गणेश प्रतिमा विसर्जन के बाद भोपाल में 80 टन से अधिक कचरा एकत्र

भोपाल – भव्य गणेश प्रतिमा विसर्जन के अगले ही दिन भोपाल नगर निगम (बीएमसी) ने शहर के विभिन्न घाटों से 80 टन से अधिक कचरा एकत्र किया। इसमें से लगभग 50 टन पूजन सामग्री शामिल थी। इस कचरे को अलग-अलग ट्रांसफर स्टेशनों पर भेजकर पुनर्चक्रण की प्रक्रिया शुरू की गई। फूल और मालाओं से अगरबत्ती बनाने का कार्य किया जाएगा। 30,000 से अधिक प्रतिमाओं का विसर्जन नगर निगम के अनुसार, 48 घंटों के भीतर 30,000 से अधिक छोटी-बड़ी प्रतिमाएं राजधानी में विसर्जित की गईं। खास तिथियों और चंद्रग्रहण के कारण विसर्जन शनिवार दोपहर से शुरू होकर रविवार सुबह करीब 5 बजे तक चलता रहा। नगर निगम ने आठ परंपरागत घाटों पर विसर्जन की व्यवस्था की थी, जबकि 33 अस्थायी कुंड 21 ज़ोन में बनाए गए थे। अस्थायी कुंडों में विसर्जित प्रतिमाओं को बाद में 25 विशेष वाहनों के माध्यम से मुख्य घाटों तक पहुंचाया गया। अस्थायी कुंडों पर रात 2 बजे तक विसर्जन की व्यवस्था सक्रिय रही। मुख्य विसर्जन स्थलों में बैरागढ़, कमलापति, खटलापुरा, प्रेमपुरा, शाहपुरा, हथाई खेड़ा, मलखेड़ी और समर्धा घाट शामिल थे। बड़े आकार की प्रतिमाओं के लिए क्रेन और पोकलेन मशीनें लगाई गईं। हथाई खेड़ा, प्रेमपुरा और मलखेड़ी घाट पर दो-दो पोकलेन तैनात थीं, जबकि अन्य घाटों पर एक-एक पोकलेन उपलब्ध कराई गई। कुल मिलाकर 12 क्रेन, 16 पोकलेन, 25 विसर्जन वाहन और 21 ज़ोन से सहायक वाहन सेवा में लगाए गए। 50 टन पूजन सामग्री बरामद विसर्जन प्रक्रिया से निकले कचरे में से लगभग 28–30 टन फूल और मालाएं, 8–10 टन नारियल, करीब 2 टन कपड़ा, 800 किलो सजावटी सामग्री व प्लास्टिक, 100 किलो कांच की वस्तुएं व फोटो फ्रेम, मंदिर संरचनाओं के अवशेष और लगभग 500 किलो खाद्य सामग्री (फल व पकवान) शामिल थे। फूलों को दानापानी ट्रांसफर स्टेशन प्लांट में भेजा गया, जहां से उन्हें अगरबत्ती में परिवर्तित किया जाएगा। कपड़े का कचरा अन्ना नगर स्थित इकाई को भेजा गया। महापौर ने किया निरीक्षण रविवार को महापौर मालती राय ने खटलापुरा, रानी कमलापति, प्रेमपुरा और अन्य घाटों का निरीक्षण किया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सभी घाटों व कुंडों की पूरी तरह सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। महापौर ने स्वयं भी कर्मचारियों के साथ मिलकर प्रतिमा अवशेष और अन्य कचरे को हटाने में सहयोग किया।

‘गिफ्ट अ डेस्क’ अभियान: सीनी के बच्चों को मिल रही पढ़ाई में गरिमा, दुनियाभर से उमड़ा सहयोग

