तकनीक से बदली तस्वीर: जल गंगा संवर्धन अभियान में एमपी बना देश का पहला राज्य, वैज्ञानिक पद्धति से तय हो रहे जलस्रोतों के स्थान

मध्य प्रदेश ने जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल स्रोतों के निर्माण में तकनीकी नवाचार की मिसाल पेश की है। राज्य देश का पहला और एकमात्र राज्य बन गया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रियल-टाइम डेटा एनालिटिक्स और सैटेलाइट व मैपिंग टूल्स का उपयोग करके जलाशयों के स्थान तय कर रहा है। यह अभियान मनरेगा (MNREGS) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्रोतों के निर्माण और भूजल स्तर सुधारने के लिए चलाया जा रहा है। अब सूखे नहीं रहेंगे तालाब अधिकारियों के मुताबिक, इन वैज्ञानिक और तकनीकी हस्तक्षेपों से यह लगभग तय हो गया है कि अब बनाए जाने वाले जलाशय सूखे नहीं रहेंगे। पहले तालाब व कुएं गलत स्थान, ढलान या जल रिचार्ज बिंदुओं की जानकारी के अभाव में सूखे रह जाते थे। अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि हर प्रस्ताव SIPRI (Software for Identification and Planning of Rural Infrastructure) से सत्यापित होता है। यह सॉफ्टवेयर गांव स्तर पर खसरा नंबर तक की टोपोग्राफिकल जानकारी के आधार पर उपयुक्त स्थान तय करता है। क्लिक में तय हो रहा जल स्रोत एक अधिकारी ने बताया कि जब किसी स्थान पर जलाशय बनाने का प्रस्ताव आता है, तो खसरा नंबर प्रणाली में दर्ज किया जाता है और SIPRI जांच करता है कि स्थल उपयुक्त है या नहीं। ढलान, जल रिचार्ज, भौगोलिक संरचना जैसे दर्जनों मापदंड जांचे जाते हैं। यदि सभी मापदंड सही पाए जाते हैं, तभी अगली स्वीकृति दी जाती है। यह प्रणाली रेवेन्यू रिकॉर्ड, GPS, सैटेलाइट इमेज, ड्रोन सर्वे और निजी डेटा प्रदाताओं से भी वास्तविक समय में डेटा प्राप्त करती है। लाइनामेंट जैसी वैज्ञानिक विशेषताओं की भी जांच SIPRI प्रणाली ज़मीन की ऐसी वैज्ञानिक संरचनाएं भी पकड़ती है जैसे लाइनामेंट – जो सतह पर दिखाई नहीं देती लेकिन जल संरक्षण को प्रभावित करती है। इनकी उपस्थिति तालाबों को सूखा कर सकती है, इसलिए इनकी पहचान भी जरूरी है। अब तक 81,000+ फार्म तालाब, 1.2 हजार अमृत सरोवर और 1 लाख+ कुएं स्वीकृत अब तक जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत 81,000 से अधिक फार्म तालाब, 1,200 अमृत सरोवर और 1 लाख से ज्यादा कुएं स्वीकृत किए जा चुके हैं – और सभी के स्थलों को SIPRI द्वारा तकनीकी सत्यापन के बाद ही स्वीकृति दी गई है। मिनटों में स्वीकृति, पहले लगते थे कई दिन MNREGS कमिश्नर अवि प्रसाद ने बताया कि, “हमने इस प्रणाली को इनहाउस विकसित किया है और कई महीनों तक काम किया। पहले जहां एक प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने में कई दिन लगते थे, वहीं अब महज 15 मिनट में तकनीकी स्वीकृति मिल सकती है।” उन्होंने आगे कहा, “यह सिर्फ तालाबों की बात नहीं है – यह करोड़ों ग्रामीण लोगों के जीवन, सिंचाई सुविधा और पर्यावरणीय समृद्धि से जुड़ा हुआ मामला है। यह पहल न केवल भूजल स्तर बढ़ाएगी बल्कि खेती की पैदावार और ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगी।” राष्ट्रीय सराहना और अन्य राज्यों की रुचि इस अभिनव पहल की केंद्र सरकार ने भी सराहना की है और कई अन्य राज्य अब मध्य प्रदेश से इस प्रणाली को समझने के लिए संपर्क कर रहे हैं। MP की यह पहल आने वाले समय में पूरे देश के लिए मॉडल बन सकती है।

