Bhopal to Get ₹582-Crore Water Supply Upgrade Under AMRUT 2.0

Bhopal’s water supply system is set for a major revamp with the launch of a ₹582-crore project under the AMRUT 2.0 scheme, aimed at expanding and modernising the city’s pipeline and storage network. Chief Minister Mohan Yadav will lay the foundation stone for the project on Thursday. Key Features of the Project The expansion will also cover newly developing areas like Ratibad, Neelbad, Maliphedi, Hathaikheda, Bagli, Danish Hills, Guradi Ghat, Laharpur, and Arvind Vihar, ensuring equitable access to piped water. Additional Civic Works Alongside the water project, the Chief Minister will inaugurate other civic infrastructure initiatives worth ₹16.76 crore under BMC’s Mechanical Department, including: The event will also see the distribution of compassionate appointment letters to families of deceased municipal employees, and honouring 10 sanitation workers for their contribution to Bhopal’s top national rank in Swachh Survekshan 2024. Addressing Future Water Demand Currently, Bhopal’s 25-lakh population consumes about 440 MLD (million litres per day) of water. By 2040, demand is projected to rise to 575 MLD, leaving a gap of 135 MLD. The project is designed to bridge this gap and secure supply for the next 15 years. Civic Preparedness BMC Commissioner Harendra Narayan said all preparations for the launch are complete, and the initiative will significantly strengthen Bhopal’s urban infrastructure while supporting sustainable growth.

ग्रामीण नल-जल योजना के संचालन व रखरखाव की जिम्मेदारी अब तीन साल तक पीएचईडी के पास

भोपाल। ग्रामीण नल-जल योजना के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन को लेकर बनी नीति को आगामी तीन वर्षों तक जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) लागू करेगा। इस संबंध में हुई बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में समझौता हुआ। दरअसल, एकल-ग्राम योजनाओं के रखरखाव को लेकर पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग और पीएचईडी के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में यह तय किया गया कि अगले तीन वर्षों तक पीएचईडी ही इसका संचालन और रखरखाव करेगा। इसके बाद भविष्य के लिए नई नीति पर विचार किया जाएगा। फिलहाल, जलकर (पानी के बिल) की वसूली का कार्य पंचायतें पहले की तरह करती रहेंगी। बैठक में मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि नल-जल योजना के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन के लिए स्थायी नीति बनाई जानी चाहिए। पीएचईडी के प्रमुख सचिव पी. नरहरी ने बताया कि वर्ष 2019 में केवल 13.53 लाख ग्रामीण परिवारों को पाइपलाइन से जल आपूर्ति मिल रही थी, जो मात्र 12.11% आबादी थी। अब यह आंकड़ा बढ़कर 78.64 लाख हो गया है और 70.41% ग्रामीण परिवार योजना का लाभ उठा रहे हैं। नरहरी ने कहा कि लक्ष्य है कि प्रदेश के 1.11 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक इस योजना के माध्यम से जल आपूर्ति पहुंचाई जाए।

फर्जी दस्तावेज़ों से कॉलेज की मान्यता दिलाने के मामले में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर FIR

कोहेफिज़ा थाना पुलिस ने बुधवार को कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ मामला दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर अपने कॉलेज की मान्यता हासिल की। यह कार्रवाई जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद की गई है। डीसीपी ज़ोन-3 रियाज़ इक़बाल ने बताया कि अदालत के निर्देश पर मसूद और अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। मामला खानूगांव स्थित इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज से जुड़ा है, जिसे अमन एजुकेशन सोसाइटी संचालित करती है और जिसके सचिव आरिफ मसूद हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने पहले ही इस कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी थी। हालांकि, छात्रों के हितों को देखते हुए अदालत ने चल रही कक्षाओं को जारी रखने की अनुमति दी थी लेकिन नए प्रवेश पर रोक लगा दी थी। सोमवार को हुई सुनवाई में जस्टिस अतुल श्रीधरन ने पुलिस को तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज कर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। अदालत ने पाया कि कॉलेज की मान्यता फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर दिलाई गई थी, जिसके बाद तत्काल कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए। पुराने मामले भी आए सामने, अधिकारी जांच के घेरे में जांच में खुलासा हुआ है कि इस तरह की गड़बड़ियों की शिकायत पहले भी उठाई जा चुकी है। वर्ष 2004 में तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर उच्च शिक्षा विभाग की जांच में सामने आया था कि सोसाइटी द्वारा जमा की गई सॉल्वेंसी से जुड़ी कागजात फर्जी थे। इसके बाद 2010 की एक और जांच में पता चला कि सोसाइटी ने जिस ज़मीन की रजिस्ट्री लगाई थी, वह दरअसल नवाब परिवार से 30 साल की लीज पर ली गई थी। इसके बावजूद दोनों मामलों में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। अब पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत केस दर्ज किया है। साथ ही उन अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है जिन्होंने पहले की जांचों में गड़बड़ियां उजागर होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल नवाबी संपत्ति विवाद में हाईकोर्ट का आदेश रोका