सीनी (मप्र)। ‘मोगली की धरती’ और पेंच टाइगर रिज़र्व के लिए मशहूर सीनी ज़िले में अब एक नई कहानी लिखी जा रही है। यहाँ हज़ारों बच्चे, जो अब तक फर्श पर बैठकर पढ़ाई करते थे, अब बेंच और डेस्क पर बैठकर पढ़ पा रहे हैं। यह संभव हुआ है 2015 बैच की IAS अधिकारी और कलेक्टर संस्कृति जैन द्वारा शुरू किए गए सामुदायिक अभियान ‘गिफ्ट अ डेस्क’ से। इस पहल ने देखते ही देखते वैश्विक रूप ले लिया। भारत ही नहीं, बल्कि जर्मनी और कनाडा जैसे देशों से भी लोग मदद के लिए आगे आए। जैन बताती हैं, “दशकों से बच्चे ज़मीन पर बैठकर कॉपी घुटनों पर रखकर पढ़ते थे। हमने सोचा कि अगर समुदाय को अपनी प्राथमिक स्कूलों से जोड़ा जाए तो हालात बदले जा सकते हैं।” पहले चरण में 1,367 प्राथमिक विद्यालयों की पहचान की गई, जहाँ कक्षा 1 से 5 तक 20 से अधिक छात्र पढ़ते हैं। ज़रूरत करीब 20,347 बेंच-डेस्क की निकली। इसके बाद एक ओपन गूगल शीट बनाई गई, जिसमें स्कूलों के नाम, ज़रूरत और संपर्क नंबर दर्ज किए गए। कोई भी लॉग इन कर अपने पुराने स्कूल या किसी भी स्कूल के लिए बेंच दान कर सकता था। स्थानीय फर्नीचर निर्माताओं से बैठक कर एक बेंच-डेस्क सेट की कीमत 2,200 रुपये तय की गई ताकि पारदर्शिता बनी रहे। एक कॉल सेंटर भी बनाया गया ताकि दानदाताओं को मदद मिल सके। अब तक 704 स्कूलों को 10,000 से अधिक बेंच-डेस्क मिल चुके हैं और 1,000 और रास्ते में हैं। योगदान करने वालों में 13 NRI, जर्मनी और कनाडा के नागरिक, स्थानीय व्यापारी, पुलिसकर्मी और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। सीनी तहसील कार्यालय के कर्मचारियों ने मिलकर ही 120 बेंच दान किए। शिक्षकों का कहना है कि बेंच मिलने के बाद बच्चों की उपस्थिति और एकाग्रता में सुधार आया है। जैन ने कहा, “यह सिर्फ फर्नीचर नहीं, बच्चों को गरिमा देने का तरीका है। यह संदेश है कि वे यहाँ के हैं और उनकी शिक्षा मायने रखती है।” डिजिटल स्तर पर ज़िला ई-गवर्नेंस मैनेजर राहुल शिवहरे ने अभियान की रीढ़ का काम किया। गूगल शीट से लेकर कॉल सेंटर तक पारदर्शिता बनाए रखने में उनकी टीम अहम रही। जैन कहती हैं, “यह मेरे कार्यकाल का सबसे संतोषजनक प्रोजेक्ट है। डेस्क और बेंच देना ही लक्ष्य नहीं, बल्कि पढ़ाई को गरिमा लौटाना असली मक़सद है। जब तक लोग इस पर विश्वास करते रहेंगे, यह अभियान चलता रहेगा।”

करोंद चौराहे पर कांग्रेस का अनोखा प्रदर्शन, गड्ढों को बताया ‘चाँद की सतह’

