जर्मन कंपनियों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचेगा मध्य प्रदेश, नई तकनीकी साझेदारी की उम्मीद

मध्य प्रदेश में तकनीकी और औद्योगिक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए जर्मनी की पांच प्रमुख कंपनियों का प्रतिनिधिमंडल सोमवार से पांच दिवसीय दौरे पर आ रहा है। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और वर्कफ़्लो ऑटोमेशन जैसे उभरते क्षेत्रों में नई संभावनाओं पर चर्चा करेगा। तकनीकी साझेदारी की नींव यह दौरा मुख्यमंत्री मोहन यादव की कुछ माह पूर्व जर्मनी यात्रा के बाद हो रहा है, जहां उन्होंने तकनीकी साझेदारी के ज़रिए नवाचार और रोजगार सृजन पर बल दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह केवल तकनीकी सहयोग की शुरुआत नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के व्यापार और नवाचार सफर की आधारशिला है। किन कंपनियों के प्रमुख आएंगे यह प्रतिनिधिमंडल इन कंपनियों के संस्थापकों और सीईओ से मिलकर बना है, जो एआई आधारित डेटा इंटीग्रेशन, कनेक्टिविटी सॉल्यूशंस, एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर और आईओटी में विशेषज्ञ मानी जाती हैं। दौरे का कार्यक्रम

भोपाल नगर निगम का बड़ा कदम : अवैध गौशालाओं की पहचान के लिए सर्वे शुरू

भोपाल नगर निगम (BMC) ने शहर में कानूनी और अवैध गौशालाओं की पहचान के लिए व्यापक सर्वे की शुरुआत कर दी है। यह कदम हाल ही में चार इमली क्षेत्र में पार्क की जमीन पर बनी अवैध गौशाला को तोड़े जाने के बाद उठाया गया है। इस कार्रवाई का कुछ हिंदू संगठनों ने विरोध किया, लेकिन जिला प्रशासन की मौजूदगी में यह अभियान जारी रहा। दर्जनों पंजीकृत, सौ से अधिक अवैध नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल पशुपालन विभाग और मध्य प्रदेश गोवर्धन बोर्ड में करीब 42 सरकारी व गैर-सरकारी गौशालाएं पंजीकृत हैं। लेकिन शहर की सीमाओं और बाहरी इलाकों में 100 से अधिक अवैध गौशालाएं संचालित हो रही हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह सर्वे गौशालाओं को नियमित करने, सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण रोकने और सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या कम करने में मदद करेगा। राजनीतिक दबाव और अनदेखी नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नए गौशाला निर्माण पर प्रतिबंध होने के बावजूद राजनीतिक कारणों से अवैध गौशालाओं पर कार्रवाई नहीं हो पाती। उन्होंने यह भी कहा कि रोजाना 8-10 कॉल्स आती हैं जिनमें पकड़े गए मवेशियों को ‘कंजिहाउस’ से छुड़ाने का दबाव बनाया जाता है। निगरानी व्यवस्था का अभाव फिलहाल न तो नगर निगम और न ही गोवर्धन बोर्ड व पशुपालन विभाग के पास अवैध गौशालाओं की स्थायी निगरानी प्रणाली है। कार्रवाई केवल शिकायत मिलने पर की जाती है, जिसमें मौके पर निरीक्षण और जिला प्रशासन के सहयोग से कदम उठाए जाते हैं। शहर की सड़कों पर मवेशियों का खतरा भोपाल में 500 से अधिक डेयरियां संचालित हो रही हैं। कई झुग्गी-झोपड़ी और दूरस्थ इलाकों में दर्जनभर से ज्यादा डेयरियां दो किलोमीटर के दायरे में पाई जाती हैं। इन डेयरियों से निकले मवेशी सड़कों पर घूमते रहते हैं, जिससे ट्रैफिक बाधित होता है और कई बार हादसे भी हो जाते हैं। 21 जोनों में वार्ड-वार सर्वे नगर निगम अब 21 जोनों में वार्ड-वार सर्वे करेगा। इसमें देखा जाएगा कि गौशाला सरकारी या निजी जमीन पर है और उसका पंजीकरण हुआ है या नहीं। नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त हर्षित तिवारी ने कहा, “हम शहर में चल रही गौशालाओं का वार्ड-वार सर्वे कर रहे हैं। सर्वे के बाद ही यह पता चल पाएगा कि कुल कितनी अवैध गौशालाएं सक्रिय हैं।”

