भोपाल में स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं ने जुलाई में बिजली बिलों पर बचाए ₹78.65 लाख

राजधानी भोपाल के स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं ने जुलाई माह में टाइम-ऑफ-डे (ToD) टैरिफ योजना के तहत कुल ₹78.65 लाख की बचत की। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (MKVVCL) ने सोमवार को यह जानकारी दी। कंपनी के मुताबिक, भोपाल में 88,180 उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिला, जबकि कंपनी के संपूर्ण क्षेत्र में 1,24,701 उपभोक्ताओं को कुल ₹1.08 करोड़ की छूट दी गई। नई टैरिफ व्यवस्था के तहत यह रिबेट योजना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे के बीच खपत होने वाली बिजली पर 20% की छूट देती है। इसमें सरकारी सब्सिडी शामिल नहीं होती और यह केवल निर्धारित श्रेणी के उपभोक्ताओं पर लागू होती है। शहर में आयोजित एक मीडिया कार्यशाला में एमकेवीवीसीएल के उप मुख्य महाप्रबंधक (सिटी सर्कल) बी.बी.एस. परिहार ने बताया कि भोपाल सिटी सर्कल में अब तक 1,96,026 स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा, “स्मार्ट मीटर मैन्युअल रीडिंग की आवश्यकता खत्म करते हैं, बिलिंग को सटीक बनाते हैं और उपभोक्ताओं को रियल टाइम में बिजली खपत का ट्रैक रखने में मदद करते हैं।” परिहार ने बताया कि ‘उपाय’ ऐप पर हर 15 मिनट में डेटा अपडेट होता है, जिससे उपभोक्ता दैनिक, साप्ताहिक या मासिक खपत देख सकते हैं, बिल का अनुमान लगा सकते हैं और बिजली की बर्बादी पहचान सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे बिलिंग त्रुटियों में कमी और बिजली चोरी रोकथाम में सुधार हुआ है। पिछले एक वर्ष में कंपनी ने 16 जिलों में 3 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए हैं और “एक भी बड़ा तकनीकी दोष सामने नहीं आया”। उन्होंने अधिक से अधिक उपभोक्ताओं से इंस्टॉलेशन ड्राइव में सहयोग करने की अपील की। अधिकारियों ने बताया कि ToD छूट ऑफ-पीक घंटों में योग्य सार्वजनिक जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइटिंग और औद्योगिक उपभोक्ताओं पर भी लागू होती है।

स्थानीय निकाय चुनावों के लिए क्षेत्रवार सीमांकन आयोग बनाने की तैयारी

स्थानीय निकाय और पंचायतों के चुनाव वर्ष 2027 में होने वाले हैं। इन चुनावों से पहले सीटों के सीमांकन को लेकर चर्चा तेज हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार को राज्य सीमांकन आयोग के गठन के संबंध में पत्र लिखा है। फिलहाल शहरी विकास विभाग और पंचायत विभाग ही सीमांकन का कार्य करते आ रहे हैं। विभागों द्वारा किए गए सीमांकन कार्य का विपक्ष विरोध करता रहा है और मामला अदालत में अटक जाता है। वहीं, आयोग द्वारा किए गए सीमांकन कार्य को निष्पक्ष माना जाता है, इसलिए वह अदालत में नहीं जाता। सीमांकन के माध्यम से सीटों में समायोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी घोषणा की है कि नए नगर निगम और नगरपालिकाएं स्थापित की जाएंगी। कुछ क्षेत्रों को एक नगर निकाय से दूसरे नगर निकाय से जोड़ने पर भी चर्चा चल रही है।

वीआईपी मार्गों पर ई-रिक्शा संचालन पर रोक के बावजूद जारी आवाजाही, ट्रैफिक व्यवस्था पर असर