भोपाल। शहर की जर्जर और बरसात से तबाह सड़कों को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रविवार को राजधानी के करोंद चौराहे पर अनोखा प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने सड़कों के गड्ढों की तुलना चाँद की सतह से की और इसे भाजपा सरकार की 22 साल की ‘कुशासन और भ्रष्टाचार’ की निशानी बताया। नेतृत्व कर रहे मनोज शुक्ला ने अंतरिक्ष यात्री की पोशाक पहनकर पानी से भरे गड्ढों में उतरते हुए भाजपा के चुनाव-चिह्न ‘कमल’ के पोस्टर गाड़े। शुक्ला ने कहा, “भोपाल की सड़कों पर चाँद से ज्यादा गड्ढे हैं। कहीं भी वाहन चलाते समय सुरक्षा का अहसास नहीं होता।” प्रदर्शनकारियों ने नारेबाज़ी करते हुए आरोप लगाया कि राजधानी में ऐसा कोई कोना नहीं है, जहाँ सड़कें समतल हों और यात्री सुरक्षित महसूस करें। उन्होंने कहा कि हर साल करोड़ों रुपये सड़कों की मरम्मत के नाम पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन बरसात आते ही हालात वैसे ही हो जाते हैं। शुक्ला ने आगे आरोप लगाया कि सड़क निर्माण और मरम्मत के नाम पर खर्च की जाने वाली भारी-भरकम राशि का बड़ा हिस्सा नेताओं, अफसरों और ठेकेदारों की जेब में चला जाता है। उन्होंने बताया कि जिस करोंद सब्ज़ी मंडी के पास यह प्रदर्शन किया गया, वहाँ महज़ एक छोटे से हिस्से में ही लगभग 40 गड्ढे/क्रेटर मौजूद हैं।

करोड़ों की संपत्ति चिन्हित, जब्त होगी: टिकमगढ़ के अवैध हथियार कारखानों के मास्टरमाइंड्स पर शिकंजा

क्राइम ब्रांच ने टिकमगढ़ में पकड़े गए दो अवैध हथियार कारखानों के मास्टरमाइंड्स की करोड़ों की संपत्ति चिन्हित कर ली है। अब पुलिस कानूनी प्रक्रिया अपनाकर इन संपत्तियों को जब्त करने की तैयारी कर रही है। जांच में सामने आया है कि आरोपी सुरेंद्र विश्वकर्मा और नरेंद्र परमार ने दशकों से चल रहे अवैध हथियार कारोबार के जरिए भारी संपत्ति अर्जित की। सुरेंद्र और उसके परिवार के पास 3 से 4 एकड़ जमीन, आठ दुकानें, एक ट्रैक्टर, एक लोडिंग वाहन और पांच लेथ मशीनें मिली हैं। वहीं, नरेंद्र परमार की संपत्ति इससे भी अधिक है — उसके पास 25 एकड़ कृषि भूमि और दो फार्महाउस हैं। एडिशनल डीसीपी (क्राइम) शैलेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि अवैध कारोबार से अर्जित संपत्ति को जब्त कर सरकारी नियंत्रण में लिया जाएगा। पुलिस जांच से यह भी खुलासा हुआ है कि टिकमगढ़ और दतिया के अलावा यूपी के झांसी, ललितपुर, जालौन और हमीरपुर जिलों तक हथियारों की सप्लाई होती थी। कारोबार का नेटवर्क राजस्थान और बिहार तक फैला हुआ था, जिससे यह साबित होता है कि यह संगठित अंतरराज्यीय गिरोह है। गौरतलब है कि रविवार को क्राइम ब्रांच ने छापेमारी कर दो गुप्त हथियार फैक्ट्रियों का पर्दाफाश किया था। ये फैक्ट्रियां कृषि उपकरण वर्कशॉप के नाम पर चलाई जा रही थीं। एक फैक्ट्री चंदेरी के कुदिला गांव (कुदिला थाना क्षेत्र) और दूसरी रामगढ़ गांव (जतारा थाना क्षेत्र) में पाई गई। छापे में पांच पिस्टल, कच्चा माल और ऐसे उपकरण मिले, जिनसे करीब 1000 हथियार बनाए जा सकते थे। अब तक पुलिस सुरेंद्र, उसके साथी आनंदी और दो अन्य — सैफ अली और मुमताज अली — को गिरफ्तार कर चुकी है। हालांकि, दूसरा मास्टरमाइंड नरेंद्र परमार अभी फरार है। उसकी तलाश में झांसी समेत कई स्थानों पर पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं।