मेयर मालती राय का विरोध: जनप्रतिनिधियों पर लगाए गए आरोपों को बताया अपमानजनक, फाइल ट्रैकिंग सिस्टम की मांग

भोपाल की मेयर मालती राय ने शासन द्वारा जनप्रतिनिधियों पर फाइल प्रक्रियाओं में देरी के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने को लेकर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय शुक्ला को एक पत्र लिखकर इन आरोपों को “अपमानजनक” और “अस्वीकार्य” बताया है। यह पत्र गुरुवार को उस परिपत्र के जवाब में लिखा गया, जिसे 28 मई को निदेशालय द्वारा जारी किया गया था। उक्त परिपत्र में महापौरों और महापौर परिषद (MIC) के सदस्यों को प्रशासनिक विलंब के लिए दोषी ठहराया गया था। मेयर राय ने पत्र में लिखा कि बिना किसी ठोस आधार के चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर दोष मढ़ना न केवल उनके सम्मान को ठेस पहुंचाता है, बल्कि वास्तविक समस्याओं से ध्यान भी भटकाता है। उन्होंने कहा, “सभी महापौर और अध्यक्ष नगर निगम अधिनियम 1956 के अंतर्गत अपने कर्तव्यों से भली-भांति परिचित हैं। वे जनहित में कार्य करते हैं और मुद्दों का शीघ्र समाधान करने का प्रयास करते हैं।” राय ने यह भी कहा कि कई मामलों में फाइलें महापौर परिषद से स्वीकृत होने के बाद भी आयुक्त और अन्य अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण अटक जाती हैं। ऐसे में महापौरों को दोषी ठहराना भ्रामक है। उन्होंने 10 दिन में सभी फाइलों के निपटान का निर्देश देने वाले शासनादेश पर भी आपत्ति जताई और उसे अव्यवहारिक तथा ज़मीनी हकीकत से कटा हुआ बताया। पारदर्शिता जरूरी: राय मेयर मालती राय ने सुझाव दिया कि नगरीय प्रशासन विभाग को फाइलों की गति पर निगरानी रखने हेतु एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस प्रणाली में स्पष्ट रूप से दिखना चाहिए कि कौन अधिकारी फाइल रोककर बैठा है और कितने समय से। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता आने से हर स्तर पर जवाबदेही तय हो सकेगी।”

ग्रामीण पर्यटन से आत्मनिर्भरता की ओर मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया 241 होमस्टे का लोकार्पण, पर्यटन को मिलेगा नया आयाम

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को ‘ग्रामीण रंग – पर्यटन संग’ राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान कहा कि ग्रामीण पर्यटन न केवल सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करता है, बल्कि युवाओं के लिए स्थानीय रोजगार के अवसर भी सृजित करता है। यह कार्यक्रम कुशाभाऊ ठाकरे ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री ने राज्य में बढ़ते होमस्टे नेटवर्क को ‘अतिथि देवो भव’ की भावना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंचायती राज, ग्रामीण विकास और जनजातीय कार्य विभागों के सहयोग से होमस्टे ऑपरेटरों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि पर्यटकों को सर्वोत्तम सेवाएं मिल सकें। रूरल टूरिज्म को मिलेगा डिजिटल बूस्ट सीएम ने रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म मिशन की एक विशेष माइक्रोसाइट लॉन्च की, जिससे ग्रामीण पर्यटन की डिजिटल बुकिंग और जानकारी आसानी से सुलभ होगी। साथ ही, 241 गांवों में स्थापित होमस्टे का वर्चुअल लोकार्पण भी किया गया। ये होमस्टे पर्यटकों को स्थानीय व्यंजन, रीति-रिवाज और कला के माध्यम से असली ग्रामीण अनुभव प्रदान करेंगे। चार महत्वपूर्ण MoU पर हस्ताक्षर कार्यक्रम में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए: टाइगर स्टेट में 526% की पर्यटक वृद्धि सीएम यादव ने कहा कि 2024 में पर्यटन में 526% की वृद्धि हुई है, जो ग्रामीण पर्यटन की सफलता को दर्शाता है। कन्हा, पेंच और बांधवगढ़ जैसे राष्ट्रीय उद्यानों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। राज्य बाघों की संख्या और वन्यजीव विविधता में देश में पहले स्थान पर है। हेलिकॉप्टर सेवा और वेलनेस समिट की घोषणा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सीएम ने राज्य पर्यटन बोर्ड द्वारा हेलिकॉप्टर सेवाओं की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने एक वेलनेस समिट आयोजित करने की भी बात कही, जिसमें धार्मिक, वन्यजीव और स्वास्थ्य पर्यटन को शामिल किया जाएगा। सम्मान और प्रदर्शनियों से सजी शाम कार्यक्रम के दौरान 10 ज़िलों के कलेक्टरों को होमस्टे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सम्मानित किया गया। इसके अलावा 16 ग्राम पंचायतों और संस्थाओं को ग्रामीण पर्यटन में विशेष योगदान के लिए सम्मान मिला। मुख्यमंत्री ने हस्तशिल्प प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और मिट्टी की कला, मंडना, चित्रा, बांस कला, गोंड पेंटिंग, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग और वस्त्र कारीगरी से जुड़े कलाकारों से संवाद भी किया। भविष्य की योजना: 1,000 होमस्टे का लक्ष्य पर्यटन मंत्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी ने बताया कि पिछले साल 13.41 करोड़ पर्यटकों ने राज्य का दौरा किया। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 1,000 ग्रामीण होमस्टे स्थापित किए जाएं। इसके तहत महिलाओं को आतिथ्य क्षेत्र में प्रशिक्षित कर 10,000 से अधिक महिला उद्यमियों को सशक्त किया गया है। यह कार्यक्रम मध्यप्रदेश को न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर उभारने की दिशा में एक सशक्त पहल सिद्ध होगा।