शहर के निर्धारित वीआईपी मार्गों पर ई-रिक्शा के संचालन पर स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद बैटरी चालित ये वाहन लगातार देखे जा रहे हैं, जिससे आदेश के कमजोर पालन पर सवाल उठ रहे हैं। ट्रैफिक विभाग के आदेश के अनुसार, यातायात को सुचारू रखने, आपातकालीन सेवाओं और सुरक्षा काफिलों के निर्बाध आवागमन के लिए सभी प्रमुख वीआईपी कॉरिडोर पर ई-रिक्शा का संचालन प्रतिबंधित है। प्रतिबंधित मार्गों में शामिल हैं—राजभवन से पॉलिटेक्निक क्रॉसिंग, पॉलिटेक्निक क्रॉसिंग से स्टेट हैंगर, बोट क्लब क्षेत्र, हमीदिया रोड, अल्पना से भोपाल टॉकीज, एपेक्स बैंक से रोशनपुरा, लिंक रोड 1 (बोर्ड ऑफिस स्क्वायर से एपेक्स बैंक), कट्जू अस्पताल तिराहा से रंगमहल तिराहा, वंदे मातरम से 10 नंबर स्टॉप, 10 नंबर स्टॉप से नेशनल हॉस्पिटल, सेंटर प्वाइंट से रोशनपुरा और जीजी फ्लाईओवर। ये सभी मार्ग सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन की दृष्टि से संवेदनशील माने जाते हैं। हालांकि कई बार चेतावनी और सख्ती के बावजूद इन मार्गों पर ई-रिक्शा चलते देखे जा रहे हैं, खासकर पीक आवर के दौरान। ये धीमी गति से चलने वाले वाहन अक्सर सवारियों को लेने-छोड़ने के लिए बीच सड़क रुक जाते हैं, जिससे ट्रैफिक की रफ्तार टूटती है और सुरक्षा पर असर पड़ता है। 22 जुलाई को प्रतिबंध की घोषणा करते समय ट्रैफिक अधिकारियों ने कहा था कि ई-रिक्शा चालकों को एक सप्ताह चेतावनी दी जाएगी और उसके बाद आदेश का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी। ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों ने स्वीकार किया कि चेकिंग की जा रही है, लेकिन नियमों का पालन कराना चुनौतीपूर्ण है। कई चालक साइड लेन या वैकल्पिक रास्तों से घुसकर फिर वीआईपी मार्गों पर आ जाते हैं। एसीपी ट्रैफिक अजय वाजपेयी ने बताया कि ई-रिक्शा चालकों को प्रतिबंधित मार्गों के बारे में जागरूक करने की समय सीमा 15 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। चालकों को लगातार नए नियमों की जानकारी दी जा रही है, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

भोपाल पुलिस ने कुख्यात अपराधी शुभम सरदार को किया गिरफ्तार, पहचान छुपाने के लिए मुंडाया था सिर

भोपाल पुलिस ने 50 से अधिक मामलों में वांछित कुख्यात अपराधी शुभम सरदार को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तारी से बचने के लिए सरदार ने अपना सिर मुंडा लिया था ताकि पहचान न हो सके। पुलिस ने बताया कि इस साल 14 मार्च को सूचना मिली थी कि सरदार अपने साथी कल्लू अनस के साथ मिलकर अवैध शराब बेच रहा है। छापेमारी में पुलिस ने उनके ठिकानों से 76.86 लीटर अवैध शराब बरामद की, जिसकी कीमत लगभग 35,000 रुपये है। इस दौरान सरदार मौके से फरार हो गया और फरारी के दौरान भोपाल में एक मारपीट और तलवारबाजी की घटना में भी शामिल रहा। इस मामले में सरदार और अनस के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। बीते छह महीनों से कई पुलिस टीमें उसकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही थीं। 8 अगस्त को मुखबिर से मिली सूचना पर पुलिस ने उसे संजय कॉम्प्लेक्स के पास देखा। भागने की कोशिश के बावजूद पुलिस ने उसे पकड़ लिया। अधिकारियों ने बताया कि सरदार ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सिर मुंडा लिया था और अपना हुलिया बदल लिया था। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसे सार्वजनिक रूप से जुलूस में घुमाया और फिर रिमांड पर लेकर उसके साथियों के बारे में पूछताछ शुरू की। मामले की आगे जांच जारी है।

