भोपाल नगर निगम की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई तेज, बरसात से पहले साफ-सफाई पर जोर

भोपाल नगर निगम (BMC) ने वर्ष 2025 में अवैध कब्जों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को तेज कर दिया है। निगम ने अब तक 97 कार्रवाई अभियान चलाए हैं। इन कार्रवाइयों का उद्देश्य सार्वजनिक स्थलों को पुनः प्राप्त करना और शहर के सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देना है। हालांकि, इन अभियानों को लेकर स्थानीय नागरिकों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। कमर्शियल क्षेत्रों, फुटपाथों और सड़कों पर अवैध दुकानें और ठेले लगने से आमजन को चलने में कठिनाई हो रही है और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। 25 मई को BMC ने विभिन्न इलाकों में बिना लाइसेंस वाले विक्रेताओं और ढांचों को हटाने का अभियान शुरू किया ताकि पैदल चलने वालों को सुविधा मिल सके। हालांकि शुरुआत में यह अभियान सफल रहा, लेकिन कुछ ही दिनों में विक्रेता वापस लौट आए, जिससे कार्रवाई की प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगे। 27 मई को जवाहर चौक और लिंक रोड पर किए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत सड़कों को खाली कराया गया। हालांकि, हटाए गए विक्रेता आसपास के क्षेत्रों में शिफ्ट हो गए, जिससे समस्या का स्थानांतरण मात्र हुआ। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) की तैयारियों के दौरान BMC ने शहर के 20 स्थानों पर अतिक्रमण हटाया, जिनमें हलालपुर बस स्टैंड और आगंतुक आवास स्थल शामिल थे। इन प्रयासों का उद्देश्य शहर को व्यवस्थित और प्रस्तुत करने योग्य बनाना था। हालांकि, आवासीय क्षेत्रों में यह अभियान सीमित रहा। बैरागढ़ और कोलार मार्केट जैसे इलाकों में अभी भी अवैध कब्जे की समस्या बनी हुई है। बरसात के मौसम को देखते हुए यह अवैध ढांचे और भी खतरनाक साबित हो सकते हैं, क्योंकि ये जल निकासी व्यवस्था में रुकावट पैदा कर रहे हैं। करोंद मंडी और भानपुर में अस्थायी निर्माण कार्यों के चलते जल निकासी मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे भारी बारिश के दौरान जलभराव की आशंका बनी हुई है। BMC ने इन क्षेत्रों में कुछ अवैध प्लेटफॉर्म हटाए हैं, लेकिन अधूरी कार्रवाई से खतरा अभी भी बना हुआ है। निगम ने करोंद, अमन कॉलोनी, बडवाई और बैरागढ़ में अवैध स्टॉल, टेबल और ढांचे हटाकर फुटपाथ को खाली कराया। लेकिन कुछ ही समय बाद विक्रेता फिर से अपने स्थान पर लौट आए, जिससे अभियान का प्रभाव सीमित रहा। इन परिस्थितियों में नगर निगम की यह चुनौती बनी हुई है कि कैसे इन कार्रवाइयों को स्थायी और प्रभावी बनाया जाए, विशेषकर जब बरसात जैसे संवेदनशील समय नजदीक हो।

भोपाल नगर निगम के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय में नए शुल्क लागू होने के पहले दिन मचा हंगामा, सर्वर क्रैश से बढ़ी परेशानी