भोपाल में बनेगा मध्यप्रदेश का पहला ग्रीन वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट, जैव ईंधन बनेगा हरे कचरे से

सतत कचरा प्रबंधन की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भोपाल अब मध्यप्रदेश का पहला ऐसा शहर बनने जा रहा है जहाँ ग्रीन वेस्ट (हरे कचरे) से बायोमास ब्रिकेट्स बनाने का प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा। यह प्लांट भोपाल नगर निगम (BMC) द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत करीब 8 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। हर दिन 5 टन हरा कचरा नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, भोपाल में प्रतिदिन करीब 5 टन ग्रीन वेस्ट उत्पन्न होता है, जिसमें पत्तियाँ, लकड़ियाँ और फूल जैसे जैविक अपशिष्ट शामिल होते हैं। अभी तक इस कचरे के निपटारे की कोई व्यवस्थित व्यवस्था नहीं है, जिससे यह नगर निगम के लिए एक चुनौती बना हुआ है। PPP मॉडल के अंतर्गत योजना इस परियोजना के अंतर्गत चयनित निजी कंपनी पूरे प्लांट की लागत वहन करेगी, जबकि BMC जमीन और पूरे शहर से इकट्ठा किया गया हरा कचरा प्रदान करेगा। निगम तैयार बायोमास ब्रिकेट्स के वितरण और मार्केटिंग में भी सहयोग करेगा। संभावित खरीदारों में सांची दुग्ध संघ प्रमुख रूप से शामिल है, जिससे परियोजना को आय का स्थायी स्रोत मिलने की संभावना है। बायोडिग्रेडेबल उत्पादों की भी होगी तैयारी इसके अतिरिक्त एक और यूनिट पास में स्थापित की जा रही है, जिसमें हरे कचरे से लकड़ी, फूल और पत्तियों से बायोडिग्रेडेबल उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इस यूनिट का संचालन एस्ट्रोनॉमिकल इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा और यह भी PPP मॉडल के तहत कार्य करेगी। अधिकारियों का कहना है कि भोपाल की तुलना में इंदौर में प्रतिदिन करीब 30 टन ग्रीन वेस्ट उत्पन्न होता है, जिससे इस योजना को अन्य शहरों में भी विस्तार की संभावनाएँ मिल सकती हैं। एक माह में शुरू होगा कार्य BMC कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने फ्री प्रेस से बातचीत में बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और प्लांट का कार्य एक माह के भीतर शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा, “यह प्लांट न केवल शहर में ग्रीन वेस्ट का बोझ कम करेगा बल्कि रॉयल्टी के रूप में आय का स्रोत भी बनेगा।” इसके साथ ही अधिकारी चंडीगढ़ का दौरा भी करने की योजना बना रहे हैं, जहाँ इसी प्रकार का एक प्लांट पहले से संचालित है। क्या होते हैं बायोमास ब्रिकेट्स? बायोमास ब्रिकेट्स ग्रीन वेस्ट से तैयार होने वाला एक पर्यावरण अनुकूल जैव ईंधन है। यह कोयले की जगह खाना पकाने, उद्योगों में हीटिंग और बिजली उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें कोयले या लकड़ी की तुलना में कम हानिकारक गैसें निकलती हैं, जिससे यह पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से एक बेहतर विकल्प बन जाता है।