रेलवे ट्रैक पर युवक का शव 20 घंटे तक पड़ा रहा, जिम्मेदारी टालते रहे पुलिस विभाग

सागर जिले के बीना स्थित मलकहेड़ी स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर एक युवक का शव करीब 20 घंटे तक पड़ा रहा। आश्चर्य की बात यह रही कि घटना की जानकारी होने के बावजूद न तो जीआरपी (Government Railway Police) और न ही सिटी पुलिस ने कार्रवाई की। दोनों ने अपने-अपने क्षेत्राधिकार का हवाला देकर जिम्मेदारी टाल दी। मृतक की पहचान 28 वर्षीय राहुल अहिरवार, निवासी इंदिरा गांधी वार्ड, नई बस्ती के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, राहुल ने पहले शराब में एसिड मिलाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। परिजनों ने समय रहते उसे बचा लिया और अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन उसी दिन वह अस्पताल से निकल गया और शाम करीब 5 बजे रेलवे ट्रैक पर पहुंच गया, जहां एक ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। स्थानीय लोगों और परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, लेकिन जीआरपी और सिटी पुलिस दोनों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल दी। नतीजतन, राहुल का शव पूरी रात और अगली सुबह तक ट्रैक पर ही पड़ा रहा। अंततः परिजनों के दबाव के बाद दोपहर करीब 1 बजे सिटी पुलिस ने शव को ट्रैक से हटवाया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया, जिसके बाद अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। इस घटना ने पुलिस विभाग की लापरवाही और आपसी तालमेल की कमी को उजागर कर दिया है।

14 साल पुराने रिश्वतखोरी मामले में पूर्व एलआईसी इंजीनियर को 4 साल की सजा

जबलपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व एलआईसी सहायक अभियंता योगेश अरोड़ा को 14 साल पुराने रिश्वत मामले में दोषी करार देते हुए चार साल की कठोर कैद और 10,000 रुपये का जुर्माना सुनाया है। सीबीआई ने अगस्त 2011 में यह मामला दर्ज किया था। अरोड़ा पर आरोप था कि उन्होंने एलआईसी कार्यालयों में विद्युत रखरखाव से जुड़े बिलों को पारित करने के लिए एक ठेकेदार से 20,000 रुपये रिश्वत मांगी थी। ठेकेदार ने 93,000 रुपये का कार्य पूरा किया था और 35,000–40,000 रुपये के लंबित बिलों का भुगतान रुका हुआ था। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई टीम ने जाल बिछाया और अरोड़ा को 10,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। एजेंसी ने जनवरी 2012 में चार्जशीट दाखिल की थी। लंबी सुनवाई के बाद 3 सितंबर 2025 को विशेष न्यायाधीश ने अरोड़ा को भ्रष्टाचार का दोषी मानते हुए सजा सुनाई।

साइंस हाउस ग्रुप पर आयकर छापे की कार्रवाई पूरी, बड़े पैमाने पर सबूत मिले

भोपाल, इंदौर और मुंबई स्थित साइंस हाउस ग्रुप (SHG) के करीब 30 ठिकानों पर हुई आयकर विभाग की छापेमारी शुक्रवार को समाप्त हो गई। इस कार्रवाई को अब तक की साल की सबसे बड़ी रेड में से एक माना जा रहा है। छापों के दौरान टैक्स चोरी और फर्जी बिलिंग से जुड़े भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं। सूत्रों के अनुसार, जब्त डायरी और दस्तावेजों में जिन लोगों के नाम दर्ज हैं, उन्हें विभाग अब नोटिस जारी करेगा। इसके बाद संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी में कई बैंक लॉकरों का भी पता चला है, जिन्हें अगले सप्ताह खोला जा सकता है। जांच में सामने आया है कि ग्रुप ने टैक्स चोरी करने और अवैध तरीकों से अपनी नेटवर्थ बढ़ाने का काम किया। आयकर विभाग फिलहाल समूह के मालिक जितेंद्र तिवारी और उनके परिजनों के आयकर रिटर्न, बैंक खातों और लेन-देन की गहन जांच कर रहा है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुरू की ‘रीवाइल्डिंग’ पहल, वन्यजीव संतुलन बहाल करने की दिशा में कदम