भोपाल नगर निगम (BMC) के जन्म-मृत्यु पंजीकरण कार्यालय में बुधवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब नए शुल्क लागू होने के पहले दिन सैकड़ों लोग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए उमड़ पड़े। दोपहर 2 बजे के बाद सर्वर क्रैश हो जाने से प्रक्रिया पूरी तरह बाधित हो गई, जिससे लंबी कतारें लग गईं और आवेदकों में भारी नाराज़गी देखी गई। नगर निगम ने अब पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है, जिसमें डिजिटल आवेदन और भुगतान अनिवार्य कर दिया गया है। पहले जो रसीद आधारित ऑफलाइन प्रक्रिया थी, उसे पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। लेकिन दोपहर बाद सर्वर फेल हो जाने से हर आवेदन में 10–15 मिनट की देरी होने लगी, जिससे भीड़ संभालना मुश्किल हो गया। BMC के कर्मचारी इस अचानक आई भीड़ से निपटने में पूरी तरह पस्त नजर आए। भीड़ लगातार बढ़ती रही और शाम होते-होते हालात और बिगड़ गए। तकनीकी ढांचा फेल, पारदर्शिता की कोशिश बनी परेशानी जहां यह डिजिटल बदलाव पारदर्शिता और प्रक्रिया में सुधार लाने के उद्देश्य से किया गया है, वहीं इसने निगम की तकनीकी तैयारियों की पोल खोल दी है। सर्वर की अस्थिरता और अतिरिक्त शुल्क भुगतान की बाध्यता ने लोगों की परेशानी और स्टाफ का बोझ दोनों बढ़ा दिए हैं। अब हर अतिरिक्त प्रति के लिए ₹50 का अलग भुगतान करना पड़ता है, जिससे प्रक्रिया और जटिल हो गई है। भीड़ की असली वजह: नया सरकारी आदेश अधिकारियों के अनुसार, हाल ही में सरकार द्वारा जन्म प्रमाण पत्र को आधार, पासपोर्ट और स्कूल एडमिशन के लिए अनिवार्य कर दिए जाने से अचानक आवेदनों की संख्या बढ़ गई। 2016 से प्रमाण पत्र मुफ्त जारी किए जा रहे थे, लेकिन निगमायुक्त हरेंद्र नारायण द्वारा मंगलवार को जारी एक स्थायी आदेश के तहत शुल्क फिर से लागू कर दिया गया, जिससे लोग अचानक आए बदलाव से अनजान थे। नई शुल्क संरचना अधिकारी का बयान जन्म-मृत्यु पंजीकरण कार्यालय के रजिस्ट्रार सत्यप्रकाश बदगैंया ने फ्री प्रेस से बात करते हुए बताया कि सभी एकत्रित शुल्क सांख्यिकी विभाग के खाते में प्रतिदिन बैंक चालान के माध्यम से जमा किए जा रहे हैं। उन्होंने सर्वर में आई गड़बड़ियों को स्वीकारते हुए कहा कि बढ़ती मांग को देखते हुए अब एक बेहतर और मजबूत डिजिटल प्रणाली की आवश्यकता है।

भोपाल में शूट हुई फिल्म ‘होमबाउंड’ को 78वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

भोपाल और उसके आसपास के क्षेत्रों में पूरी तरह से शूट की गई फिल्म ‘होमबाउंड’ को 78वें कान्स फिल्म फेस्टिवल के “Un Certain Regard” सेक्शन में प्रदर्शित किया गया, जहां इसे जबरदस्त सराहना मिली। फिल्म के निर्देशक नीरज घेवन हैं, और यह इस प्रतिष्ठित श्रेणी में शामिल होने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म थी। फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद नौ मिनट तक खड़े होकर तालियों से स्वागत किया गया, जिसमें दुनिया भर के फिल्मकारों, कलाकारों और दर्शकों ने फिल्म की प्रशंसा की। ‘होमबाउंड’ को वैश्विक स्तर पर और अधिक मान्यता तब मिली जब ऑस्कर विजेता अमेरिकी निर्देशक मार्टिन स्कॉर्सेसी ने भी फिल्म से जुड़ाव जताया। फिल्म की अधिकांश शूटिंग वर्ष 2024 में भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में की गई, जहां प्राकृतिक, सांस्कृतिक और शहरी परिदृश्यों का बेहतरीन मेल मौजूद है। इस फिल्म में ईशान खट्टर, विशाल जेठवा और जान्हवी कपूर मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे। धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी यह फिल्म मध्य प्रदेश में शूट होने वाली उनकी पाँचवीं फिल्म है। निर्माता करण जौहर और निर्देशक नीरज घेवन की यह परियोजना, उनकी पूर्व फिल्म मसान की तरह ही आलोचकों की प्रशंसा बटोर रही है। फिल्म की टीम ने मध्य प्रदेश में शूटिंग के अनुभव को अत्यंत सकारात्मक बताया। उन्हें राज्य में विभिन्न प्रकार के लोकेशनों की सहज उपलब्धता और स्थानीय समुदायों से मिले सहयोग ने प्रभावित किया। टीम के कई सदस्यों ने भविष्य में फिर से मध्य प्रदेश में फिल्मांकन की इच्छा जताई।