वाहन चोरी गिरोह का भंडाफोड़, 7 गिरफ्तार, ₹7.5 लाख की चोरी की गाड़ियाँ बरामद

कोहेफिज़ा और शाहजहानाबाद थाना पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए सोमवार को वाहन चोरी में लिप्त सात आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से कुल ₹7.5 लाख की कीमत की चोरी की गई गाड़ियाँ और उनके पुर्जे बरामद किए हैं। पुलिस के अनुसार, यह कार्रवाई संजना वर्मा की शिकायत पर की गई, जिनकी दोपहिया वाहन 20 मई की रात नयापुरा क्षेत्र से चोरी हो गई थी। शिकायत दर्ज होने के बाद एक विशेष टीम का गठन किया गया। खुफिया सूचना के आधार पर पुलिस ने अर्शान खान (19) और नावेद खान (24) को गिरफ्तार किया। पूछताछ में दोनों ने अपने अन्य साथियों साहिल (23), इमरान (22), सलमान (28), सज्जाद (37) और हैदर (32) के नाम उजागर किए। सभी आरोपी भोपाल निवासी हैं और तकनीकी रूप से दक्ष हैं। कुछ आरोपी आरटीओ डेटा का दुरुपयोग कर फर्जी पंजीयन दस्तावेज भी तैयार करते थे। गिरोह चोरी किए गए दोपहिया वाहनों को नावेद की मैकेनिक दुकान के ज़रिए पुर्जों में बेचता था, जबकि कुछ पूरी गाड़ियों को फर्जी दस्तावेजों के साथ बेचने की कोशिश करते थे। पुलिस ने कुल 8 चोरी की गई गाड़ियाँ (ज्यादातर सुजुकी एक्सेस स्कूटर), 3 बाइक के पुर्जे और वाहन काटने के औज़ार बरामद किए हैं।