Street Dogs Top Complaint List on Bhopal Mayor’s Helpline; 2-Year-Old Mauled in Kolar Hills

Bhopal | August 7, 2025 — Street dogs have emerged as the top civic concern in Bhopal, with over 32% of all complaints to the Mayor’s Helpline between July 1 and August 5 related to stray dog issues. Of the 4,078 total complaints, 1,335 were about street dogs, making it the most commonly reported issue. Bhopal Mayor Malti Rai has taken a proactive stance, personally calling complainants and directing officials to provide updates on pending cases during weekly review meetings. During her visit to the helpline call centre on Tuesday, she issued strict 24-hour resolution orders for all dog-related complaints. Child Mauled in Kolar Hills The issue escalated after a 2-year-old child was critically injured in a dog attack at Signature City, Kolar Hills. The child was immediately hospitalized in serious condition. Residents allege that repeated complaints about the stray dog menace in the area have been ignored by authorities. Other Common Complaints Aside from dog-related issues, the Mayor’s Helpline also received: Of the total complaints, 2,951 have been resolved, while 1,127 remain pending. Need for More ABC Centres Dr. D.P. Singh, head of the BMC’s Animal Birth Control (ABC) programme, stressed the need for more ABC facilities to control the stray dog population in the long run. He noted that funding from the central government is awaited to expand the project.

“मछली गैंग” के हथियार नेटवर्क पर क्राइम ब्रांच का शिकंजा, दो गिरफ्तार, यासीन अहमद के करीबियों को नोटिस

भोपाल में क्राइम ब्रांच ने बुधवार को अवैध हथियारों के सौदे के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनका सीधा संबंध कुख्यात ड्रग और हथियार तस्कर यासीन अहमद उर्फ ‘मछली’ गैंग से है। ₹25,000 में खरीदा हथियार, होटल में हुई डिलीवरी गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अंकित कहार और अमन दहिया के रूप में हुई है। उनके पास से एक देसी पिस्टल और एक जिंदा कारतूस बरामद किया गया। पूछताछ में अंकित ने बताया कि उसने यह पिस्टल यासीन के करीबी साथी अंशुल उर्फ भूरी से ₹25,000 में खरीदी थी, जिसे अमन ने एक होटल में उसे सौंपा। ओबैदुल्लागंज रेलवे ओवरब्रिज से गिरफ्तारी अपर डीसीपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने जानकारी दी कि गुप्त सूचना के आधार पर अंकित को ओबैदुल्लागंज रेलवे ओवरब्रिज के पास पकड़ा गया। अंकित, जो एक रेस्टोरेंट का मालिक है, ने पहले पुलिस को पिस्टल की लोकेशन को लेकर गुमराह किया। लेकिन सख्त पूछताछ के बाद उसने कबूला कि हथियार भारत टॉकीज के पास एक परित्यक्त इमारत की छत पर छुपाया गया है, जहां से पुलिस ने हथियार बरामद कर लिया। अमन की आपराधिक पृष्ठभूमि, दिल्ली-नोएडा से जुड़े ड्रग नेटवर्क से कनेक्शन जांच में यह भी सामने आया कि अमन के खिलाफ पहले कमला नगर और रातीबड़ थानों में मामले दर्ज हैं। वह दिल्ली और नोएडा से संचालित होने वाले एमडी ड्रग सप्लाई नेटवर्क से भी जुड़ा हुआ है। इससे उसके यासीन के अंतरराज्यीय नेटवर्क में गहरे संलिप्त होने का संदेह और मजबूत हो गया है। पुलिस ने दोनों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है और भूरी व अन्य साथियों की भूमिका की जांच की जा रही है। मछली परिवार की बंदूकों पर भी कार्रवाई, पांच पर नोटिस एमडी ड्रग्स केस में यासीन अहमद की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने अब उसके परिवार की लाइसेंसी हथियारों पर भी कार्रवाई शुरू कर दी है। यासीन के परिवार, जिसे मछली फैमिली के नाम से जाना जाता है, के करीब 15 सदस्यों के नाम क्राइम ब्रांच ने प्रशासन को सौंपे थे। जिला प्रशासन ने इनमें से पांच सदस्यों — सोहेल, शहरीयार, शफीक, शाहिद और शावेज — की बंदूकों को चिन्हित किया है, जिनके पास कुल आठ लाइसेंसी हथियार हैं। पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया कि इन सभी को 13 अगस्त को नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई संगठित आपराधिक नेटवर्क की ताकत खत्म करने की रणनीति का हिस्सा है। इस कदम से यासीन के नेटवर्क को उसके सशस्त्र सुरक्षा कवच से वंचित किया जाएगा और उसके प्रभाव को सीमित किया जाएगा। यह मामला बताता है कि पुलिस अब सिर्फ आरोपियों की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में ठोस और बहु-आयामी रणनीति अपना रही है।