भोपाल: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक अभिनव पहल ‘रीवाइल्डिंग’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य पारिस्थितिक संतुलन बहाल करना, विलुप्त और संकटग्रस्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करना तथा मध्य प्रदेश में जैव विविधता को बढ़ावा देना है। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्यक्रम अन्य राज्यों के लिए भी वन संरक्षण का एक मॉडल बनेगा। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य पहले से ही कई प्रजातियों जैसे कि स्वैम्प डियर (बारहसिंगा) के पुनर्वास और पुनर्प्रवेश कार्यक्रम चला रहा है। वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके इन प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में बहाल किया जा रहा है। विज्ञप्ति में कहा गया है, “‘रीवाइल्डिंग’ का अर्थ है प्रकृति को उसके शुद्ध और मौलिक संतुलन में पुनर्जीवित करना। इसमें उन शिकारी और शिकार प्रजातियों को फिर से जंगलों में बसाना शामिल है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक हैं लेकिन अब लुप्त हो चुकी हैं। इनके बिना खाद्य श्रृंखला टूट जाती है और पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ जाता है।” मध्य प्रदेश, जिसे ‘टाइगर स्टेट’ के नाम से जाना जाता है, जैव विविधता से समृद्ध है, लेकिन कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं। स्वैम्प डियर की संख्या लगातार घट रही है, वहीं बाघ और तेंदुए के बीच संतुलन भी बिगड़ रहा है। अधिकारियों का मानना है कि समय पर किया गया यह पुनर्स्थापन वनों के प्राकृतिक संतुलन को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।

Two Arrested for Extorting Tea Shop Owner at Knife-Point

Bhopal: Gautam Nagar police have arrested two men for allegedly threatening a tea shop owner with knives and demanding protection money. The accused, identified as Farhan of Kamal Nagar and Ayan alias Ayyu of Rajiv Colony, were found in possession of sharp-edged weapons. Complainant Deepak Tiwari, who runs a tea stall in Shiv Shakti Nagar, Chhola Mandir, reported that around 9.30 pm on Saturday the duo barged into his shop, abused him, and demanded ₹10,000 per month as protection money. They also pressured him to withdraw an earlier case and threatened to kill him if he refused. Police said both men have a history of criminal activity. Farhan faces previous charges under the Arms Act at Koh-e-Fiza and Nishatpura police stations, while Ayan has serious cases registered against him in Nishatpura and Gautam Nagar. Both accused were produced in court on Monday for further legal proceedings.

ग्राम मास्टर प्लान तैयार करे, किसानों की जमीन अधिग्रहित न करे : BKS

शहरीकरण के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित करने के बजाय सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए ग्राम संकुल मास्टर प्लान तैयार करना चाहिए। यह बात भारतीय किसान संघ (BKS) के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्रा ने सोमवार को भोपाल में कही। वे यहां BKS की कार्यकारिणी बैठक में शामिल होने पहुंचे थे। मिश्रा ने कहा, “लोगों को जबरन शहरों की ओर धकेलने के बजाय सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी बुनियादी और आधुनिक सुविधाएं गांवों में ही उपलब्ध कराई जाएं। इससे ग्रामीणों का पलायन रुक सकेगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रस्तावित मास्टर प्लान ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा और गांव की पारिस्थितिकी तथा संस्कृति की रक्षा करेगा। उन्होंने कहा, “BKS शहरीकरण या विकास के खिलाफ नहीं है, लेकिन यह किसानों की जमीन की कीमत पर नहीं होना चाहिए। सरकार को शहरों के विस्तार पर ध्यान देने के बजाय ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करने पर फोकस करना चाहिए।” मिश्रा ने चेतावनी दी कि गांवों का अंधाधुंध विस्थापन न केवल ग्रामीण जीवन को बल्कि पर्यावरण और मानव सभ्यता को भी नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा, “जब गांव उजड़ते हैं तो उनकी संस्कृति, पर्यावरण और पारिस्थितिकीय तंत्र नष्ट हो जाते हैं। यह केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए हानि है।” उन्होंने यह भी मांग की कि जहां भूमि अधिग्रहण अपरिहार्य है, वहां उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि सरकार जमीन अधिग्रहित करती है, तो उसे बाज़ार भाव से चार गुना अधिक भुगतान करना चाहिए, जैसा कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में किया जाता है।”

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