राज्य में बढ़ता पर्यावरणीय विवाद: अफसरशाही में खलबली

राज्य में एक पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा तेजी से तूल पकड़ता जा रहा है। कई लोग इस मसले पर सक्रिय हो गए हैं। एक सेवानिवृत्त अधिकारी के पत्र ने सरकार के कई बड़े अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। इस अधिकारी ने एक अहम संगठन में उच्च पद पर रहते हुए काम किया था। इसी मुद्दे को सुलझाने के लिए बडे़ साहब ने एक बैठक बुलाई, जिसमें एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने प्रमुख सचिव (पीएस) पर तीखी टिप्पणी कर दी। उन्होंने पीएस से कहा कि अगर वे आदेशों को नियमों के तहत उचित ठहरा सकें, तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। रिटायर्ड साहब ने यह भी कहा कि पीएस को ऐसे आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं था। बैठक एक घंटे तक चली, लेकिन साहब के सख्त रुख के कारण कोई हल नहीं निकल सका। आखिर में साहब को ही समाधान निकालने की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन उन्होंने तीन शर्तें रखीं, जिन पर अमल होने पर ही मसला सुलझाने की बात कही। इस पूरे मामले में एक महिला आईएएस अधिकारी का तबादला तय माना जा रहा है। त्रिकोण में फंसे वरिष्ठ अफसर राज्य का एक वरिष्ठ अधिकारी प्रशासनिक उलझन में फंसा हुआ है। फिलहाल वह एक कम महत्वपूर्ण विभाग में पदस्थ है, और उसका तबादला तभी संभव है जब तीन प्रमुख व्यक्ति—राज्य प्रमुख, बडे़ साहब और एक खास व्यक्ति—सहमति दें। जिन कारणों से उन्हें इस विभाग में भेजा गया था, वे अब उतने गंभीर नहीं रहे। लेकिन अब भी कोई अधिकारी यह पूछने का साहस नहीं कर रहा कि इस अधिकारी को मुख्य धारा में कब लाया जाएगा। जिस विभाग में वह कार्यरत हैं, वहां बिना उस खास व्यक्ति की सहमति के किसी का भी तबादला संभव नहीं है। पहले भी जब सरकार ने उनकी मर्जी के खिलाफ एक अफसर की नियुक्ति की थी, तो उसके कार्यशैली से वह इतने नाराज हुए कि सरकार को वह अधिकारी हटाना पड़ा। ऐसे में इस अफसर का तबादला आसान नहीं रह गया है। विवाह समारोह में छाए दो अधिकारी एक वरिष्ठ अधिकारी के परिवार में आयोजित विवाह समारोह में दो अफसर खास आकर्षण का केंद्र रहे। इन दोनों में से एक को राज्य की शीर्ष नौकरशाही की कमान मिल सकती है। इनमें से एक अधिकारी को हाल ही में केंद्र सरकार में कम महत्व का पद मिला है, लेकिन वह राज्य में प्रमुख सचिव बनने की कोशिश में है। उसे भरोसा है कि बडे़ साहब को विस्तार मिलेगा, और वह उनके बाद पद संभाल सकता है। यह अधिकारी कम बोलता है, इसलिए आमतौर पर उससे लोग दूरी बनाए रखते हैं, लेकिन समारोह में वह सभी से खुलकर मिला, खासतौर से जूनियर अधिकारी उससे बात करने पहुंचे। वहीं केंद्र में कार्यरत दूसरे अधिकारी को भी राज्य के अफसरों ने खास अहमियत दी। साहब का पानी और खर्च का खेल राज्य में एक गैर-आईएएस अधिकारी के प्रभाव की चर्चा जोरों पर है। यह अधिकारी कोई भी काम बिना ‘गाजर’ लिए नहीं करता। उसका विभाग उसके निजी और पारिवारिक खर्च उठाता है। अब साहब ने महंगे पानी पीने की आदत डाल ली है, जिसकी कीमत है ₹150 प्रति लीटर। यह शौक उन्हें राज्य की राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान चढ़ा। विभाग इस पानी का खर्च सीधे दिखा नहीं सकता, इसलिए अन्य मदों में इसे समायोजित किया जा रहा है। यह अफसर पहले जिस विभाग में था, वहां भी गड़बड़ियों में शामिल रहा है, और जांच एजेंसियां उसके पीछे हैं। फिर भी सरकार बनते ही उसे महत्वपूर्ण विभाग दे दिया गया। विभाग के प्रमुख सचिव उससे नफरत करते हैं, लेकिन कुछ कर नहीं सकते। मियां-बीवी की जोड़ी और योजना की स्वीकृति “मियां बीवी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी?” यह कहावत एक राज्य सरकार की योजना पर बिल्कुल सटीक बैठती है। योजना अच्छी मानी जा रही है, लेकिन इसे तैयार करने और इसकी तेजी से मंजूरी दिलाने में एक आईएएस दंपत्ति की अहम भूमिका मानी जा रही है। मैडम ने इसकी रूपरेखा बनाई और साहब के विभाग ने बिना किसी आपत्ति के तुरंत स्वीकृति दे दी। फिर साहब ने सरकार के उच्च स्तर पर इसकी मंजूरी दिलाई। यह योजना विधानसभा सत्र में अनुपूरक बजट के जरिए वित्तीय स्वीकृति पाएगी। इस त्वरित स्वीकृति को लेकर अन्य विभागों में भी चर्चाएं हो रही हैं। बड़े जिले की चाहत में साहब एक अधिकारी, जो पहले कलेक्टर नियुक्त होने पर विवादों में आए थे, वर्तमान सरकार बनने के बाद फिर से कलेक्टर बन गए। अब वे अपने वर्तमान जिले से बड़ा जिला चाहते हैं और इसके लिए पांच प्रमुख जिलों पर नजर गड़ाए हुए हैं। उनका एक करीबी रिश्तेदार बीजेपी का बड़ा नेता है, जो दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ठ नेता के नजदीक है। इसी नेता की सिफारिश पर उन्हें पहले कलेक्टरशिप मिली थी और अब फिर से वह एक बड़े जिले में तैनाती की कोशिश में हैं। हालांकि उनकी छवि एक ईमानदार अफसर की नहीं है। पहले कार्यकाल में पर्दे के पीछे हुए सौदों के कारण उन्हें हटाया गया था। अब वे सतर्कता से काम कर रहे हैं और तीसरी पोस्टिंग के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