मध्य प्रदेश में डायल-112 सेवा की शुरुआत, डायल-100 का आधुनिक संस्करण

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गुरुवार को आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए नई एकीकृत डायल-112 सेवा का शुभारंभ किया, जो अब तक चल रही डायल-100 सेवा का स्थान लेगी। इस मौके पर सीएम ने मध्य प्रदेश पुलिस को बधाई देते हुए कहा कि यह पहल पुलिस की तत्परता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सीएम ने कहा, “यह आपातकालीन नंबर समाज की सुरक्षा और संरक्षा प्रणाली का आधार बनेगा, जो तेज़ पुलिस प्रतिक्रिया का वादा और जनता की मदद के प्रति प्रतिबद्धता दोनों दर्शाता है।” उन्होंने आगे कहा, “आज के मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के दौर में डायल-112 सभी आपातकालीन सेवाओं के लिए ‘वन नंबर’ की अहम भूमिका निभाएगा।” नई व्यवस्था में पुलिस कंट्रोल रूम को उन्नत तकनीक से लैस किया गया है और फर्स्ट रिस्पॉन्स व्हीकल्स (FRVs) को आधुनिक उपकरणों से सज्जित किया गया है। डायल-100 मॉडल को पहले ही उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों ने अपनाया है। अब तक डायल-100 ने 2.23 लाख बुजुर्ग नागरिकों, 19 लाख से अधिक महिलाओं, 1,300 नवजात शिशुओं की मदद की है और 23,000 लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया है — यह एमपी पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि रही है। सीएम यादव ने बताया कि नई डायल-112 सेवा विभिन्न आपात स्थितियों में नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करेगी। इसके लिए राज्य सरकार ने इन वाहनों पर 1,500 करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित किया है, जो नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रमाण है। डीजीपी कैलाश मकवाना ने डायल-112 की शुरुआत को ऐतिहासिक अवसर बताया।

शाहपुरा पार्क में कुत्ता प्रेमियों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध

भोपाल में गुरुवार को करीब सौ से अधिक कुत्ता प्रेमियों ने शाहपुरा पार्क में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का विरोध किया, जिसमें दिल्ली और एनसीआर के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का निर्देश दिया गया है। विभिन्न पेशों और आयु वर्ग के प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां लेकर यह आदेश एकतरफा और अव्यावहारिक बताया। उनका कहना था कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या नगर निगम की लापरवाही का परिणाम है। एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की शहर प्रतिनिधि इशिता गोंदली ने फ्री प्रेस से कहा कि केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार, नसबंदी और टीकाकरण किए गए आवारा कुत्तों को उनकी मूल जगह पर लौटाना ज़रूरी है, लेकिन यह आदेश उन्हें जेल में डालने जैसा है, जिसे शेल्टर होम कहा जा रहा है। एक अन्य कुत्ता प्रेमी रिम्शा फारूकी ने कहा, “हम इस कोर्ट के आदेश का विरोध कर रहे हैं, और यह भोपाल या किसी अन्य शहर में लागू नहीं होना चाहिए।” 17 अगस्त को ‘डॉगी पॉज़’ का तिरंगा डांस शहर में 17 अगस्त को ‘द पॉज़ एंथम – पैट्रियोटिज़्म, पॉज़ एंड प्ले’ नाम से एक खास कार्यक्रम होगा, जिसमें ‘डॉगी पॉज़’ तिरंगे के साथ डांस करेंगे। यह आयोजन वन मिशन डॉग्स और पॉज़ – द डॉग्स प्लानेट की ओर से पहली बार किया जा रहा है। सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक पॉप-अप स्टॉल, पेट एस्ट्रोलॉजी, डॉग गेम्स, गुडीज़, बेड बूथ और अन्य गतिविधियां होंगी। खास बात यह है कि यहां सभी कुत्तों के लिए प्रवेश निःशुल्क है और पेशेवर डॉग हैंडलर्स भी मौजूद रहेंगे, ताकि सुरक्षा और मज़े – दोनों का ध्यान रखा जा सके।