वित्तीय अधिकार नियमावली 2025 (भाग-1) को कैबिनेट की मंजूरी, 1 जुलाई से होगा लागू

मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में वित्तीय अधिकार नियमावली 2025 (भाग-1) को मंजूरी दी गई। यह नियमावली वित्तीय अधिकार नियमावली 2012 (भाग-1) का स्थान लेगी और आगामी 1 जुलाई से प्रभावी होगी। नवीन नियमावली का उद्देश्य शासकीय कार्यों में व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। इसके तहत राज्य वित्त विभाग को टंकण त्रुटियों को सुधारने और भविष्य में आवश्यकतानुसार संशोधन करने का अधिकार दिया गया है। साथ ही, नियमावली का हिंदी संस्करण प्रकाशित करने की अनुमति भी दी गई है। राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, 2012 की नियमावली में संशोधन की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि: नियमावली की प्रमुख नई प्रावधान: यह संशोधित नियमावली प्रशासनिक निर्णयों को तेज, सरल और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

मध्य प्रदेश में कोविड से पहली मौत, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर

देश में कोविड से हुई मौतों की सूची में मध्य प्रदेश भी शामिल हो गया है। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में अब तक कुल 11 कोविड मरीजों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 9 मौतें पिछले एक सप्ताह में हुई हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर में 22 अप्रैल को एक 47 वर्षीय महिला की कोरोना से मौत हो गई। महिला को पहले से ही किडनी की समस्या थी। यह राज्य में कोविड से हुई पहली मौत थी। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गया और अब तक राज्य में 10 कोविड मामलों की पुष्टि हो चुकी है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, देश में सबसे अधिक सक्रिय मामले केरल में हैं (430)। महाराष्ट्र में 208, दिल्ली में 104 और गुजरात में 83 मामले दर्ज किए गए हैं। कर्नाटक में कुल 80 मामलों में से 73 केवल बेंगलुरु में हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में 22 अप्रैल से 22 मई तक 10 कोविड मामलों की पुष्टि हुई है। बीमारी से निपटने के लिए भोपाल स्थित एम्स में 20 बेड वाला समर्पित वार्ड तैयार किया गया है। एम्स भोपाल में आरटी-पीसीआर जांच सुविधा पूरी तरह से चालू है, जिससे कोविड-19 संक्रमण की त्वरित और सटीक पहचान हो सकेगी। इसके अलावा, एम्स में एक कोविड जनरल वार्ड भी सक्रिय किया गया है, जिसमें आइसोलेशन बेड शामिल हैं। वहीं, गंभीर मरीजों के इलाज के लिए वेंटिलेटर से युक्त विशेष आईसीयू भी तैयार किया गया है। आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है। जिला अस्पताल और हमीदिया अस्पताल जैसे अन्य सरकारी अस्पताल स्वास्थ्य विभाग से दिशा-निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

भोपाल में साइबर क्राइम का कहर जारी, जनवरी से मई 2025 तक ₹9.3 करोड़ की ठगी, रिकवरी महज 2%