राज्य में कोविड मामलों में इजाफा: नए वेरिएंट JN.1 से लक्षणों में बदलाव, अब पाचन संबंधी समस्याएं प्रमुख

शुक्रवार को राज्य में कोविड-19 के 100 सक्रिय मामले दर्ज किए गए, जिससे कुल मामलों की संख्या बढ़कर 139 हो गई है। बीते 24 घंटे में 14 नए मामले सामने आए। इस वर्ष अब तक कोविड से तीन मौतें हो चुकी हैं। सबसे हालिया मृत्यु रतलाम की 52 वर्षीय महिला की हुई, जिनकी कुछ दिन पहले इंदौर में कोविड संक्रमण के कारण जान गई। इससे पहले 6 जून को खरगोन की 44 वर्षीय महिला की MRTB अस्पताल में मृत्यु हुई थी। इस साल की पहली मौत 27 अप्रैल को इंदौर के ऑरोबिंदो अस्पताल में हुई थी, जहां 74 वर्षीय किडनी रोगी ने दम तोड़ दिया था। नया वेरिएंट JN.1: लक्षणों में दिख रहा है बदलाव गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के पल्मोनोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. लोकेन्द्र डेव ने बताया कि वर्तमान में फैल रहे JN.1 वेरिएंट के लक्षणों में पहले की तुलना में कुछ स्पष्ट बदलाव देखे जा रहे हैं। उन्होंने बताया, “JN.1 वेरिएंट में सबसे प्रमुख बदलाव पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं के रूप में सामने आ रहा है — जैसे मतली, भूख न लगना, पेट दर्द और दस्त। पहले भी ये लक्षण देखे जाते थे, लेकिन बहुत हल्के और कम मामलों में। अब ये ज़्यादा आम और तीव्र हो गए हैं।” बुखार के पैटर्न को लेकर डॉ. डेव ने कहा, “पहले के वेरिएंट्स में तेज बुखार, ठंड लगना और पसीना आना आम था। जबकि JN.1 में लगातार हल्का बुखार बना रहता है। यह कई बार लोगों को मामूली थकान या सामान्य कमजोरी जैसा महसूस होता है और इस कारण अनदेखा भी हो सकता है।” स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टरों ने जनता से सतर्क रहने, हल्के लक्षणों को भी गंभीरता से लेने और समय पर जांच करवाने की अपील की है।

भोपाल मेट्रो में भी मिलने की संभावना एक हफ्ते की फ्री राइड, अगस्त-सितंबर में हो सकता है शुभारंभ

भोपालवासियों के लिए खुशखबरी है। जैसे इंदौर मेट्रो के उद्घाटन के बाद एक सप्ताह तक लोगों को मेट्रो में मुफ्त यात्रा का मौका मिला था, वैसा ही ऑफर भोपाल मेट्रो के लिए भी मिल सकता है। मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की एक समिति इस संबंध में निर्णय लेती है और सूत्रों के अनुसार, भोपाल मेट्रो के शुरू होने पर राजधानी के नागरिकों को एक हफ्ते तक निशुल्क सफर का अवसर मिल सकता है। भोपाल मेट्रो के अगस्त या सितंबर में चालू होने की संभावना है, हालांकि अब तक व्यावसायिक संचालन की कोई निश्चित तिथि घोषित नहीं की गई है। मेट्रो की पहली लाइन सुबाष नगर से एम्स तक आठ स्टेशनों को कवर करेगी। इनमें से पांच स्टेशनों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और शेष तीन स्टेशनों पर काम तेजी से जारी है। फिलहाल भोपाल में 27 प्रस्तावित मेट्रो ट्रेनों में से 7 ट्रेनें पहले ही पहुंच चुकी हैं और एक और ट्रेन जल्द ही आने वाली है। सभी ट्रायल रन पूरे हो चुके हैं और अब रेलवे डिज़ाइंस एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन (RDSO) की अंतिम निरीक्षण रिपोर्ट का इंतज़ार है, जिसके बाद मेट्रो सेवाओं की शुरुआत की जाएगी। भोपाल मेट्रो एक नजर में:

भोपाल में हाई-प्रोफाइल चोर गिरोह का पर्दाफाश: दो इंजीनियर और एक प्राइवेट कर्मचारी गिरफ्तार, ₹1.5 करोड़ की चोरी में लिप्त