भोपाल के मशहूर त्वचा रोग विशेषज्ञ के साथ ‘बिग बॉस’ में एंट्री के नाम पर ₹10 लाख की ठगी, FIR दर्ज

भोपाल के एक प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अभिनीत गुप्ता से लोकप्रिय रियलिटी शो बिग बॉस में ‘बैकडोर एंट्री’ दिलाने का झांसा देकर ₹10 लाख की ठगी का मामला सामने आया है। इस संबंध में चूनाभट्टी थाना पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस के अनुसार, डॉ. गुप्ता, जो भोपाल में Poison Skin Clinic नामक एक प्रमुख स्किन क्लिनिक चलाते हैं, से 2022 में करन सिंह नाम के एक व्यक्ति ने संपर्क किया। करन ने खुद को एक इवेंट डायरेक्टर बताते हुए दावा किया कि उसके टीवी प्रोडक्शन जगत में गहरे संपर्क हैं और वह डॉ. गुप्ता को बिग बॉस में “अनौपचारिक चैनल” से एंट्री दिला सकता है। डॉ. गुप्ता ने करन सिंह की बातों पर विश्वास कर ₹10 लाख की राशि उसे दे दी। लेकिन जब बिग बॉस के आधिकारिक प्रतिभागियों की सूची जारी हुई और उसमें डॉ. गुप्ता का नाम नहीं था, तब उन्हें संदेह हुआ। पूछताछ करने पर करन ने बताया कि उनकी एंट्री “बैकडोर प्रोसेस” से जल्द होगी। समय बीतने के बावजूद जब ऐसा कुछ नहीं हुआ तो डॉ. गुप्ता ने अपना पैसा वापस मांगना शुरू किया। इसके बाद करन ने कॉल उठाना बंद कर दिया और अंततः अपना फोन ही स्विच ऑफ कर लिया। थक-हारकर डॉ. गुप्ता ने पुलिस की शरण ली और चूनाभट्टी थाने में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने इस मामले में IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत FIR दर्ज कर ली है और मामले की जांच जारी है।

भोपाल-इंदौर को मेट्रोपॉलिटन शहरों के रूप में विकसित करने का रास्ता साफ, विधानसभा में बिल पेश

मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को ‘मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र योजना एवं विकास विधेयक 2025’ पेश किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य भोपाल और इंदौर क्षेत्रों को मेट्रोपॉलिटन शहरों के रूप में विकसित कर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। विधेयक में मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र, मेट्रोपॉलिटन योजना समिति और मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MRDA) के गठन का प्रस्ताव है। इसमें भूमि अधिग्रहण, प्राधिकरण के गठन और अधोसंरचना नियोजन की विस्तृत प्रक्रिया शामिल है। प्रस्तावित कानून के तहत, किसी भी मेट्रोपॉलिटन विकास एवं निवेश योजना, शहर विकास योजना या क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत चिन्हित भूमि को सार्वजनिक उपयोग के लिए आवश्यक माना जाएगा। यह भूमि “भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013” के दायरे में आएगी। राज्य सरकार MRDA या स्थानीय अधिकारियों की अनुशंसा पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी। भूमि अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रियाएं, जैसे मुआवजा, जनसुनवाई और भुगतान, MRDA द्वारा की जाएंगी। प्रत्येक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के लिए एक अलग योजना समिति बनेगी। MRDA का अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे, जबकि नगरीय विकास मंत्री, पंचायत मंत्री और राजस्व मंत्री इसके उपाध्यक्ष बनाए जाएंगे। इसके अलावा, सरकार किसी भी शहरी या ग्रामीण क्षेत्र को विकास क्षेत्र घोषित कर सकेगी। विधेयक में दो या अधिक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों के विलय का भी प्रावधान है। बिल के क्रियान्वयन हेतु रु. 200 करोड़ की प्रारंभिक राशि के साथ मेट्रोपॉलिटन विकास कोष बनाया जाएगा। साथ ही MRDA को अपनी परियोजनाओं के लिए अलग से रु. 100 करोड़ का कोष दिया जाएगा। अविकसित शहरी विस्तार पर नियंत्रण जरूरी: मंत्री विजयवर्गीय बिल पेश करते हुए नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यह कानून तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण बड़े शहरों के आसपास अनियोजित विकास की चुनौती से निपटने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, “बिना योजना के हो रहा विकास, शहरी केंद्रों पर दबाव बढ़ा रहा है। यह अधिनियम उस विकास को एक संरचना देने में मदद करेगा।” भोपाल मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा और ब्योरा (राजगढ़) शामिल होंगे। वहीं इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में इंदौर, देवास, उज्जैन, धार और शाजापुर के क्षेत्र आएंगे। इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (IMR) का कुल क्षेत्रफल 9336.1 वर्ग किलोमीटर होगा। इंदौर की पूरी 3901.6 वर्ग किमी भूमि इसमें शामिल की गई है। उज्जैन का 44.99%, देवास का 29.72%, धार का 7.04%, और शाजापुर का 0.54% क्षेत्र इसमें शामिल किया गया है।

भोपाल में मच्छर जनित रोग नियंत्रण को लेकर विभागों में समन्वय की कमी, आधे से ज्यादा संवेदनशील इलाके BMC की कार्रवाई से बाहर