मध्यप्रदेश में सड़क विकास के लिए मास्टर प्लान बनेगा, छह माह में पूरा होगा सर्वे

मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में सड़क विकास के लिए एक मास्टर प्लान तैयार करने का निर्णय लिया है। इस प्लान में राज्य राजमार्ग, प्रमुख जिला सड़कें और आंतरिक जिला सड़कें शामिल होंगी। इसके आधार पर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करेगा। पीडब्ल्यूडी का लक्ष्य है कि सड़क सर्वे का काम अगले छह महीनों में पूरा कर लिया जाए। 2003 से पहले प्रदेश में सड़कों की स्थिति काफी खराब थी, लेकिन भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी गई। नतीजतन, आज राज्य का सड़क नेटवर्क 1.5 लाख किलोमीटर से अधिक हो चुका है। इसके बावजूद नई सड़कों की मांग लगातार बनी हुई है। हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में अधिकांश मांग पत्र सड़कों, पुलों और पुलियों से जुड़े मामलों पर केंद्रित रहे। कैसे काम करेगा मास्टर प्लान?मास्टर प्लान के तहत यह तय किया जाएगा कि कहां नई सड़कें बननी चाहिए, किन सड़कों को चौड़ा करना है और कहां बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता है। इससे विभिन्न सड़क निर्माण एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा। पीडब्ल्यूडी के अलावा, नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और मंडी बोर्ड भी सड़कों का निर्माण करते हैं। मास्टर प्लान से इन सभी विभागों के काम में एकरूपता लाई जाएगी।

वैश्विक बाजार में ‘मेड इन एमपी’ को पहचान दिलाने के लिए सीएम की उद्योगपतियों संग बैठक, आज लॉन्च होगा ‘डायल-112’

मुख्यमंत्री मोहन यादव गुरुवार को सीएम हाउस स्थित समत्व भवन में देश-विदेश के 15 से अधिक उद्योगपतियों और शीर्ष परिधान एवं वस्त्र ब्रांड के प्रतिनिधियों से चर्चा करेंगे। यह पहल मेड इन एमपी उत्पादों को वैश्विक बाजार में नई पहचान दिलाने के उद्देश्य से की जा रही है। इस अवसर पर परिधान व्यापार और 55 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के वैश्विक वस्त्र बाजार का नेतृत्व करने वाले ब्रांड्स एंड सोर्सिंग लीडर्स एसोसिएशन (BSL) के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर भी होंगे। यह संगठन 250 से अधिक प्रमुख खरीदारों और सोर्सिंग संस्थाओं से जुड़ा है। राउंड टेबल बैठक में केयर ट्रेडिंग एशिया लिमिटेड के रीजनल कंट्री हेड वंसी माधव, प्यूमा ग्रुप के ब्रांच मैनेजर अंसुल वी ग्रोवर, पीवीएच के सीनियर डायरेक्टर तेजस संपत सहित अन्य प्रतिनिधि शामिल होंगे। बैठक का उद्देश्य राज्य के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहचान दिलाना है। आज से डायल-112 सेवा की शुरुआत, सीएम करेंगे वाहनों को रवाना मुख्यमंत्री मोहन यादव गुरुवार को भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में डायल-112 सेवा का शुभारंभ करेंगे और प्रथम प्रतिक्रिया वाहनों (एफआरवी) को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। यह सेवा एक दशक पुरानी डायल-100 व्यवस्था की जगह लेगी। डायल-112 एक उन्नत और एकीकृत इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (ERSS) है, जिसमें लोकेशन-ट्रैकिंग तकनीक लगी है और जो केवल 16 मिनट में मदद पहुंचाने में सक्षम होगी। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यह नई सेवा शुरू की जा रही है। एडीजी कम्युनिकेशन संजीव शामी ने बताया कि सीएम, डीजीपी कैलाश मकवाना और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में एफआरवी को रवाना करेंगे। एकीकृत डायल-112 सेवा में अब कई हेल्पलाइन एक प्लेटफॉर्म पर जुड़ जाएंगी— पुलिस (112), एंबुलेंस (108), फायर (101), महिला हेल्पलाइन (1090), साइबर क्राइम (1930), रेलवे हेल्प (139), सड़क दुर्घटना प्रतिक्रिया (1099), आपदा प्रबंधन (1079), महिला एवं बाल हेल्पलाइन (181, 1098), परिवहन विभाग पैनिक बटन आदि।

जेके रोड औद्योगिक क्षेत्र में क्लोरीन गैस रिसाव, हड़कंप; दो दिन में जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