भोपाल पुलिस ने गुरुवार को एक हाई-प्रोफाइल चोर गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसमें दो कंप्यूटर साइंस इंजीनियर और एक प्राइवेट फर्म कर्मचारी शामिल हैं। इन तीनों ने शहर में ₹1.5 करोड़ से अधिक की चोरियों को अंजाम दिया था। गिरोह चोरी से प्राप्त सोना और नकदी को लोन के जरिए रियल एस्टेट में निवेश कर रहा था। सफेद कार बना पहचान का सुराग भोपाल के पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया कि यह जांच 14 मई को डैनिश कुंज इलाके में हुई बड़ी चोरी के बाद शुरू हुई। घटनास्थल के पास एक संदिग्ध सफेद कार सीसीटीवी में नजर आई। गाड़ी का नंबर स्पष्ट नहीं था, लेकिन मुखबिरों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस को यशवंत रघुवंशी (विदिशा निवासी), भूपेंद्र साहू (रायसेन निवासी, वर्तमान में कटारा हिल्स में रहने वाला) और अभिलाष विश्वकर्मा (छिंदवाड़ा निवासी) पर शक हुआ। तीनों की गिरफ्तारी और कबूलनामा पुलिस ने यशवंत को विदिशा से, भूपेंद्र को कटारा हिल्स से और अभिलाष को छिंदवाड़ा से गिरफ्तार किया। पूछताछ में तीनों ने कोलार रोड के तीन स्थानों और कटारा हिल्स में एक स्थान पर चोरी की बात स्वीकार की। दिन में रैकी, रात में वारदात गिरोह दिन के समय खाली मकानों की पहचान करता और रात में बाहरी साथियों को बुलाकर चोरी करता। सहयोगियों को होटल में ठहराया जाता और चोरी के बाद उन्हें लूट का हिस्सा देकर शहर से बाहर भेज दिया जाता था। लूट से रियल एस्टेट में निवेश मुख्य आरोपी चोरी का सोना मांडीद्वीप स्थित मुथूट फाइनेंस में गिरवी रखकर लोन लेते थे, जिससे रियल एस्टेट में निवेश किया जाता था। पुलिस ने ₹40 लाख मूल्य का सोना फाइनेंस कंपनी से जब्त कर फ्रीज़ किया है। शैक्षणिक पृष्ठभूमि और जब्ती तीनों आरोपी उच्च शिक्षित हैं — यशवंत और अभिलाष कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हैं, जबकि भूपेंद्र एक निजी कंपनी में कार्यरत है। पुलिस ने इनके पास से सोने-चांदी के आभूषण, चांदी के सिक्के और ₹24,000 नकद बरामद किए हैं। इनके बैंक खातों को भी फ्रीज़ कर दिया गया है, जिनमें चोरी से संबंधित ₹60 लाख की अतिरिक्त लेन-देन का पता चला है। पुलिस की सख्त कार्रवाई भोपाल पुलिस ने इस मामले को संगठित और पेशेवर अपराध मानते हुए, आगे की जांच के लिए वित्तीय लेन-देन और रियल एस्टेट निवेश पर विशेष ध्यान देने की बात कही है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि कहीं और भी इस गिरोह ने चोरी की घटनाओं को अंजाम तो नहीं दिया।

भोपाल में 21 से 30 मई तक चलेगा विशेष स्वच्छता अभियान, सभी 85 वार्डों में दो शिफ्टों में होगी सफाई

भोपाल नगर निगम (BMC) 21 मई से राज्य सरकार के आदेश पर विशेष स्वच्छता अभियान शुरू कर रहा है, जो 30 मई तक चलेगा। यह अभियान नगर के सभी 85 वार्डों में चलाया जाएगा। बीएमसी के निर्देशानुसार, प्रत्येक वार्ड को 6 भागों में विभाजित कर दो शिफ्टों में सफाई कार्य किया जाएगा। 🔹 पहली शिफ्ट: सुबह 7:00 से 11:00 बजे तक 🔹 दूसरी शिफ्ट: दोपहर 2:00 से शाम 6:00 बजे तक 🔹 प्रतिदिन की जाएगी विशेष सफाई 🔹 अन्य स्थानों की विशेष सफाई भी होगी यह अभियान स्वच्छता के साथ-साथ शहर की सुंदरता को बढ़ाने और जनसहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है। BMC सभी नागरिकों से इस मुहिम में सहयोग की अपील कर रहा है।

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