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल शाही परिवार की संपत्ति विवाद से जुड़े मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें मामला पुनः भोपाल की निचली अदालत को भेजा गया था। यह विवाद भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्ला खान की संपत्तियों से जुड़ा है। 1962 में उनकी बेटी साजिदा सुल्तान — जो अभिनेता सैफ अली खान की दादी थीं — को अकेली वारिस घोषित किया गया था। अब नवाब के भाइयों और अन्य रिश्तेदारों के वंशज इस दावे को चुनौती दे रहे हैं। याचिका में क्या कहा गया है?8 अगस्त को जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस अतुल चंदुरकर की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया। अपील ओमर फारूक अली और राशिद अली (नवाब ओबैदुल्ला खान के वंशज) ने दायर की है। उनके वकील आदिल सिंह बोपराई ने कहा कि हाईकोर्ट ने 30 जून के फैसले में तालत फातिमा (रामपुर) मामले के सिद्धांत को दोहराया कि नवाब की संपत्तियाँ मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार वारिसों में बंटनी चाहिए। हालांकि, इस सिद्धांत को मान्यता देने के बावजूद, हाईकोर्ट ने मामला गलत तरीके से फिर से विचार हेतु ट्रायल कोर्ट को भेज दिया। मौजूदा याचिका इसी पुनर्विचार आदेश को चुनौती देती है। न्यायिक इतिहास2019 में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया था कि रामपुर नवाबी संपत्ति तालत फातिमा मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार सभी वारिसों में बंटेगी। मप्र हाईकोर्ट ने 14 फरवरी 2000 के ट्रायल कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें केवल नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान, उनके बेटे दिवंगत क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी और उनके वारिस — सैफ अली खान, सोहा अली खान, सबा सुल्तान और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर — को विशेष अधिकार दिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का यह निर्णय 1997 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर आधारित था, जिसे 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने मामला ट्रायल कोर्ट को पुनर्विचार के लिए भेजा। विवाद का एक और पहलू2015 में सरकार ने हमीदुल्ला खान की सबसे बड़ी बेटी अबीदा सुल्तान की संपत्तियाँ अपने कब्जे में ले ली थीं, क्योंकि वह पाकिस्तान चली गई थीं। भारत में उनकी संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित किया गया। जबलपुर के वकील राजेश कुमार पंचोली (पटौदी परिवार के पूर्व अधिवक्ता) ने बताया कि 1972 में इस विवाद में 20 से अधिक दावेदार थे। 2019 के रामपुर केस ने सभी वारिसों (महिलाओं सहित) को हिस्सा देने की बात कही थी, लेकिन पंचोली का कहना है कि यह निर्णय भोपाल पर पूरी तरह लागू नहीं हो सकता, क्योंकि 1972 से अब तक भोपाल, सीहोर और रायसेन में फैली कई नवाबी संपत्तियाँ बिक चुकी हैं या अन्य लोगों के कब्जे में हैं। फिलहाल, हाईकोर्ट ने मामले के अंतिम निपटारे तक किसी भी नई बिक्री या ट्रांसफर पर रोक लगा रखी है।