बुधवार दोपहर जेके रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र की एक फैक्ट्री में क्लोरीन गैस रिसाव से स्थानीय लोगों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। गैस के संपर्क में आने से कई लोगों की आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ हुई, हालांकि किसी को गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा। जिला कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने घटना की संयुक्त जांच के आदेश दिए हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और भोपाल नगर निगम को मिलकर जांच कर दो दिन के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। यह घटना करीब 3:30 बजे उस समय हुई जब क्लोरीन टैबलेट बनाने वाली फैक्ट्री में कच्चा माल रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोर से गैस का रिसाव शुरू हुआ। गैस तेजी से फैक्ट्री परिसर से बाहर फैल गई, जिससे स्थानीय लोग और कर्मचारी मास्क एवं अन्य सुरक्षा उपकरण पहनकर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए। पिपलानी थाना प्रभारी निरीक्षक चंद्रिका यादव ने बताया कि बुधवार को फैक्ट्री बंद थी। पुलिस को घटना की सूचना पास की फैक्ट्रियों के कर्मचारियों से मिली। इसके बाद आसपास की इमारतों और फैक्ट्रियों को खाली कराया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया। गोविंदपुरा एसडीएम रविश कुमार श्रीवास्तव भी मौके पर पहुंचे। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ टीमों के साथ दमकल विभाग को भी रिसाव नियंत्रित करने में लगाया गया। टीमों ने गैस को निष्क्रिय करने के लिए कॉस्टिक सोडा का इस्तेमाल किया। निरीक्षक यादव के अनुसार, रिसाव को पूरी तरह नियंत्रित करने में करीब डेढ़ घंटे का समय लगा। गैस के प्रभाव से प्रभावित लोगों की आंखों में आंसू और जलन, तथा सांस लेने में दिक्कत हुई, लेकिन किसी ने गंभीर परेशानी की शिकायत नहीं की। राहत एवं बचाव कार्य में लगे सभी अधिकारी और कर्मचारी मास्क पहनकर काम कर रहे थे। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि स्टोर में रखा कच्चा माल गीला हो गया था, जिससे क्लोरीन गैस का रिसाव शुरू हुआ।

भोपाल में हाथियों को समर्पित विशेष कैंसलेशन जारी, डाक विभाग ने दिया करुणा और महिला सशक्तिकरण का संदेश

भोपाल में मंगलवार को मध्य प्रदेश डाक विभाग ने हाथियों को समर्पित एक विशेष कैंसलेशन जारी किया। यह न केवल बुद्धिमत्ता और करुणा का प्रतीक है, बल्कि भगवान गणेश की दिव्य स्मृति का भी संकेत है। हिंदू परंपरा में भगवान गणेश का हाथीमुख स्मरण शक्ति, रचनात्मकता और शांति का द्योतक माना जाता है। ठीक वैसे ही, प्राकृतिक संसार में हाथी अद्भुत बुद्धिमत्ता का परिचय देते हैं—वे अपनी परछाईं पहचानते हैं, औज़ारों का उपयोग करते हैं, गहरी सहानुभूति दिखाते हैं और यहां तक कि एक-दूसरे को विशिष्ट ध्वनियों से पुकारते हैं। मध्य प्रदेश के मुख्य डाक महाप्रबंधक, वीनीत माथुर ने कहा, “हाथी हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और डाक विभाग हमेशा महत्वपूर्ण मुद्दों और उद्देश्यों से जुड़ा रहा है। इसी कारण मंगलवार को मध्य प्रदेश के डाक सेवाओं के निदेशक, पवन कुमार डालमिया द्वारा यह विशेष कैंसलेशन जारी किया गया।” यह विशेष छाप अब भोपाल जीपीओ सहित जबलपुर और इंदौर के डाकघरों में संग्राहकों के लिए उपलब्ध है। माथुर ने बताया कि यह केवल कला का नमूना नहीं, बल्कि करुणा का संदेश भी है। उन्होंने कहा, “बहुत कम लोग जानते हैं कि हाथियों के झुंड का नेतृत्व मादाएं करती हैं—वे भोजन, सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों की जिम्मेदारी निभाती हैं। इस तरह हम महिला सशक्तिकरण का संदेश भी दे रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि यह कैंसलेशन हाथियों की अद्वितीय बुद्धिमत्ता, उनके संवेदनशील हृदय और मानव संस्कृति के साथ उनके पवित्र संबंध को सलाम है। डाक विभाग की प्रासंगिकता पर बात करते हुए माथुर ने कहा, “हमारे पास नेट बैंकिंग, यूपीआई जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। सिर्फ मध्य प्रदेश में ही डाकघरों का डिपॉज़िट बेस ₹60,000 करोड़ है, जो राज्य के कई बैंकों के संयुक्त जमा से भी अधिक है।” उन्होंने बताया कि डाक विभाग डाक टिकटों के माध्यम से खगोल विज्ञान से लेकर समुद्री जीवन, वनस्पति, जीव-जंतु, संस्कृति, परमाणु विज्ञान, खगोल भौतिकी, इतिहास और समुद्री जीव विज्ञान तक की विषयवस्तु को युवाओं तक पहुंचाने का काम कर रहा है।

