भोपाल नगर निगम ने तीन वर्षों में जमा किए 3 करोड़ रुपये, वर्षा जल संचयन पर नहीं हुआ कोई कार्य
भोपाल नगर निगम (बीएमसी) ने पिछले तीन वर्षों में भवन निर्माण की अनुमति लेने वाले आवेदकों से वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के नाम पर तीन करोड़ रुपये से अधिक की राशि सुरक्षा निधि के रूप में जमा की है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस राशि से अब तक एक भी वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित नहीं की गई है। भूमि विकास नियम, 2012 के तहत जमा होती है राशि वर्ष 2012 के भूमि विकास नियमों के अनुसार, भवन अनुमति के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों को वर्षा जल संचयन स्थापना के लिए एक सुरक्षा शुल्क जमा करना अनिवार्य है। यह राशि वापस पाने योग्य होती है, बशर्ते कि आवेदक वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित कर उसका प्रमाण निगम को प्रस्तुत करे। न धन वापसी का दावा, न सिस्टम की स्थापना व्यवहार में देखा गया है कि अधिकांश संपत्ति मालिक वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने के बाद भी अपनी जमा राशि की वापसी का दावा नहीं करते। वहीं, नगर निगम इन अप्रयुक्त धनराशियों का कोई सकारात्मक उपयोग भी नहीं कर पाया है। वर्ष 2022-23 में ₹1.07 करोड़, 2023-24 में ₹80.48 लाख, और 2024-25 में ₹1.16 करोड़ की राशि निगम ने एकत्र की, परंतु अब तक इससे न तो कोई प्रणाली स्थापित की गई और न ही जनजागरूकता बढ़ाई गई। पानी संकट वाले शहर में यह बड़ी चूक विशेषज्ञों का कहना है कि जल संकट झेल रहे शहर के लिए यह गंभीर चूक है। इस निधि का उपयोग न होना पर्यावरणीय प्रयासों को कमजोर करता है और साथ ही पारदर्शिता व जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करता है। इंदौर मॉडल से तुलना में बीएमसी पिछड़ा इसके विपरीत, इंदौर नगर निगम ने इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए हैं। वहां न सिर्फ वर्षा जल संचयन प्रणाली की निगरानी की जाती है, बल्कि स्थापित करने वालों को सुरक्षा निधि की वापसी भी सुनिश्चित की जाती है। नगर निगम की स्वीकारोक्ति भोपाल नगर निगम के सिटी प्लानर अनूप गोयल ने स्वयं इस विफलता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि बहुत कम भवन मालिक वर्षा जल संचयन स्थापित करने के बाद अपनी जमा राशि वापस मांगते हैं। उन्होंने बताया कि 140 वर्ग फुट से बड़े भवनों में यह प्रणाली अनिवार्य है और पूर्व में निगम द्वारा जनजागरूकता अभियान भी चलाए जाते थे। वर्षा जल संचयन: क्या है और क्यों जरूरी है वर्षा जल संचयन एक जल संरक्षण तकनीक है, जिसमें बारिश के पानी को एकत्र कर भविष्य के उपयोग के लिए संग्रहित किया जाता है। इससे भूमिगत जलस्तर में सुधार होता है और कुओं व नलकूपों की जल उपलब्धता बढ़ती है। यह प्रणाली छतों से पानी एकत्र कर टैंकों या गड्ढों में संग्रहित करती है और विशेषकर जल संकट वाले क्षेत्रों में यह अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है।
