम और डिप्टी सीएम ने जताया शोक, बदले की चेतावनी

छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में सोमवार को नक्सलियों द्वारा लगाए गए IED विस्फोट में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (कांटा डिवीजन) आकाश राव गिरेपुंजे शहीद हो गए, जबकि दो अन्य पुलिस अधिकारी घायल हो गए। यह घटना डोंड्रा गांव के पास तब हुई जब ASP और उनकी टीम एक जली हुई मशीन की सूचना मिलने पर पैदल गश्त कर रही थी। पुलिस के अनुसार, जैसे ही जवान मौके पर पहुंचे, वहां पूर्व-नियोजित IED विस्फोट हुआ। इस हमले में एसडीओपी भानुप्रताप चंद्राकर और थाना प्रभारी सोनल गवाला भी घायल हो गए। सभी को तत्काल उपचार के लिए कांटा अस्पताल पहुंचाया गया, जहां गिरेपुंजे की गंभीर हालत के चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका। 42 वर्षीय आकाश राव गिरेपुंजे रायपुर जिले के निवासी थे और 2013 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी थे। वह मन्हपुर-मोहला और सुकमा जैसे संवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात रह चुके थे और बहादुर अफसरों में गिने जाते थे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने X (पूर्व ट्विटर) पर शोक जताते हुए कहा, “यह बेहद दुखद है। मैं उनके शौर्य को नमन करता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि “नक्सलियों को इस कायराना हमले की कीमत चुकानी होगी और जल्द ही छत्तीसगढ़ से उनका अस्तित्व मिटा दिया जाएगा।” राज्य के गृह मंत्री और उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी गिरेपुंजे की शहादत को नमन करते हुए कहा, “सरकार नहीं चाहती कि एक भी गोली चले, लेकिन नक्सली मुख्यधारा में लौटें और पुनर्वास योजना का लाभ उठाकर समाज के विकास में भागीदार बनें।” घायल अधिकारियों की हालत अब स्थिर बताई गई है और उन्हें आगे के इलाज के लिए रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है। वहीं, शहीद गिरेपुंजे के पार्थिव शरीर को पूरे राजकीय सम्मान और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम संस्कार के लिए रायपुर लाया जा रहा है। पुलिस विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया, “शहीद गिरेपुंजे का बलिदान हमारे संकल्प को और दृढ़ करेगा कि हम माओवादी संगठन जैसे निर्दयी और षड्यंत्रकारी तंत्र को पूरी तरह समाप्त कर देंगे।”

World Brain Tumour Day 2025: Experts Urge Awareness of Early Signs and Dispel Common Myths

On World Brain Tumour Day, leading medical professionals are calling for increased public awareness about brain tumours—a neurological condition that remains one of the most complex and life-altering, yet often misunderstood. Despite advancements in medicine, early detection remains a major challenge, largely due to a lack of public knowledge about subtle symptoms and risk factors. Dr. Harisha P N, Senior Consultant of Neurosurgery at Manipal Hospitals (Yeshwanthpur), explained that brain tumours are essentially abnormal cell growths within or near the brain. “These tumours can be malignant (cancerous) or benign (non-cancerous) and may originate from various parts of the brain or adjacent structures like the skull or nasal passages,” he said. Warning Signs: Don’t Ignore These Symptoms The symptoms of a brain tumour depend on its type, size, and location, but there are several key signs people should be aware of: “The tumour’s position in the brain can lead to very specific effects, like trouble swallowing, limb weakness, or tingling,” Dr. Harisha added. Not All Tumours Are Cancer Contrary to popular belief, not every brain tumour is fatal. “Many, like meningiomas or pituitary tumours, are benign,” Dr. Harisha noted. “However, even benign tumours can exert pressure on nearby brain tissue, leading to serious symptoms. That’s why timely diagnosis is crucial.” Diet, Devices, and DNA: Understanding Risk Factors While the causes of brain tumours aren’t always clear, research is beginning to link lifestyle factors with potential risk: Dr. Harisha stressed that ionising radiation, such as from radiotherapy, does increase tumour risk. However, routine imaging methods like X-rays or CT scans involve minimal exposure, and techniques like MRI and ultrasound are completely safe. As for one of the most debated topics—mobile phones—Dr. Priyanka Kisan Pokhariyal, Consultant Physician at Saifee Hospital (Mumbai), clarified: “While mobile phones emit radiofrequency radiation, it’s non-ionising and not strong enough to damage DNA. Current evidence does not support a direct link to brain tumour development.” The Takeaway: Early Action Can Save Lives Brain tumours are not always deadly, but ignoring symptoms or delaying diagnosis can be. As experts highlight on World Brain Tumour Day, the path to better outcomes lies in awareness, early detection, and dispelling misinformation. Recognising the signs and seeking timely medical evaluation could make all the difference.

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