क्राइम ब्रांच ने हथियार के साथ एक और आरोपी को दबोचा, यासीन अहमद से जुड़ा कनेक्शन

क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को एमडी ड्रग्स तस्करी के आरोपी यासीन अहमद से जुड़े एक और युवक को गिरफ्तार करने का दावा किया है। आरोपी के पास से देसी कट्टा और एक जिंदा कारतूस बरामद किया गया। पिछले एक महीने में क्राइम ब्रांच अब तक पांच पिस्टल और पांच जिंदा कारतूस जब्त कर चुकी है। एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच) शैलेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि आरोपी की पहचान लारीब खान (25), निवासी जहांगीराबाद के रूप में हुई है। मुखबिर से सूचना मिली थी कि पुरानी जेल रोड के पीछे एक युवक अपराध करने की नीयत से हथियार लिए खड़ा है। इस पर क्राइम ब्रांच की टीम मौके पर पहुंची और लारीब को पकड़ लिया। तलाशी के दौरान उसकी पैंट की जेब से देसी कट्टा और एक जिंदा कारतूस मिला। पूछताछ में लारीब ने कबूला कि उसने यह हथियार करीब 4–5 महीने पहले यासीन अहमद से 24 हजार रुपये में खरीदा था। उसने यह भी खुलासा किया कि यासीन पूरे शहर में अवैध हथियारों की सप्लाई करता है। लारीब के यासीन अहमद और अंशुल उर्फ भूरी से ड्रग्स कारोबार में भी संबंध रहे हैं। वह यासीन से एमडी ड्रग्स खरीदा करता था। पुलिस का मानना है कि यासीन अहमद से आगे की पूछताछ में बड़े खुलासे हो सकते हैं। उस पर पहले से ही शहर के विभिन्न थानों में दर्जनभर से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें ड्रग्स, हथियार, महिलाओं से जुड़े अपराध और अन्य अपराध शामिल हैं। गिरफ्तार आरोपी लारीब के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज कर उसे अदालत में पेश किया गया।

भोपाल में ढहती बस सेवा: 1.5 लाख यात्रियों पर संकट, अनुबंध समाप्ति से बढ़ी चिंता

कभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की रीढ़ मानी जाने वाली भोपाल की सिटी बसें अब लगभग ढहने की कगार पर हैं। वर्ष 2010 में शुरू हुई बीआरटीएस सेवा पिछले 15 वर्षों में बुरी तरह कमजोर हो चुकी है। जहां पहले 24 रूटों पर 350 से अधिक बसें चलती थीं, वहीं अब केवल 6 रूटों पर 100 से भी कम बसें बची हैं। इनमें से भी रोज़ाना 5 से 7 बसें खराबी और रखरखाव की वजह से सड़कों पर नहीं उतर पातीं। स्थिति और गंभीर हो सकती है क्योंकि भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (BCLL) और वर्तमान ऑपरेटर के बीच का अनुबंध सितंबर में समाप्त हो रहा है। यदि इसे नवीनीकृत नहीं किया गया, तो रोज़ाना यात्रा करने वाले लगभग 1.5 लाख यात्रियों को ऑटो, कैब या निजी वाहनों पर निर्भर होना पड़ेगा। पहले जहां बसें 5 से 10 मिनट की आवृत्ति पर मिलती थीं, वहीं अब यात्रियों को 30 से 45 मिनट तक इंतजार करना पड़ता है। इसके चलते सवारियों की संख्या घटकर केवल 10 से 12 हजार रह गई है। सूत्रों के अनुसार, अनुबंध नवीनीकरण न होने और ई-बसों की डिलीवरी में देरी से यात्रियों की समस्याएं और बढ़ सकती हैं। वर्तमान में चल रही बसें इन रूटों पर 149 बसें 18 महीने से खड़ी इधर, 149 बसें पिछले 18 महीनों से बाग सेवनिया डिपो में खड़ी हैं। ऑपरेटर और अधिकारियों के बीच भुगतान विवाद का मामला अदालत में लंबित है, जिसके कारण इन्हें सड़कों पर उतारना संभव नहीं हो पा रहा है। BCLL अधिकारियों का कहना है कि समस्या का समाधान इलेक्ट्रिक बसों के आने से होगा। दो वर्ष पहले 100 ई-बसों को मंजूरी मिली थी, लेकिन अब तक उनकी डिलीवरी नहीं हो सकी है। उम्मीद है कि ये बसें नवंबर-दिसंबर तक आ जाएंगी, लेकिन इनका संचालन नए साल से पहले शुरू होना मुश्किल है।