भोपाल में मलेरिया और डेंगू जैसे मच्छर जनित रोगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम (BMC) के बीच समन्वय की स्पष्ट कमी देखने को मिल रही है। हाल ही में जिला मलेरिया कार्यालय (DMO) द्वारा चिन्हित किए गए 21 संवेदनशील क्षेत्रों में से महज 9 इलाकों में ही BMC द्वारा वेक्टर कंट्रोल और जुर्माने की कार्रवाई की गई है। DMO द्वारा जारी सूची में झुग्गी बस्तियों, रिहायशी कॉलोनियों और जोखिम वाले इलाकों को शामिल किया गया है जहां तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता बताई गई थी। लेकिन विश्लेषण से पता चलता है कि BMC की फील्ड रिपोर्ट में इनमें से केवल 9 क्षेत्रों में ही मच्छर नियंत्रण की कोई कार्रवाई दर्ज है। गौरतलब है कि BMC का जिम्मा बाहरी इलाकों में वेक्टर नियंत्रण का है, जबकि स्वास्थ्य विभाग घर-घर सर्वे और इनडोर कंट्रोल पर केंद्रित रहता है। दोनों विभागों के सूचीबद्ध इलाकों की तुलना करने पर पाया गया कि 12 संवेदनशील इलाकों में कोई भी समन्वित प्रयास नहीं हुआ, जबकि इन स्थानों पर स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरजनित रोग के केस दर्ज किए हैं। इन छूटे हुए इलाकों में संजय नगर, कोहे-फ़िज़ा, प्रेमपुरा, कुम्हारपुरा, छतईपुरा, शबरी/नेहरू नगर, शंकराचार्य नगर, गल्ला मंडी, रोशन बाग, पुराना नगर (झुग्गी क्षेत्र) और कुछ ग्रामीण इलाके शामिल हैं, जिनमें से कई BMC की सीमा में भी नहीं आते हैं। जानकारी के अनुसार, भोपाल महापौर मालती राय ने वेक्टर नियंत्रण को लेकर कम से कम दो समन्वय बैठकें बुलाई थीं, जिनमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए थे। इन बैठकों में विशेष रूप से संवेदनशील इलाकों में एजेंसी समन्वय पर जोर दिया गया था। राजीव नगर, गांधी नगर और अयोध्या नगर जैसे कुछ इलाकों में दोनों विभागों की संयुक्त उपस्थिति दर्ज की गई है, लेकिन अधिकांश इलाके अभी भी उपेक्षित हैं। BMC के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस मुद्दे पर जवाब देने से बचते नजर आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि विभागीय असमंजस और ढीली निगरानी शहर में डेंगू-मलेरिया के बढ़ते खतरे को और गंभीर बना सकते हैं।

भोपाल में ₹45 लाख का भूजल परियोजना SAM 2.0 ठप, मानसून का लाभ नहीं उठा सके अधिकारी

भोपाल में मानसून सीजन समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन अमृत 2.0 योजना के तहत स्वीकृत shallow aquifer management (SAM 2.0) परियोजना पूरी तरह ठप पड़ी है। करीब ₹45 लाख की इस परियोजना को लागू करने के लिए कोई ठेकेदार सामने नहीं आया है, जिससे इसका क्रियान्वयन अधर में लटक गया है। वर्ष 2022 में देश के 10 शहरी क्षेत्रों में शुरू हुई SAM योजना का उद्देश्य भूजल स्तर को स्थायी रूप से बेहतर बनाना है, जिसमें अवसंरचना विकास और सामुदायिक जागरूकता शामिल है। जहां हैदराबाद और जयपुर में इस योजना ने प्रगति दिखाई है, वहीं भोपाल में परियोजना की शुरुआत भी नहीं हो पाई है। योजना को वर्ष 2023 की शुरुआत में मंजूरी मिली थी, और इसके अंतर्गत होशंगाबाद रोड, भेल क्षेत्र, और आरिफ नगर में 10 साइटों पर रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाए जाने थे। इसका मकसद भूजल स्तर को बढ़ाना और शहरी बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करना था। हालांकि साइट निरीक्षण और प्रशासनिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी है, फिर भी महत्वपूर्ण मानसूनी समय में परियोजना निष्क्रिय रही। भोपाल नगर निगम (BMC) के अधिकारियों ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है। जल विशेषज्ञों का कहना है कि इस देरी ने मानसून के पानी को भूजल पुनर्भरण के लिए इस्तेमाल करने का एक अहम अवसर गंवा दिया है। हालात और गंभीर इसलिए हो गए हैं क्योंकि इस दौरान जल गुणवत्ता से जुड़ी समस्याएं भी सामने आई हैं। इस्लामनगर और सरवर क्षेत्रों में नाइट्रेट की अत्यधिक मात्रा पाई गई है, जो ब्लू-बेबी सिंड्रोम जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। केंद्रीय जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने भी भोपाल के कई इलाकों को जल सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वाले क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया है।

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