पूंजीगत व्यय में तेजी: वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही में शीर्ष तीन राज्यों में मध्य प्रदेश

वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही में पूंजीगत व्यय (Capex) में तेजी लाने वाले शीर्ष तीन राज्यों में मध्य प्रदेश ने स्थान हासिल किया है। इस अवधि में 16 राज्यों ने पिछले वर्ष की तुलना में कैपेक्स में वृद्धि दर्ज की है, जिनमें गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश क्रमशः 65%, 42% और 41% की वृद्धि के साथ सबसे आगे रहे हैं। मध्य प्रदेश ने इस मामले में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। केंद्र और राज्यों ने मिलकर वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में पूंजीगत व्यय को तेज गति से बढ़ाया है। केंद्र सरकार के अप्रैल से जून 2025 के बीच के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में कैपेक्स 5% बढ़कर ₹2,75,132 करोड़ हो गया। केंद्र ने पहली तिमाही में अपने बजटेड ₹11.2 लाख करोड़ के पूंजीगत व्यय का एक-चौथाई यानी 25% खर्च कर लिया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा सिर्फ 16% था। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के आंकड़ों के अनुसार, 23 राज्यों ने पहली तिमाही में कुल ₹99,478 करोड़ का पूंजीगत व्यय किया, जो पिछले साल की समान अवधि के ₹81,494 करोड़ की तुलना में 22% अधिक है। मध्य प्रदेश ने इस प्रदर्शन के साथ समृद्ध राज्यों की श्रेणी में शामिल होकर आर्थिक प्रगति का नया संकेत दिया है।

भोपाल में आवारा कुत्तों की संख्या पर काबू पाना चुनौती, नसबंदी केंद्रों का अभाव बना बड़ी समस्या

भोपाल नगर निगम (BMC) की सीमित नसबंदी क्षमता के कारण राज्य की राजधानी में हर साल लगभग 40,000 नए कुत्तों की बढ़ोतरी हो रही है, जबकि आवारा कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के लिए लक्षित प्रयास किए जा रहे हैं। फिलहाल नगर निगम के पास केवल तीन एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर हैं, जो मिलकर हर साल करीब 22,000 नसबंदी करते हैं। विशेषज्ञ मानकों के अनुसार, 85 वार्ड वाले भोपाल में कम से कम नौ नसबंदी केंद्र होने चाहिए, ताकि आवारा कुत्तों की संख्या पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण पाया जा सके। बीएमसी का कहना है कि दिसंबर 2024 में 15 करोड़ रुपये की लागत से नौ एबीसी सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। सामान्य शहरी योजना के मुताबिक, हर 10 शहरी वार्ड पर एक एबीसी सेंटर की आवश्यकता होती है, जबकि भोपाल में केवल तीन ही हैं। अनुमानित रूप से शहर में करीब 1.2 लाख आवारा कुत्ते हैं, जिनमें से लगभग 60,000 प्रजनन करने में सक्षम हैं। बीएमसी के तीन एबीसी केंद्रों में हर साल लगभग 20,000 नसबंदी होती है। उच्च मृत्यु दर के बावजूद, पिल्लों में से लगभग 10% ही जीवित रहते हैं, फिर भी हर साल करीब 60,000 नए कुत्ते बढ़ जाते हैं। इनमें लगभग 30,000 मादा कुत्ते हैं, जो साल में चार से दस पिल्लों को जन्म दे सकती हैं। नसबंदी अभियान इस बढ़ोतरी को रोकने के लिए चलाए जाते हैं, लेकिन नगरपालिका के आंकड़े बताते हैं कि फिर भी शुद्ध वार्षिक बढ़ोतरी करीब 40,000 कुत्तों की होती है। दिलचस्प बात यह है कि प्रस्ताव में बीएमसी ने केरवा-कालियासोत क्षेत्र को नसबंदी के लिए प्राथमिकता दी है, क्योंकि वहां जंगली जानवरों और कुत्तों के बीच टकराव की घटनाएं होती हैं। हालांकि, इस प्राथमिकता से शहर में बच्चों और शिशुओं पर कुत्तों के हमलों की समस्या से ध्यान भटकने की आशंका है।

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