भोपाल में साइबर अपराध के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। वर्ष 2025 के जनवरी से मई माह के बीच ही साइबर क्राइम ब्रांच में 440 से अधिक शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। इन मामलों में ठगों ने ₹9.3 करोड़ की रकम ठगी है, जो शहरवासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। तीन साल में ₹104 करोड़ से अधिक की ठगी, रिकवरी बेहद कम अधिकारियों के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच भोपाल के नागरिकों से कुल ₹104 करोड़ से अधिक की ऑनलाइन ठगी हुई, जिसमें वर्ष 2024 में ही लगभग ₹63 करोड़ की ठगी दर्ज की गई — जो अब तक का सबसे भयावह वर्ष रहा। इस अवधि में कुल ठगी गई रकम का मात्र 2% ही वापस दिलाया जा सका, जो रिकवरी व्यवस्था की कमजोर स्थिति को दर्शाता है। 2025 में अब तक ₹46.46 लाख साइबर अपराधियों के खातों में फ्रीज किए गए, जिनमें से केवल ₹7.88 लाख ही पीड़ितों को लौटाए जा सके हैं। बैंक करें पीड़ितों की मदद: पुलिस अधिकारी एक वरिष्ठ अपराध शाखा अधिकारी ने कहा कि ठगी गई रकम की वापसी कठिन कार्य है। भले ही पुलिस साइबर अपराधियों के बैंक खातों को फ्रीज कर दे, लेकिन रकम की वापसी के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। यदि एक ही खाते से कई लोग ठगे गए हों, तो अदालत में ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर ही राशि लौटाई जाती है। उन्होंने कहा कि बैंक पीड़ितों को उनकी मेहनत की कमाई लौटाने में मदद नहीं करते। अधिकारी ने सुझाव दिया कि बैंकों को साइबर क्राइम सहायता डेस्क बनानी चाहिए और ‘म्यूल अकाउंट्स’ पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए, जो साइबर अपराधियों की रीढ़ हैं। NCRP शिकायत संख्या को माना जाएगा FIR के समान साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने बताया कि अब अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या वेबसाइट cybercrime.gov.in के माध्यम से शिकायत करता है और उसकी रकम किसी खाते में फ्रीज होती है, तो NCRP की शिकायत संख्या को FIR की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे मामलों में पीड़ित सीधे अदालत में वकील के माध्यम से बैंक को पैसा लौटाने का आदेश दिलवा सकते हैं, FIR का इंतजार आवश्यक नहीं है। पीड़ितों को UTR रखना चाहिए सुरक्षित अधिकारी ने कहा कि जब कई राज्यों की पुलिस एक ही अकाउंट को फ्रीज करती है और उसमें कई पीड़ित जुड़े होते हैं, तब पैसे की पहचान और वापसी जटिल हो जाती है। ऐसे में पीड़ितों को अपनी यूनिक ट्रांजैक्शन रेफरेंस (UTR) संभालकर रखना चाहिए, जिससे ट्रांजैक्शन का ट्रैक मिल सके। स्टाफ की कमी और हेल्पलाइन का लचर संचालन एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में 1930 हेल्पलाइन के लिए एक कॉल सेंटर बना है, लेकिन अक्सर कॉल व्यस्त रहती है या जुड़ नहीं पाती। इसके कारण शिकायत समय पर दर्ज नहीं हो पाती। वहीं, साइबर क्राइम ब्रांच में करीब 70 स्टाफ हैं, जिनमें से अधिकतर को कानून-व्यवस्था की ड्यूटी में भी लगाया जाता है। ‘म्यूल अकाउंट’ और फर्जी सिम कार्ड के खिलाफ अभियान: कमिश्नर भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा कि म्यूल अकाउंट्स और प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड्स के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में जब अपराधी पकड़े जाते हैं, तो वे समझौते के नाम पर पीड़ित को पैसा लौटाकर मामला अदालत से बाहर निपटाने की कोशिश करते हैं। भोपाल पुलिस साइबर अपराधों को रोकने के लिए सक्रिय प्रयास कर रही है और आगामी दिनों में इससे निपटने के लिए और ठोस रणनीतियाँ अपनाई जाएंगी।

UPSC सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा मध्यप्रदेश में संपन्न, भोपाल में 60% अभ्यर्थियों ने दी परीक्षा

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा रविवार को मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में दो शिफ्टों में ऑफलाइन मोड में संपन्न हुई। राजधानी भोपाल के 50 परीक्षा केंद्रों पर कुल 15,941 पंजीकृत अभ्यर्थियों में से पहले सत्र में 9,593 (60.18%) और दूसरे सत्र में 9,494 (59.56%) अभ्यर्थियों ने परीक्षा में हिस्सा लिया। प्रत्येक केंद्र पर तीन पुरुष और दो महिला पुलिस कांस्टेबलों को तलाशी के लिए तैनात किया गया था। परीक्षा की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को जिला कोषालय के स्ट्रॉन्ग रूम से सीलबंद प्रश्नपत्र परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। प्रत्येक अधिकारी के साथ एक पुलिस सुरक्षा गार्ड को भी तैनात किया गया। इसके अतिरिक्त, परीक्षा व्यवस्था की निगरानी और औचक निरीक्षण के लिए छह एसडीएम को फ्लाइंग स्क्वॉड में नियुक्त किया गया था। इंदौर में 36 केंद्रों पर कुल 14,692 अभ्यर्थी और ग्वालियर में 30 केंद्रों पर 8,509 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। सागर से आए अभ्यर्थी विष्णु अहिरवार ने बताया, “परीक्षा ठीक रही। मैंने 80 से ज्यादा प्रश्न हल किए। करंट अफेयर्स सेक्शन थोड़ा कठिन था, खासकर खेलों से जुड़े प्रश्न जैसे शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश, खो-खो वर्ल्ड चैंपियनशिप और गांधी शांति पुरस्कार पर आधारित सवाल पूछे गए।” बेंगलुरु से आई रुमाना ने कहा, “पिछले साल की तुलना में पेपर आसान था। मैंने 60 से ज्यादा प्रश्न हल किए।” परीक्षा के दौरान राज्यभर में सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखने के लिए प्रशासन की ओर से कड़ी व्यवस्थाएं की गई थीं।