ऑनलाइन पपी स्कैम में 1.67 लाख की ठगी से आहत महिला ने की आत्महत्या, दो माह बाद दर्ज हुई एफआईआर

मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में ऑनलाइन पपी (कुत्ते का बच्चा) खरीदने के नाम पर ठगी का शिकार हुई एक महिला ने आत्महत्या कर ली थी। घटना के दो महीने बाद अब महिला के पति की शिकायत पर पुरानी छावनी थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। पीड़िता रीना प्रजापति (40), निवासी भट्टा पहाड़िया, ने जून की शुरुआत में ऑनलाइन पालतू जानवर खोजते समय पेट टू हाउस नामक कंपनी से संपर्क किया। शुरुआत में उनसे ₹2,000 एडवांस मांगा गया। सौदा असली मानकर उन्होंने रकम भेज दी। इसके बाद 7 जून से 11 जून के बीच रीना और उनके बेटे मोनू को अलग-अलग नंबरों से बार-बार कॉल आए और हर बार नई रकम जमा करने का दबाव बनाया गया। पपी मिलने की उम्मीद में उन्होंने लगातार अलग-अलग मोबाइल नंबरों और क्यूआर कोड पर पैसे ट्रांसफर किए। 11 जून तक कुल ₹1,66,628 भेज दिए गए, लेकिन पपी नहीं मिला। ठगी से हताश होकर रीना ने 10 जून को जहरीला पदार्थ खा लिया और अगले दिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पति राजेंद्र प्रजापति ने बताया कि पत्नी और जमा पूंजी दोनों खोने के सदमे में वे तुरंत पुलिस नहीं जा सके। 17 अगस्त को उन्होंने शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने पुष्टि की है कि महिला को ऑनलाइन कुत्ता बेचने वाले विज्ञापन के जरिए ठगा गया। करीब ₹1.67 लाख गंवाने के बाद अवसाद में आकर उन्होंने जान दे दी। पुलिस के अनुसार, इस धोखाधड़ी में कम से कम छह मोबाइल नंबर इस्तेमाल किए गए। साइबर सेल अब पैसों की ट्रेल खंगाल रही है।

गांधी मेडिकल कॉलेज भर्ती विज्ञापन रद्द: हाईकोर्ट ने कहा अवैध, नई प्रक्रिया से होगी नियुक्ति

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) में डॉक्टरों की भर्ती के लिए 28 सितंबर 2024 को जारी विज्ञापन को अवैध ठहराते हुए निरस्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि स्वायत्त कॉलेज की कार्यकारिणी समिति ने इन-हाउस उम्मीदवारों की पदोन्नति की प्रक्रिया तय किए बिना प्रत्यक्ष भर्ती का विज्ञापन जारी किया, जो कानूनन गलत है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने डॉ. रजनी ठाकुर की याचिका पर दिया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि एसोसिएट प्रोफेसर (एनेस्थीसिया) का पद पदोन्नति से भरा जाना चाहिए था और वह पिछले 12 वर्षों से एनेस्थीसिया विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं, इसलिए उन्हें पदोन्नति का हक है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि फीडर लाइन से भरे जाने वाले पद को प्रत्यक्ष भर्ती से नहीं भरा जा सकता। वहीं कॉलेज प्रबंधन की ओर से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते पदोन्नति नहीं दी जा सकती और राज्य सरकार ने अनुमति दी है कि ऐसे पद प्रत्यक्ष भर्ती से भरे जा सकते हैं। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अगर ऐसा हुआ तो उनकी जूनियर सहकर्मी को एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया जाएगा, जबकि वह लंबे समय से पदोन्नति की पात्र हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि यदि पदोन्नति की जगह प्रत्यक्ष भर्ती की जाती है और उसे केवल इन-हाउस उम्मीदवारों तक सीमित किया जाता है, तब भी वही प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए जो पदोन्नति के लिए निर्धारित है। अन्यथा, याचिकाकर्ता के विधिक अधिकार प्रभावित होंगे और उनका पदोन्नति पाने का हक समाप्त हो जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि कॉलेज प्रबंधन अब तक पदोन्नति की कोई निश्चित प्रक्रिया तय नहीं कर पाया है। ऐसे में पदोन्नति वाले पद को प्रत्यक्ष भर्ती में बदलना और बिना प्रक्रिया अपनाए नियुक्ति करना स्पष्ट रूप से अवैध है। हाईकोर्ट ने कहा, “इस न्यायालय को कोई संकोच नहीं है यह कहने में कि भर्ती विज्ञापन अवैधता से ग्रसित है।” अदालत ने कॉलेज प्रबंधन को आदेश दिया है कि नियुक्ति की प्रक्रिया दोबारा से शुरू की जाए।