हरियाणा से लाई गई 225 लीटर अवैध देसी शराब के साथ तीन आरोपी गिरफ्तार, SUV जब्त

भोपाल में अपराध शाखा ने शनिवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 225 लीटर अवैध देसी शराब के साथ तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। साथ ही शराब की तस्करी में उपयोग की जा रही एक SUV (फोर व्हीलर) को भी जब्त किया गया है। जब्त किए गए सामान की कुल कीमत लगभग ₹10 लाख बताई जा रही है। शराब को हरियाणा से अवैध रूप से भोपाल लाया गया था। अपर अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) शैलेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि टीटी नगर, माता मंदिर और मैनिट क्रॉसिंग क्षेत्र में सक्रिय संदिग्धों पर नजर रखने के लिए अपराध शाखा की टीम तैनात थी। इसी दौरान टीम को इनपुट मिला कि पत्रकार कॉलोनी, टीटी नगर में एक हरियाणा नंबर की सफेद SUV खड़ी है, जिसमें शराब की पेटियां भरी हुई हैं और 3-4 व्यक्ति अवैध बिक्री की योजना बना रहे हैं। सूचना पर कार्रवाई करते हुए टीम मौके पर पहुंची और SUV को एक गली में खड़ा पाया। वाहन के अंदर तीन लोग बैठे थे, जिन्हें घेराबंदी कर पकड़ लिया गया। पकड़े गए आरोपियों की पहचान अजय डाक्से (25) और प्रमोद चैतन्य (25) — दोनों BDA कॉलोनी, सलैया के निवासी — और धीरज कपिल (24) — ईश्वर नगर, सलैया का निवासी — के रूप में हुई। जांच के दौरान SUV की पिछली सीट के पास कार्डबोर्ड की पेटियां भरी मिलीं। पूछताछ में आरोपी कोई वैध लाइसेंस या दस्तावेज पेश नहीं कर सके। तलाशी लेने पर 25 पेटियों में कुल 1,250 बोतलें मिलीं, जो 180 एमएल की थीं। इस तरह कुल 225 लीटर देसी सफेद शराब बरामद की गई, जिसकी बाजार कीमत लगभग ₹1.12 लाख है। अजय और प्रमोद पेशे से ड्राइवर हैं, जबकि धीरज रसोइया का काम करता है। फिलहाल पुलिस मामले की आगे जांच कर रही है।

पहलगाम हमले पर दिए बयान के बाद मंत्री विजय शाह की नई माफी, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बोले – “यह मेरी भाषाई भूल थी”