शेयर मार्केट ठगी का खुलासा: केरल से चार गिरफ्तार, भोपाल निवासी से 9.35 लाख की ठगी

भोपाल क्राइम ब्रांच ने केरल के मलप्पुरम और कोझिकोड से गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इन पर फर्जी बैंक खातों की बिक्री कर ₹9.35 लाख की शेयर मार्केट निवेश ठगी में शामिल होने का आरोप है। पुलिस ने सोमवार को बताया कि आरोपी पीड़ितों को ऊंचे मुनाफे का लालच देकर नकली एप्लिकेशन के जरिए निवेश कराते थे और जैसे ही बड़ी रकम जमा होती, खातों को ब्लॉक कर देते थे। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला कोहेफिजा, भोपाल निवासी मोहम्मद जैनुल की शिकायत पर दर्ज हुआ। उन्हें PMHDFC नामक ऐप के जरिए सहज सोलर नामक फर्जी कंपनी से जोड़कर 9.35 लाख रुपये की चपत लगाई गई। आरोपियों ने शुरुआत में भरोसा जीतने के लिए छोटी रकम वापस की, लेकिन जैसे ही बड़ी राशि जमा हुई, पीड़ितों के अकाउंट ब्लॉक कर पैसे विदेश भेज दिए गए। जांच में सामने आया कि दुबई के एटीएम से भी ठगी की रकम निकाली गई थी। पुलिस ने जांच के दौरान व्हाट्सएप नंबर, नकली एप्लिकेशन और फर्जी बैंक खातों का पता लगाया। गिरफ्तार आरोपियों के नाम मुहम्मद नबील, शमशाद पी, आशीक साजिर टी और मोहम्मद दानिश सीके बताए गए हैं। इनके पास से पासबुक, एटीएम कार्ड, पासपोर्ट, मोबाइल और सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। इससे पहले भी केरल और महाराष्ट्र से आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस के मुताबिक, गिरोह का मोडस ऑपरेंडी महंगे दामों पर बैंक खाते खरीदना, उन्हें विदेश में बैठे साइबर अपराधियों को बेचना और ठगी की रकम विदेशी मुद्रा में निकालना था। मामले की आगे जांच जारी है।

भोपाल कॉलेज फर्जीवाड़ा मामला: कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश

जबलपुर स्थित हाईकोर्ट की प्रधान पीठ ने सोमवार को भोपाल पुलिस आयुक्त को कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। मसूद अमन एजुकेशन सोसायटी के सचिव हैं, जिसके अधीन इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट संचालित होता है। अदालत में यह मामला कॉलेज द्वारा पिछले 20 वर्षों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संचालित होने को लेकर चल रहा है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कॉलेज में इस समय करीब 1,000 छात्र पढ़ रहे हैं, इसलिए फिलहाल कॉलेज को संचालन की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, आने वाले शैक्षणिक सत्र में नए छात्रों का प्रवेश नहीं लिया जा सकेगा। इस मामले की जांच के लिए एडीजी (कम्युनिकेशन) संजीव सामी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया है। SIT को डेढ़ महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि 2024 में कॉलेज के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि कॉलेज द्वारा प्रस्तुत दो सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट विभाग से जारी ही नहीं किए गए थे, जबकि चार सॉल्वेंसी संबंधी रजिस्ट्री फर्जी पाई गईं। इसी आधार पर 2025 की शुरुआत में कॉलेज की मान्यता भी रद्द कर दी गई थी। इस मामले में अदालत में बयान देते हुए पूर्व भाजपा विधायक एवं मसूद के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी ध्रुव नारायण सिंह ने कहा, “कॉलेज पूरी तरह से जाली दस्तावेजों पर आधारित है। हाईकोर्ट ने भोपाल पुलिस आयुक्त को तीन दिनों में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं और साथ ही एक एसआईटी भी गठित की गई है।”

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