पहलगाम आतंकी हमले को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान पर देशव्यापी आलोचना और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने शुक्रवार, 23 मई 2025 को एक बार फिर सार्वजनिक माफी मांगी। उन्होंने अपने बयान को “भाषाई भूल” बताया और कर्नल सोफिया कुरैशी समेत देशवासियों से क्षमा याचना की। विजय शाह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जारी वीडियो में कहा,“मैं पहलगाम की वीभत्स घटना से बेहद व्यथित और दुखी था। मेरी देशभक्ति और सेना के प्रति सम्मान सदैव अटल रहा है। मेरे शब्दों से किसी धर्म, समाज या व्यक्ति की भावना को ठेस पहुंची हो, तो मैं दिल से क्षमा चाहता हूं। यह मेरी भाषाई भूल थी।” उन्होंने आगे कहा,“मेरे शब्दों का उद्देश्य किसी भी धर्म या व्यक्ति का अपमान करना नहीं था। मैं भारतीय सेना, बहन कर्नल सोफिया और समस्त देशवासियों से हाथ जोड़कर क्षमा मांगता हूं।” यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी पूर्व माफी को अस्वीकार करते हुए उनके खिलाफ विशेष जांच दल (SIT) गठित किए जाने के कुछ दिन बाद आया है। 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तीन सदस्यीय SIT का गठन हुआ था, जो अब मामले की जांच में जुटी है। SIT जांच में जुटी, मंत्री से पूछताछ अभी नहीं हुई सागर ज़ोन के पुलिस महानिरीक्षक प्रमोद वर्मा SIT का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने The Hindu से बातचीत में कहा कि जांच प्रारंभ हो चुकी है और साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। वहीं, SIT की सदस्य आईपीएस अधिकारी वाहिनी सिंह ने बताया कि अभी विजय शाह से पूछताछ नहीं की गई है और जांच उस स्तर तक नहीं पहुंची है। वर्मा ने कहा,“यह संवेदनशील मामला है, इसलिए जांच से जुड़ी कोई भी जानकारी सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा। हम 28 मई को सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश करेंगे।” क्या कहा था मंत्री शाह ने? 12 मई को इंदौर के समीप महू में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान विजय शाह ने एक टिप्पणी में कथित रूप से यह संकेत दिया था कि कर्नल सोफिया कुरैशी का संबंध पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों से है। इसके बाद प्रदेशभर में तीव्र विरोध हुआ, कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया, और कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग उठाई। विजय शाह, जो जनजातीय कार्य, सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन और भोपाल गैस त्रासदी राहत जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री हैं, तब से लो-प्रोफाइल में हैं और 20 मई को इंदौर के ऐतिहासिक राजवाड़ा में हुई कैबिनेट बैठक में भी अनुपस्थित रहे। कांग्रेस ने SIT पर उठाए सवाल विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने SIT की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा,“क्या यह सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने के नाम पर आंख मिचौली खेल रही है? SIT में ऐसे अफसर भी हैं जिन्होंने पहले विजय शाह के अधीन कार्य किया है।” कांग्रेस ने इस जांच को मंत्री को “बचाने का अभियान” करार दिया है। अब सभी की नजरें 28 मई की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई और SIT की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि मंत्री विजय शाह के खिलाफ अगला कदम क्या होगा।

भोपाल जिला पंचायत की स्थायी शिक्षा समिति की बैठक में ऑडियो क्लिप विवाद पर चर्चा, डीपीसी ओपी शर्मा को चेतावनी के साथ क्लीन चिट

शुक्रवार को भोपाल जिला पंचायत के सभागार में जिला पंचायत स्थायी शिक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता उपाध्यक्ष मोहन सिंह जाट ने की। बैठक में जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) ओपी शर्मा से जुड़ी एक कथित ऑडियो क्लिप पर चर्चा हुई। इस बैठक में समिति के सदस्य विनय सिंह मेहर, विक्रम बलेश्वर, विनोद रजोरिया, अनिल हाड़ा, साथ ही बेरसिया और फंदा ब्लॉक से आए बीआरसी और जन शिक्षकों ने हिस्सा लिया। बैठक में उपाध्यक्ष जाट ने उस ऑडियो क्लिप पर चिंता जताई जिसमें धन की मांग का कथित रूप से उल्लेख है। डीपीसी ओपी शर्मा ने स्वीकार किया कि आवाज उनकी ही है, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बातचीत एपीसी चौरसिया को बकाया शासकीय राशि को लेकर थी, न कि रिश्वत से संबंधित। शर्मा ने कहा कि इस ऑडियो को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया ताकि उनकी छवि खराब की जा सके। मामले को गंभीरता से लेते हुए उपाध्यक्ष जाट ने शर्मा को सख्त चेतावनी दी कि वे अपने पद का दुरुपयोग न करें और सहकर्मियों से शिष्टाचारपूर्ण व्यवहार करें। शर्मा ने समिति से माफी मांगी और आश्वस्त किया कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। बाद में मीडिया से बातचीत में उपाध्यक्ष जाट ने बताया कि ओपी शर्मा को पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण चेतावनी के साथ क्लीन चिट दे दी गई है। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहीरवार ने कार्यसूची का संचालन किया और सभी अधिकारियों को ईमानदारी से कार्य करने तथा विवादों से बचने की हिदायत दी। बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में हाईस्कूल एवं उच्चतर माध्यमिक परीक्षाओं के बेहतर परिणामों को भी रेखांकित किया गया। समिति अध्यक्ष ने शिक्षकों और अधिकारियों की सराहना की। बैठक का समापन आगामी शैक्षणिक योजनाओं की रूपरेखा तय करने के साथ हुआ।

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